तुर्की को सख्त संदेश! साइप्रस से… G7 समिट से पहले PM मोदी का मिशन क्लियर है
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प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस और क्रोएशिया यात्रा भारत की वैश्विक रणनीति का हिस्सा है, जो तुर्की-पाकिस्तान गठजोड़ के बीच महत्वपूर्ण है और संबंधों को मजबूत करेगी.

पीएम नरेंद्र मोदी ने तुर्की को सख्त संदेश देने का फैसला किया है.(Image:PTI)
हाइलाइट्स
- PM मोदी की साइप्रस और क्रोएशिया यात्रा महत्वपूर्ण है.
- साइप्रस और क्रोएशिया भारत के पुराने दोस्त हैं.
- यात्रा से यूरोपीय संघ में भारत का प्रभाव बढ़ेगा.
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस और क्रोएशिया की यात्रा न सिर्फ एक औपचारिक कूटनीतिक दौरा है, बल्कि भारत की वैश्विक रणनीति का एक बड़ा और सोच-समझकर उठाया गया कदम भी है. पीएम मोदी दोनों देशों की यह यात्रा जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए कनाडा रवाना होने से पहले कर रहे हैं. ऐसे समय में जब तुर्की और पाकिस्तान के रिश्ते मजबूत हो रहे हैं और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया, भारत ने रणनीतिक रूप से साइप्रस और क्रोएशिया की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. यह यात्रा उन अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को एकजुट करने की कोशिश है जो भारत के नजरिए को समझते और समर्थन करते हैं.
साइप्रस और क्रोएशिया भारत के संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं. कश्मीर, सीमा पार आतंकवाद और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों के मुद्दे पर साइप्रस और क्रोएशिया हमेशा भारत के पक्ष में खड़ा रहे हैं. यही नहीं, साइप्रस ने NSG (न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप) और भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का भी समर्थन किया है. ऐसे समय में जब साइप्रस 2026 में यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता करने जा रहा है, मोदी की यात्रा यूरोपीय संघ में भारत के प्रभाव को और मजबूत कर सकती है.
साइप्रस की भौगोलिक स्थिति भी इसे भारत के लिए अहम बनाती है. भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) में साइप्रस एक संभावित जंक्शन के रूप में उभर सकता है. इसके अलावा, लिमासोल बंदरगाह जैसी समुद्री कनेक्टिविटी भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद फायदेमंद है. भारत, जो ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है, अब भूमध्यसागर के प्राकृतिक गैस संसाधनों में भी रुचि दिखा रहा है. इस क्षेत्र में तुर्की की विवादास्पद गतिविधियों के कारण पहले से तनाव है और भारत, साइप्रस जैसे साझेदारों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में ऊर्जा सहयोग को नया आयाम दे सकता है. इसके अलावा, भारत और साइप्रस रक्षा सहयोग को भी बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं. तुर्की से मिल रही सुरक्षा चुनौतियों के बीच साइप्रस के लिए भारत एक भरोसेमंद मित्र के रूप में उभर रहा है.
पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा का दूसरा पड़ाव क्रोएशिया है, जहां भारत-क्रोएशिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने पर ज़ोर रहेगा. यह यात्रा उद्योग, नवाचार, फार्मा, विज्ञान, शिक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गति देने के उद्देश्य से की जा रही है. क्रोएशिया यूरोपीय संघ का सदस्य है और भारत की ‘एक्ट ईस्ट यूरोप पॉलिसी’ में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है. यह यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को नई दिशा देगी.
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Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
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