ताजमहल पर हरा चादर… पाकिस्तान के हमले से बचाने की क्या थी वह तरकीब?

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान जंग में मुहाने पर खड़े दिख रहे हैं. यहां बैसरन घाटी में आतंकियों ने पिछले मंगलवार को हिन्दू पर्यटकों का नरसंहार कर दिया था. इस हमले को आज एक हफ्ते पूरे हो गए हैं. इस दौरान भारत ने इन आतंकियों और उनके पनाहगार पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं. सिंधू जल संधि को सस्पेंड और पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साफ किया कि इस हमले के जिम्मेदार लोगों को ऐसा सबक सिखाया जाएगा, जिसकी उसने कल्पणा भी न की होगी.

पीएम मोदी की इस चेतावनी के बाद पाकिस्तान की घबराहट साफ दिखने लगी है. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने तो यह तक कह दिया कि भारत 1 या 2 दिन में हमला कर सकता है. उनके इस बयान ने जंग की आहट को और मजबूत कर दिया.

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते इस तनाव के बीच 1971 के जंग की कई ऐतिहासिक घटनाएं एक बार फिर चर्चा में आ गई हैं. इन्हीं में से एक घटना है, भारत के प्रतीक और विश्व प्रसिद्ध धरोहर ताजमहल को हरे रंग की चादर से ढक दिया गया था. यह कहानी जितनी रोचक है, उतनी ही रणनीतिक भी. जब पाकिस्तान से हवाई हमले की आशंका जताई जा रही थी, तब भारतीय प्रशासन ने देश की धरोहरों को सुरक्षित रखने के लिए कई अनोखे कदम उठाए थे, और ताजमहल के साथ किया गया यह उपाय उनमें सबसे खास था.

क्या था वह डर?
1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा, तब भारतीय खुफिया एजेंसियों को यह अंदेशा था कि पाकिस्तान वायुसेना भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को निशाना बना सकती है. ऐसे हमलों का मकसद न केवल जान-माल का नुकसान पहुंचाना होता है, बल्कि जनता के मनोबल को भी तोड़ना होता है.

इस डर को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन प्रशासन ने ताजमहल को संभावित निशानों में से एक माना और उसे बचाने की योजना बनाई.

कैसे बचाया गया ताजमहल?
ताजमहल की चमचमाती सफेद संगमरमर की इमारत रात के अंधेरे में भी दूर से नजर आ सकती है. यही कारण था कि यह हवाई हमले का एक आसान लक्ष्य बन सकता था. इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय अधिकारियों ने एक ऐसा उपाय निकाला जो आज भी रणनीतिक चतुराई का उदाहरण माना जाता है.

ताजमहल को एक विशाल हरे रंग की कपड़े की चादर से ढक दिया गया, ताकि वह आसमान से देखने पर आसपास के पेड़ों और घास के साथ घुल-मिल जाए. इसके अलावा, इसके आसपास की लाइटें भी बंद कर दी गईं और रात में सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया गया.

अन्य स्मारकों के लिए भी बने थे प्लान
ताजमहल ही नहीं, बल्कि भारत के कई अन्य प्रमुख स्मारकों जैसे लाल किला, कुतुब मीनार, और जैसलमेर किला आदि को भी छिपाने या सुरक्षा देने की विशेष रणनीति अपनाई गई थी. राडार से बचाने के लिए कई जगहों पर नकली ढांचे या छलावरण (camouflage) बनाए गए.

इस पूरे प्रयास में स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन का भरपूर सहयोग किया. आगरा के निवासी यह समझते थे कि ताजमहल केवल एक इमारत नहीं, बल्कि भारत की पहचान है. उन्होंने उस समय धैर्य रखा और प्रशासन के साथ मिलकर सुरक्षा उपायों में मदद की.

Credits To Live Hindustan

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