परमात्‍मा चाहेगा तो ही बचेंगे…उनकी कहानी ज‍िन्‍होंने हमले को लाइव देखा

पहलगाम की बैसरन वैली में सुबह का वक्त था. ठंडी हवाएं, बर्फ से ढके पहाड़ और हर तरफ फैली हरियाली. सैलानी अपने परिवार और दोस्तों के साथ घुड़सवारी कर रहे थे, सेल्फी ले रहे थे, और सोशल मीडिया के लिए वीडियो बना रहे थे. कुछ लोग चाय की चुस्कियां लेते हुए कश्मीर की खूबसूरती को निहार रहे थे. लेकिन अचानक गोलियों की आवाज ने सबकुछ बदल दिया. जिस वीडियो में चंद सेकेंड पहले खुश‍ियां कैद हो रही थीं, अब उसी में कंपकपाती आवाजें कैद होने लगी. लोग कहते दिखे… परमात्‍मा चाहेगा तो ही बचेंगे, क्‍योंक‍ि आतंकी आ गए हैं.

सोशल मीडिया में ऐसे तमाम वीडियोज वायरल हो रहे हैं, जिनमें पर्यटकों ने आपबीती सुनाई. शख्‍स अपनी वीडियो बनवा रहा है, तभी पीछे से तड़ताड़ गोल‍ियों की आवाज गूंजने लगती है. वह इधर, उधर देखता है, कुछ समझ नहीं आता. मगर थोड़ी ही देर बाद यकीन हो जाता है क‍ि आतंक‍ियों ने हमला कर द‍िया. फ‍िर चीख पुकार मच जाती है. एक दूसरा वीडियो है, जिसमें एक शख्‍स कह रहा है, अब तो परमात्‍मा ही बचाए. क्‍योंक‍ि आतंकी आ गए हैं. पीछे से मह‍िलाओं-बच्‍चों की चीख सुनाई दे रही है.

मेरे सामने ही मेरे पापा को…
पुणे की रहने वाली एक मह‍िला ने बताया, हम लोग घुड़सवारी कर रहे थे. मैंने अपने पापा के साथ एक वीडियो बनाया था, जिसमें वो हंसते हुए घोड़े पर बैठे थे. तभी अचानक गोलियों की आवाज आई. पहले तो हमें लगा कि कोई पटाखे फोड़ रहा है, लेकिन फिर चीख-पुकार मच गई. आतंकी पुलिस की वर्दी में थे, मास्क लगाए हुए. उन्होंने मेरे पापा को तंबू से बाहर बुलाया और जबरन कलमा पढ़ने को कहा. जब पापा नहीं पढ़ पाए, तो उनके सिर और सीने में तीन गोलियां मार दीं. मेरे सामने मेरे पापा को… यह कहते कहते मह‍िला की आवाज कांपने लगी. वो आगे बोल नहीं पाईं.

चिल्‍लाए बाहर निकलो नाम बताओ
दोस्तों के साथ पहलगाम में कैंपिंग कर रहे द‍िल्‍ली के रहने वाले विकास शर्मा ने भी आपबीती शेयर की है. उन्‍होंने लिखा, हम लोग तंबू में बैठकर गाना गा रहे थे. बाहर कुछ लोग घुड़सवारी कर रहे थे. अचानक 6-7 लोग आए, जिनके चेहरों पर मास्क थे. वो चिल्लाए, बाहर निकलो, नाम बताओ! मेरे दोस्त ने जैसे ही अपना नाम बताया, उन्होंने गोली चला दी. मैं जमीन पर लेट गया, लेकिन मेरे दोस्त को चार गोलियां लगीं. चारों तरफ खून ही खून था. मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा मंजर नहीं देखा.

मेरी बेटी रोने लगी…
लखनऊ के रहने वाले राहुल ने लिखा, मैं अपनी पत्नी और बेटी के साथ पहाड़ी से नीचे उतर रहा था. अचानक गोलियां चलने लगीं. हम तंबू में भागे, वहां 6-7 लोग पहले से छिपे थे. आतंकी एक-एक तंबू में घुस रहे थे. मेरी बेटी रो रही थी, मैंने उसे चुप कराने की कोशिश की. हमने सोचा था कि पुलिस आएगी, लेकिन 20 मिनट तक कोई मदद नहीं पहुंची. वो 20 मिनट जिंदगी के सबसे लंबे पल थे.

Credits To Live Hindustan

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