राफेल M हुआ हमारा, 37 महीने में मिलेगी पहली खेप, पाक की हेकड़ी पर लगेगी ब्रेक

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RAFALE M: पाकिस्तान के पास समुद्री सीमा है. अब भविष्य में जरूरत पड़ने पर भारतीय फाइटर पाक के अंदर तक घुस कर अटैक कर सकती है. भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर है. फिलहाल दोनों कैरियर से मिग 29K ही ऑपरेट किए जा र…और पढ़ें

राफेल M हुआ हमारा, 37 महीने में मिलेगी पहली खेप, पाक की हेकड़ी पर लगेगी ब्रेक

पाक नेवी को बचने के लिए कम पड़ जाएगा पूरा समंदर

हाइलाइट्स

  • भारत ने 26 राफेल M की खरीद पर हस्ताक्षर किए.
  • पहला बैच 37 महीने बाद भारत को मिलेगा.
  • राफेल M पाकिस्तानी हेकड़ी पर ब्रेक लगाएगा.

RAFALE M: भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच नौसेना का कैरियर बैटल ग्रुप अरब सागम में अपने ऑरेशनल डिप्लॉयमेंट पर है. INS विक्रांत मिग 29 K के फाइटर के साथ वहां मौजूद है. लेकिन अब तीन साल में विक्रांत पर नए राफेल M उड़ान भरने लगेंगे.  भारतीय नौसेना ने अपने स्वदेशी एयरक्रफ्ट कैरियर के लिए दो एयरक्राफ़्ट को शॉर्ट लिस्ट किया था. एक F-18 सुपर हॉरनेट और दूसरा फ्रांस का राफेल मरीन. ‘दुनिया के सबसे बेहतर नेवल फाइटर F-18 के इस रेस में पीछे रह गया. भारत ने राफेल को चुना और 63,000 करोड़ रूपये की कीमत से 26 राफेल M की खरीद पर दस्तखत कर दीए. सोमवार को बारत और प्रांस के बीच गवर्मेंट टू गवर्मेंट डील पर हस्ताक्षर हो गए. अब सवाल यह है कि कब तक राफेल भारत को मिलने लगेंगे. तो जवाब है पहला बैच राफेल का डील से 37 महीने बाद आ जाएगा. सभी 26 राफेल के डिलिवरी की डेडलाईन साल 2030 रखी गई है.

ऐसे होते ही बड़े सैन्य डील की पेंमेंट
राफेल का पूरा सौदा 63,000 करोड़ रूपये का है. डील साइन होने के बाद पूरी कीमत का 15 फीसदी पेमेंट देना होता है. सूत्रों के मुताबिक एक साथ तो सभी एयरक्राफ्ट मिल नही रहे है, 2-2 या 3-3 के बैच में ही यह भारत आएंगे तो इनकी पेमेंट भी उस तरह के पार्ट में होता है. इसे माइलस्टोन बेस्ड पेमेंट कहा जाता है. जिसमें एयरक्राफ्ट नर्माण के अलग अलग फेज पूरा होने पर कुछ पर्सनटेज पेमेंट करना होता है. इसके बाद जब पहला बैच आ जाए तो उसके बाद फिर अलग अलग चरण में बाकी पेमेंट की जाती है.

अमेरिकी F-18 को रेस में हराया
F-18 के हारने के पीछे सबसे बड़ी वजह में से एक था इसका 4 दशक पुराना होना. पिछले 40 साल से ज़्यादा वक्त से अमेरिकी नौसेना अपने एयरक्रफ्ट कैरियर से F-18 सुपर हॉर्नेट के अलग अलग वर्जन को उड़ा रही है. राफेल बिलकुल नया एयक्राफ्ट है. कैटोबार से टेकऑफ करने में माहिर इस F-18 को स्की जंप से टेकऑफ का कोई अनुभव नहीं था. इस डील में बने रहने के लिए एयरक्रफ्ट में कुछ बदलाव कर स्की जंप में अपने को माहिर किया था. सारे ट्रायल को पार कर यह आईएनएस विक्रांत से उड़ान भरने के लिए प्रबल दावेदार के तौर पर खुद को स्थापित किया था. आकार में यह बडा जरूर है लेकिन इसके विंग फोल्ड होने के चलते आसानी से लिफ्ट के जरिए हैंगर से फ्लाइंग डेक तक पहुंच सकते है. हांलाकि कीमत में F-18 राफेल से सस्ता है बावजूद इसके भारत ने नई तकनीक के घातक एयरक्राफ्ट को चुना.

राफेल की खासियत ने खामी को छिपाया
राफेल M बिलकुल नया एयरक्राफ्ट है. नई तकनीक से लेस है. भारत के सबसे भरोसेमंद पार्टरन के तौर फ्रांस को जाना जाता है. राफेल M ने अपनी खासियत बेहतर ढंग से दिखाया. एयरक्रफ्ट कैरियर पर ऐसे एयरक्रफ्ट रखे जाते हैं जिनके विंग फोल्ड हो जाते है. राफेल M के विंग फोल्ड नहीं होते. लेकिन ट्रायल के दौरान राफेल M ने स्की जंप से टेकऑफ और एरोस्टर लैंडिंग वायर के जरिए आसानी से लैंड करने की अपनी महारत को दिखाया.इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी रेंज और शर्ट रनवे से फुल लोड के साथ टेकऑफ लेना. राफेल 2200 किलोमीटर प्रतिघंटा की टॉप स्पीड पर उड़ान भर सकता है. एक बार टेकऑफ लेने के बाद यह 37000 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है. यह 57000 फिट की उचांई तक आसानी से जा सकता है. राफेल जेट फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाए गए हैं. यह ट्विन इंजन मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है. एयर टू एयर और एयर टू सर्फेस मार करने वाली मिसाइलों से लेस है. एंटी शिप मिसाइलें दागने में महिर है. हवा में इंधन भरने की क्षमता इसकी माकर क्षमता में इजाफा कर देता है.

लॉजेस्टकि शेयरिंग और ट्रेनिंग आसान
भारतीय वायुसेना में भी 36 राफेल मौजूद है. उसकी मेंटिनेस फैसिलिटी भी सेटअप किया जा चुका है. तो अगर किसी भी तरह की मेंटेनेंस की जरूरत रफाल M को हुई तो उसके लिए नई फेसेलिटी तैयार करने की जरूरत नहीं होगी. इसके अलवा डॉसॉल्ट एवियेशन के मिराज 2000 भी वायुसेना में शामिल हैं. मेंटेनेन्स के ऑप्शन रफाल M के पास पहले से ही मौजूद है लेकिन F-18 सुपर हॉरेनेट के लिए नई फैसेल्टी तैयार करनी होगी. नौसेना के एयरक्रफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य से मिग 29 K को ऑप्रेट किया जा रहा है. वायुसेना भी मिग 29 को शामिल है. ऐसे में अगर किसी भी तरह की मेंटेनेन्स की जरूरत होती है तो मिग 29 K को उनके फेसेलिटी में दुरुस्त किए जाते हैं.

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