‘वक्फ बाय यूजर’ क्या है, जिस पर अटका पूरा केस, CJI ने पूछा-इसे क्यों छेड़ा?
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वक्फ बोर्ड कानून में सारा मामला ‘वक्फ बाय यूजर’ पर आकर टिक गया है. चीफ जस्टिस से लेकर कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार से पूछा- इसे क्यों छेड़ा.

सुप्रीम कोर्ट में वक्प कानून पर सुनवाई में वक्फ बाया यूजर पर बहस हुई.
हाइलाइट्स
- वक्फ बाय यूजर को लेकर कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में गंभीर सवाल उठाए.
- सिब्बल ने कहा- वक्फ बाय यूजर कहां से जमीन के कागजात लेकर आएगा.
- वक्फ बाय यूजर था पूराने वक्फ कानून का बेहद अहम हिस्सा
नए वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सारी बहस ‘वक्फ बाय यूजर’ पर आकर अटक गई. सीजेआई संजीव खन्ना से लेकर कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और तमाम वकीलों ने इस पर सवाल उठाए. सरकार से पूछा कि आखिर इस क्लॉज में छेड़छाड़ क्यों की गई? गुरुवार को ‘वक्फ बाय यूजर’ पर ही सुनवाई होगी, जिसमें सरकार की ओर से दलील पेश की जाएंगी. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि ‘वक्फ बाय यूजर’ है क्या और क्यों इतना महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है.
बहस की शुरुआत करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा, ‘वक्फ बाय यूजर’ वक्फ की एक शर्त है. मान लीजिए मेरे पास एक प्रॉपर्टी है और मैं चाहता हूं कि वहां एक अनाथालय बनवाया जाए, तो इसमें समस्या क्या है? मेरी जमीन है, मैं उस पर बनवाना चाहता हूं, ऐसे में सरकार मुझे रजिस्टर्ड कराने के लिए क्यों कहेगी? इस पर सीजेआई ने कहा, अगर आप वक्फ का रजिस्ट्रेशन कराएंगे तो रिकार्ड रखना आसान होगा. लेकिन सरकार ने ‘वक्फ बाय यूजर’ ही खत्म कर दिया है.
आखिर दिक्कत कहां आ रही?
इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने जवाब दिया. उन्होंने कहा, कानून के मुताबिक, फर्जी दावों से बचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. इसलिए वक्फ डीड बनवाना होगा. इस पर सिब्बल ने तर्क दिया. उन्होंने कहा, यह इतना आसान नहीं है. वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाए गए थे. सरकार 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेगी. आखिर लोग कहां से लाएंगे. यही समस्या है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह बड़ा मुद्दा है और इस पर और सुनवाई किए जाने की जरूरत है. सरकार ने गुरुवार का दिन इसी पर सुनवाई के लिए रखा है.
तो आखिर ‘वक्फ बाय यूजर’ है क्या?
मुस्लिम धर्म में मान्यता है कि जब कोई इंसान किसी चीज जैसे जमीन या मकान को खुद तो अपने पास ही रखता है, लेकिन कहता है कि इसका उपयोग अब सिर्फ अल्लाह के नाम पर होगा ताकि इसका फायदा समाज को मिल सके, तो उसे वक्फ कहते हैं. इसे ऐसे समझें, मान लीजिए किसी आदमी के पास एक जमीन है. वह उस जमीन को वक्फ कर देता है. यानी कहता है कि अब यह जमीन अल्लाह की होगी. यहां पर मस्जिद, मदरसे, अस्पताल कुछ भी खुलवाए जा सकते हैं जो गरीबों के काम आएं. लेकिन वह शख्स उस जमीन का इस्तेमाल खुद करता रहता है. ऐसे ही मामले को ‘वक्फ बाय यूजर’ कहा जाता है. वह उसका कानूनी तौर पर मालिक नहीं रह जाता, लेकिन इस्तेमाल करता रहता है.
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