विमान हादसे में 1 साल पहले बेटा तो एयर इंडिया प्लेन क्रैश में माता-पिता की मौत
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Ahmedabad Plane Crash Tragedy: जामनगर से अपने पिता की खैरियत जानने आई बेटी और दामाद की अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई. समय की क्रूरता देखिए कि एक साल पहले उनके बेटे की भी विमान दुर्घटना में ही मृत्यु हुई थी.

12 जून की दोपहर अहमदाबाद के लिए अथाह पीड़ा भरा रही. एयर इंडिया की विमान दुर्घटना में कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया, वहीं जामनगर के बख्शी परिवार पर भी मानो आकाश टूट पड़ा. इस भयावह घटना में जामनगर से आज तड़के लंदन लौट रहे एक दंपति की जान चली गई. जामनगर के पंचवटी क्षेत्र में रहने वाले कैंसरग्रस्त परिवार से मिलने आए बेटी और दामाद की अहमदाबाद विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई. समय की क्रूरता देखिए कि एक साल पहले उनके बेटे की भी विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई थी.

कालचक्र की अथाह पीड़ा: जामनगर में रहने वाले हरिहरभाई बख्शी की बीमारी के कारण उनकी लंदन में रहने वाली बेटी नेहलबेन और दामाद शैलेशभाई परमार जामनगर आए थे. आज तड़के ही वे जामनगर से अहमदाबाद के लिए रवाना हुए थे, जहां से उन्होंने एयर इंडिया की उस भयावह उड़ान में दोपहर डेढ़ बजे लंदन के लिए हवाई यात्रा शुरू की थी. लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 क्रैश हो गई, जिसमें सवार ज्यादातर लोगों की मृत्यु हो गई.

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़: इस दुर्घटना से बख्शी परिवार पर मानो आकाश फट पड़ा, क्योंकि शैलेशभाई और नेहलबेन का एकमात्र बेटा हित था. हित लंदन में कमर्शियल विमान उड़ाने की ट्रेनिंग ले रहा था और अपनी ट्रेनिंग के अंतिम चरण में आखिरी उड़ान के कुछ घंटे बाकी थे, जब करीब एक साल पहले स्पेन में उसका विमान क्रैश हो गया था, जिसमें 26 वर्षीय हित की मृत्यु हो गई थी.

26 वर्षीय हित की विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद 12 जून को एक और ऐसी विमान दुर्घटना हुई, जिसमें हित के माता-पिता भी यात्रा कर रहे थे और वे इस हादसे का शिकार बन गए. इस खबर के मिलते ही नेहलबेन के चचेरे भाई और परिवार के अन्य सदस्य तुरंत जामनगर से अहमदाबाद के लिए रवाना हो गए. इस करुण घटना से जामनगर के बख्शी परिवार और आसपास के क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई.

31 मई को थी लौटने की योजना: कहते हैं न कि कालचक्र कब, कहां और किस पर घूमेगा, कोई नहीं जानता. ऐसा ही कुछ नेहलबेन और शैलेशभाई परमार के साथ भी हुआ. नेहलबेन अपने पिता की खैरियत जानने अकेले आई थीं. लेकिन उनके पति शैलेश परमार भी बाद में ससुर से मिलने आए, जिसके कारण नेहलबेन ने 31 मई की अपनी पहले से तय टिकट रद्द कर 12 जून की फ्लाइट में पति के साथ टिकट बुक कराई. उन्हें क्या पता था कि यह फ्लाइट उनकी अंतिम यात्रा बन जाएगी.

आखिरी मैसेज ने सबको रुलाया: नेहलबेन और उनके पति शैलेश परमार ने फ्लाइट में बैठने से पहले परिवार के सदस्यों को मैसेज किया था कि उन्होंने सिक्योरिटी चेकिंग पूरी कर ली है और सामान भी रख दिया गया है. अब वे गेट नंबर का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने लिखा, ‘आप सभी के प्यार के लिए हरि का बहुत-बहुत धन्यवाद और हमेशा आशीर्वाद बनाए रखें, जल्द ही फिर मिलेंगे.’ लेकिन इस मैसेज के कुछ मिनट बाद ही परिवार की बेटी और दामाद हमेशा के लिए विदा हो गए, और पूरा परिवार शोक में डूब गया.
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