तस्वीर तो बस एक बैल की थी… पर कीमत? ₹61.80 करोड़! सबको चौंका गई ये नीलामी

मुंबई: भारत के मशहूर कलाकार टायब मेहता की एक पेंटिंग ने फिर इतिहास रच दिया है. उनकी 1956 में बनी ‘Trussed Bull’ नाम की पेंटिंग हाल ही में मुंबई में नीलामी में ₹61.80 करोड़ में बिकी. जिससे ये भारत की अब तक की दूसरी सबसे महंगी पेंटिंग बन गई है. बता दें कि इससे पहले ये रिकॉर्ड अमृता शेरगिल की पेंटिंग ‘The Storyteller’ के पास था, जो सितंबर 2023 में ठीक इसी कीमत पर बिकी थी.

कहां हुई नीलामी?
ये नीलामी 2 अप्रैल को मुंबई में Saffronart की 25वीं वर्षगांठ सेल के दौरान हुई. नीलामी हॉल लोगों से भरा हुआ था और जैसे ही ये पेंटिंग पेश हुई, सबकी नजरें उस पर टिक गईं.

पेंटिंग की प्रेरणा कहां से मिली?
1954 में टायब मेहता लंदन में रह रहे थे. तभी उन्होंने ब्रिटिश म्यूजियम में मिस्र की एक मूर्ति देखी, जिसमें एक बैल को बांधा गया था. उसी छवि से प्रभावित होकर उन्होंने ‘Trussed Bull’ बनाई. ये बैल उनकी पेंटिंग्स में बार-बार दिखाई देता है.

पेंटिंग में क्या खास है?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, Saffronart के CEO दिनेश वजीरानी ने कहा कि टायब की इस पेंटिंग में ताकत और भावनाओं का गजब संतुलन है. मोटी काली लकीरों और गहरे रंगों से बनी ये पेंटिंग उनके उस दौर की स्टाइल को दर्शाती है. बाद में यही स्टाइल उनके पहचान की खासियत बन गई. बड़े रंगीन फ्लैट शेप्स और टूटे हुए स्ट्रक्चर.

टायब मेहता और बैल की कहानी
टायब मेहता गुजरात के कापड़वंज में पैदा हुए थे. 1952 में मुंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई के दौरान वो अक्सर साउथ बॉम्बे के कैनेडी ब्रिज और बांद्रा के स्लॉटरहाउस में बैलों को देखा करते थे. वहां उन्होंने देखा कि कैसे ताकतवर बैलों को जबरन गिराया और बांधा जाता है. इससे उन्हें गहरा झटका लगा.

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “Trussed Bull मेरे लिए सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि एक प्रतीक था. ऐसी ताकत जो बांध दी गई हो. जैसे कुछ बहुत ज़रूरी छीन लिया गया हो.”

ये बैल उनके लिए इंसान की उस हालत का प्रतीक बन गया जो अपनी पूरी ताकत को कभी इस्तेमाल नहीं कर पाता. Partition के समय उन्होंने अपने घर के सामने एक इंसान की हत्या होते देखी थी. इस घटना का असर उनके काम और मन पर बहुत गहरा पड़ा.

टायब मेहता 1959 से 1964 तक लंदन में रहे. 1968 में Rockefeller Fund स्कॉलरशिप के तहत अमेरिका गए. 2007 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. वो प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप के सदस्य भी थे. 2009 में उनका निधन हुआ और 2024 में उनकी जन्म शताब्दी मनाई जा रही है.

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नीलामी में और भी खास
इस नीलामी में और भी पेंटिंग्स बिकीं. जिनकी कीमत उम्मीद से कहीं ज्यादा रही. कुल मिलाकर नीलामी में ₹217.81 करोड़ की बिक्री हुई. ये साउथ एशियन आर्ट के इतिहास की सबसे बड़ी नीलामी मानी जा रही है.

Credits To Live Hindustan

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