परशुराम का अस्त्र, वैज्ञानिकों का दिमाग, बना भार्गवास्त्र, पाक की नई टेंशन
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भार्गवास्त्र, हार्ड किल मोड में डिजाइन किया गया एक नया कम लागत वाला काउंटर-ड्रोन सिस्टम है. ये 2.5 किमी तक की दूरी पर छोटे और आने वाले ड्रोन का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने की क्षमता से लैस है.

भारत ने स्वदेशी काउंटर ड्रोन सिस्टम भार्गवास्त्र का परीक्षण किया.(Image: Social Media)
हाइलाइट्स
- भारत ने मंगलवार को कम लागत वाली ड्रोन रोधी प्रणाली भार्गवास्त्र का परीक्षण किया.
- यह 2.5 KM तक के दायरे में ड्रोन के लिए माइक्रो रॉकेट का उपयोग करती है.
- इसका मॉड्यूलर डिजाइन सॉफ्ट-किल, हार्ड-किल विकल्पों को एक साथ देता है.
नई दिल्ली. अभी 2 दिन पहले पाकिस्तान ने भारत की सीमाओं पर सैकड़ों ड्रोनों से हमला कर दिया था. इनको तबाह करने के लिए भारत ने महंगे मिसाइल सिस्टम का उपयोग किया. मगर अब ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. भगवान परशुराम के अस्त्र से प्रेरणा लेकर भारत के साइंटिस्टों ने भार्गवास्त्र नाम सस्ता मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैयार कर लिया है. भारत ने भार्गवास्त्र नामक एक नए कम लागत वाले काउंटर-ड्रोन सिस्टम का सफलतापूर्वक टेस्ट किया है. ये ड्रोन झुंडों के बढ़ते खतरे से निपटने में एक बड़ी सफलता है. सिस्टम के माइक्रो रॉकेट का मंगलवार को ओडिशा के गोपालपुर में सीवर्ड फायरिंग रेंज में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. जिसने सभी तय टारगेट को पूरा किया. हार्ड किल मोड में डिजाइन किया गया भार्गवास्त्र, 2.5 किमी तक की दूरी पर छोटे और आने वाले ड्रोनों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने की क्षमताओं से लैस है. सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (एसडीएएल) द्वारा विकसित रॉकेट के लिए तीन परीक्षण किए गए, जो आर्मी एयर डिफेंस (एएडी) के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में किए गए.
एक-एक रॉकेट दागकर भार्गवास्त्र के दो परीक्षण किए गए. एक परीक्षण दो सेकंड के भीतर साल्वो मोड में दो रॉकेट दागकर किया गया. सभी चार रॉकेटों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया और आवश्यक लॉन्च पैरामीटर हासिल किए. जिससे बड़े पैमाने पर ड्रोन हमलों को मार गिराने में इसकी तकनीक को दिखाया गया. भार्गवास्त्र में रक्षा की पहली लेयर के रूप में अन गाइडेड माइक्रो-रॉकेट का उपयोग किया गया है, जो 20 मीटर की घातक रेंज वाले ड्रोनों के झुंड को बेअसर करने में सक्षम है. दूसरी डिफेंस लेयर के रूप में गाइडेड माइक्रो-मिसाइल का उपयोग किया गया है. जो सटीक और प्रभावी निशाना लगाने में सक्षम है.
भार्गवास्त्र की लागत कम
भार्गवास्त्र की अनुकूलनशीलता और कम लागत पर रोशनी डालते हुए, SDAL ने इसके स्वदेशी डिजाइन और ड्रोनों को बेअसर करने के लिए समर्पित रॉकेट और माइक्रो-मिसाइल के विकास पर जोर दिया. इसके अलावा, यह सिस्टम मॉड्यूलर है और इसमें जैमिंग और स्पूफिंग को शामिल करने के लिए एक अतिरिक्त सॉफ्ट-किल लेयर बढ़ाई जा सकती है. जो सेनाओं के सभी अंगों के लिए एक एकीकृत और व्यापक ढाल प्रदान करती है.
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भार्गवास्त्र का नाम
भार्गवास्त्र का नाम भगवान परशुराम के दिव्य अस्त्र के नाम पर रखा गया है. भगवान परशुराम का ये दिव्य अस्त्र बहुत ज्यादा संहारक माना जाता था. इसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है. कथा के मुताबिक कर्ण ने भगवान परशुराम से धनुष चलाने की कला सीखी थी. इसमें कर्ण ने भार्गवास्त्र भी चलाना सीखा था. जिसका उपयोग उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन के खिलाफ भी किया था. आधुनिक भार्गवास्त्र को ड्रोनों के झुंड को मार गिराने के लिए बनाया गया है.
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Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
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