::::सभी केंद्रों के ध्यानार्थ::::वेब पर न चलाएं खुदकुशी रोकने के लिए आईआईटी कानपुर दे रहा प्रशिक्षण
Kanpur News – – सुसाइड प्रिवेंशन ऑफ इंडिया फाउंडेशन से दिलाई जा रही ट्रेनिंग – राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

– एनईपी के तहत सर्टिफिकेट और डिग्री देने के लिए भी हुआ राज़ी कानपुर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी संस्थान में खुदकुशी के बढ़ते मामलों को लेकर आईआईटी कानपुर ने पहल शुरू की है। संस्थान ने मानवाधिकार आयोग से कहा है कि यहां तनाव कम करने और आत्महत्याएं रोकने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास शुरू किए गए हैं। इसमें सुसाइड प्रिवेंशन ऑफ इंडिया फाउंडेशन (एसपीआईएफ) से प्रशिक्षण दिलाना भी शामिल है। यह जवाब शहर के समाजसेवी पंकज सिंह की याचिका पर चल रहे वाद के दौरान लिखित रूप से दिया गया। पंकज ने दो याचिकाएं दायर की थीं। पहली निस्तारित होने के बाद दूसरी की सुनवाई 16 मई को दिल्ली में हुई।
यहां आईआईटी की ओर से कुलसचिव विश्व रंजन ने आयोग को विस्तार से जवाब दिया कि उन्होंने परिसर में आत्महत्याएं रोकने के लिए क्या प्रयास किए हैं। मेंटल हेल्थ को बढ़ावा देना प्राथमिकता आईआईटी ने पांच पेज के जवाब में किए गए दीर्घकालिक उपायों के बारे में बताया कि संस्थान में नौ प्रोशनल काउंसलर हैं जो 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। इसमें मनोवैज्ञानिक व मनोचिकित्सक शामिल हैं। ऑनलाइन हेल्पलाइन भी हर समय कार्य होता है। प्रीवेंशन ऑफ इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से छात्रों, शिक्षकों, हॉस्टल कमेटियों व अन्य को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है। डी एडिक्शन क्लीनिक्स शुरू किए गए हैं। हर 30 यूजी छात्रों पर एक फैकल्टी एडवाइजर बनाया गया है। क्राइसिस मैनेजमेंट प्रोटोकॉल कई तरह के क्राइसिस मैनेजमेंट प्रोटोकॉल लागू किए गए हैं जिसमें परीक्षा के समय हॉस्टल में काउंसलर की उपस्थिति शामिल हैं। फैकल्टी और स्टाफ को प्रशिक्षण, मूल्यांकन का फीडबैक, परिवार के सदस्यों को प्रशिक्षण ताकि छात्र में तनाव कम हो सके और छात्रों के सहयोग को भी शामिल किया गया है। सर्टिफिकेट व डिप्लोमा भी ले सकेंगे नई एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) के तहत छात्रों को इस बात की छूट दी गई है कि वे अपने प्रोग्राम से बाहर हो सकते हैं। जितना जैसा कोर्स पूरा किया है उसके अनुसार सर्टिफिकेट व डिप्लोमा आदि दे दिया जाएगा। पीएचडी के नव प्रवेशित छात्रों को पहले सेमेस्टर में टर्मिनेट न करने की छूट दी है। मानवाधिकार में यह है लंबित केस समाजसेवी की पहली रिट के निस्तारण के बाद दूसरी की सुनवाई चल रही है। इसमें दिए गए आंकड़ों के अनुसार 19-12-2023 से 18 जनवरी 2024 तक तीन आत्महत्याओं के प्रकरण सामने आए। इसके बाद फरवरी 2024 में एक मामला सामने आया। 19 सालों में 15 सुसाइड के मामले सामने आए। —————– संस्थान में कुछ प्रमुख आत्महत्याएं – 19 दिसंबर 2023 शोध सहायक स्टाफ डॉ. पल्लवी चिल्का – 10 जनवरी 2024 एमटेक छात्र विकास मीणा – 18 जनवरी 2024 पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल – 10 अक्तूबर 2024 को पीएचडी छात्रा प्रगति – 10 फरवरी 2025 को पीएचडी रिसर्च स्कॉलर अंकित यादव ::::कोट 16 मई को मानवाधिकार आयोग में सुनवाई हुई थी जिसमें आईआईटी कानपुर का जवाब हमें उपलब्ध कराया गया है। आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि अगर इसमें याची को कोई कमी दिखती है तो वह 26 जून 2025 तक जवाब दे सकते हैं। – पंकज सिंह, याचिकाकर्ता (मानवाधिकार आयोग)