ट्रूडो के हटते ही रिश्तों में नरमी? जयशंकर की कनाडाई विदेश मंत्री से बातचीत

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भारत और कनाडा के रिश्तों में सुधार के संकेत मिले हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद से बात की. जस्टिन ट्रूडो के हटने के बाद यह बातचीत नई शुरुआत मानी जा रही है.

ट्रूडो के हटते ही रिश्तों में नरमी? जयशंकर की कनाडाई विदेश मंत्री से बातचीत

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा की विदेश मंत्री अन‍िता आनंद से बातचीत की.

हाइलाइट्स

  • भारत-कनाडा रिश्तों में सुधार के संकेत मिले.
  • जयशंकर ने कनाडाई विदेश मंत्री से बात की.
  • खालिस्तानी एजेंडे पर कनाडा नरमी नहीं दिखा सकता.

भारत और कनाडा के रिश्तों में लंबे वक्त से चली आ रही तल्खी अब धीरे-धीरे कम होती दिख रही है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद से फोन पर बात की है. अरसे बाद भारत के क‍िसी बड़े नेता ने कनाडा के साथ संपर्क साधा है. इसल‍िए इस बातचीत को ‘सकारात्मक संकेत’ के रूप में देखा जा रहा है. कनाडा में जब जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री थे, उन्‍होंने भारत पर ऐसे बेबुन‍ियाद आरोप लगा द‍िए थे, जिससे रिश्ते रसातल में पहुंच गए थे.

दोनों देशों के बीच पहले भी व्यापक मुद्दों पर बातचीत हुई है, जिसमें व्यापार, वीज़ा नीतियां और खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर भारत की चिंता भी शामिल थीं. जयशंकर ने पहले भी कनाडा को यह साफ संकेत दिया कि भारत किसी भी रूप में अलगाववाद का समर्थन नहीं कर सकता और अगर रिश्ते सुधारने हैं तो जमीन पर भी ठोस कार्रवाई जरूरी है.

ट्रूडो के बाद बदल रही है हवा?
विशेषज्ञ मानते हैं कि जस्टिन ट्रूडो के हटने के बाद हुई यह बातचीत भारत-कनाडा संबंधों में एक नई शुरुआत हो सकती है. ट्रूडो सरकार के कार्यकाल में खालिस्तानी तत्वों को मिली कथित ढील और भारत विरोधी बयानों ने दोनों देशों के बीच संवाद को लगभग ठप कर दिया था. अब जबकि कनाडा की नई नेतृत्व टीम अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को संतुलित दिखाने की कोशिश कर रही है, भारत के साथ दोस्ताना रुख अपनाना उनकी प्राथमिकताओं में हो सकता है. कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद अब तक भारत के साथ अच्‍छे रिश्तों की पक्षधर रही हैं.

G7 समिट से पहले सामरिक संतुलन
G7 शिखर सम्मेलन, जो इस साल कनाडा में होने वाला है, उसपर भी इस बातचीत का सीधा असर पड़ सकता है. भारत जैसे बड़े लोकतंत्र की भागीदारी और समर्थन के बिना G7 की प्रासंगिकता पर सवाल खड़े हो सकते हैं. ऐसे में कनाडा के लिए भारत को फिर से भरोसे में लेना एक कूटनीतिक ज़रूरत बन गई है.

खालिस्तानी एजेंडे पर क्या अब लग सकता है ब्रेक?
बातचीत का जो लहजा सामने आया है, उससे संकेत मिलता है कि कनाडा अब खालिस्तानी समूहों पर नरमी नहीं दिखा सकता. जयशंकर के रुख और भारत की स्पष्ट मांगों के बाद कनाडा सरकार पर घरेलू और वैश्विक दबाव दोनों होंगे कि वह इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाए.

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Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for ‘Hindustan Times Group…और पढ़ें

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