तहव्वुर राणा की NIA हिरासत 12 दिन और बढ़ी, कड़ी सुरक्षा के बीच पेशी, क्या दलील?
दिल्ली की एक अदालत ने 26/11 के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा की एनआईए हिरासत 12 दिन के लिए बढ़ा दी है। राणा को कड़ी सुरक्षा के बीच चेहरा ढककर अदालत में पेश किया गया।

राष्ट्रीय राजधानी की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को 26/11 के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा की एनआईए हिरासत और 12 दिन के लिए बढ़ा दी। एनआईए ने अदालत से तहव्वुर हुसैन राणा की हिरासत 12 दिन और बढ़ाए जाने की मांग की थी। एनआईए की याचिका पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। राणा को उसकी 18 दिन की एनआईए हिरासत समाप्त होने पर कड़ी सुरक्षा के बीच चेहरा ढककर अदालत में पेश किया गया।
18 दिन की एनआईए हिरासत की मियाद समाप्त होने के बाद राणा को विशेष एनआईए न्यायाधीश चंदर जीत सिंह की अदालत में पेश किया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और विशेष लोक अभियोजक नरेन्द्र मान ने एनआईए की ओर से दलीलें रखीं। दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता पीयूष सचदेवा ने आरोपी राणा की ओर से प्रतिनिधित्व किया।
आरोपी तहव्वुर राणा के कानूनी सेवा वकील पीयूष सचदेव ने बताया कि अदालत ने पुलिस हिरासत 12 दिन और बढ़ा दी है। एनआईए ने अपने आवेदन में दलील दी थी कि आगे की जांच के लिए वह आरोपी की और हिरासत चाहती है। तहव्वुर राणा सहयोग कर रहा है। राणा को सुविधाओं की बाबत इस बार भी कोर्ट ने पिछली बार की तरह ही आदेश दिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एनआईए की दलीलें पिछली बार की तरह ही थीं।
पिछली बार दलीलों के दौरान, एनआईए ने कहा था कि साजिश के पूरे दायरे को एक साथ जोड़ने के लिए राणा की हिरासत की जरूरत है। एनआईए की ओर से कहा गया कि 17 साल पहले हुई आतंकी वारदातों की कड़ियों को जोड़ने और उसके साजिशकर्ताओं तक पहुंचने के लिए विभिन्न स्थानों पर ले जाने की जरूरत है।
अपने पिछले रिमांड आदेश में विशेष अदालत ने जांच एजेंसी एनआईए को हर 24 घंटे में आरोपी तहव्वुर राणा की मेडिकल जांच करने का निर्देश दिया था। साथ ही राणा को हर दूसरे दिन अपने वकील से मिलने की अनुमति दिए जाने की बात भी कही थी।
बता दें कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने चार अप्रैल को मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के सहयोगी रहे राणा की उस याचिका को खारिज कर दी थी जिसमें उसने खुद को भारत डिपोर्ट किए के खिलाफ गुहार लगाई थी। पुनरीक्षण याचिका चार अप्रैल को खारिज किए जाने के बाद राणा को भारत लाया गया था। बता दें कि 26 नवंबर, 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई में हमला किया था जिसमें 166 लोग मारे गए थे।
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