राहुल गांधी का हठ और तेजस्वी की जिद… क्या बलि का बकरा बने कन्हैया कुमार?

Reported by:

Last Updated:

Congress Kanhaiya Politics in Bihar: राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मुलाकात के बाद कांग्रेस को बिहार में 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना बढ़ी है. क्या लालू यादव के इशारे पर एक बार फिर से बिहार में कन्हैया कु…और पढ़ें

राहुल गांधी का हठ और तेजस्वी की जिद... क्या बलि का बकरा बने कन्हैया कुमार?

कांग्रेस ने कन्हैया कुमार का डर दिखाकर आरजेडी को बैकफुट कर दिया?

हाइलाइट्स

  • कांग्रेस बिहार चुनाव 2025 में भी 70 सीटों पर लड़ सकती है चुनाव
  • बिहार चुनाव में कन्हैया कुमार की भूमिका सीमित की गई?
  • राहुल-तेजस्वी की मुलाकात और कन्हैया कुमार बिहार चुनाव से आउट?

नई दिल्ली. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मुलाकात के बाद कांग्रेस की एक बार फिर से बिहार में 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना मजबूत हुई है. 15 अप्रैल को हुई मुलाकात से पहले आरजेडी किसी भी हालत में कांग्रेस को 70 सीट छोड़ दीजिए 50 सीट भी देने को तैयार नहीं थी. लेकिन, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की पहल के बाद अब कुछ बात बनती नजर आ रही है. बीते 15 अप्रैल को तेजस्वी यादव और राहुल गांधी एक साथ बैठे और महागठबंधन की राजनीति बिहार में फिर से दौड़ने लगी. इस मीटिंग में क्या हुआ, क्या नहीं हुआ इसकी खबर तो पुख्ता रूप से बाहर निकल कर नहीं आई है. लेकिन गुरुवार को महागठबंधन की बैठक के बाद कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार की बिहार में राजनीतिक हैसियत का पता जरूर लग गया है.

गुरुवार को पटना में महागठबंधन की मीटिंग में जहां घटक दलों के कई प्रतिनिधि मौजूद थे, वहां कन्हैया कुमार नदारद नजर आए. कांग्रेस ने जिस कन्हैया कुमार को एक महीने पहले बिहार में चेहरा बनाया था, वहीं कन्हैया कुमार महागठबंधन की मीटिंग से गायब नजर आए. कांग्रेस की तरफ से प्रदेश प्रभारी कृ्ष्णा अल्लावरु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम सहित कई और नेता मौजूद थे. लेकिन कन्हैया कुमार की गैरमौजूदगी दिल्ली में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के मीटिंग के बाद कई सवाल को जन्म दे रहा है. क्या कांग्रेस ने कन्हैया कुमार का जो डर तेजस्वी यादव और लालू यादव को दिखाया था, वह काम कर गया? क्या कन्हैया कुमार बिहार चुनाव से नदारद रहेंगे? क्या इसके बदले कांग्रेस अब बिहार में 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी?

कन्हैया का डर या फिर कोई नई चाल?
कन्हैया कुमार को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस ने एक प्रमुख चेहरा बनाकर पेश किया था. कांग्रेस की ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ यात्रा जब बेगूसराय पहुंची तो वहां राहुल गांधी भी पहुंचे थे. लेकिन, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 15 अप्रैल 2025 को दिल्ली में हुई बैठक के बाद कन्हैया की सक्रियता कम नजर आ रही है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की बैठक में सीट बंटवारे और महागठबंधन की चुनावी रणनीति पर चर्चा हुई. इस दौरान कन्हैया कुमार की भूमिका को सीमित करने का फैसला लिया गया ऐसा गुरुवार को महागठबंधन की मीटिंग के बाद नजर आ रहा है. क्योंकि, लालू यादव और तेजस्वी यादव कन्हैया की बढ़ती लोकप्रियता से असहज थे.

कांग्रेस लड़ेगी 70 सीटों पर चुनाव!
आरजेडी सूत्रों की मानें तो तेजस्वी कन्हैया की राजनीति से नाराज थे और उनकी भूमिका को कम करने की मांग कर रहे थे. तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार के बीच पहले से तल्खी रही है, जो 2019 के बेगूसराय लोकसभा चुनाव से शुरू हुई थी. जब आरजेडी ने कन्हैया के खिलाफ उम्मीदवार उतारा था. लालू यादव बिहार में कन्हैया कुमार को तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य के लिए संभावित चुनौती मानते हैं. कन्हैया की भाषण देने की शैली, मुस्लिमों में पैठ और युवाओं में लोकप्रियता तेजस्वी के मुकाबले मजबूत है. इस वजह से आरजेडी ने कन्हैया कुमार के नाम पर कांग्रेस की बात हर बात मान ली है.

कांग्रेस बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कन्हैया को लॉन्च कर रही थी, लेकिन आरजेडी के साथ गठबंधन को बनाए रखने के लिए कन्हैया को बलि का बकरा बना दिया गया. कांग्रेस नहीं चाहती कि कन्हैया के बयानों या सक्रियता से गठबंधन में दरार आए, खासकर जब तेजस्वी के मुद्दे भी कन्हैया के नौकरी, शिक्षा और पलायन से मिलते-जुलते हैं.

homebihar

राहुल गांधी का हठ और तेजस्वी की जिद… क्या बलि का बकरा बने कन्हैया कुमार?

और पढ़ें

Credits To Live Hindustan

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *