PoK से ढाका तक ISI ने किसकी मदद से बुना आतंक का जाल, हमास का क्या कनेक्शन?

Exclusive on Pahalgam Attack : जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार हरकत में आ गई है और पाकिस्तान को सबक सिखाने की तैयारी कर रही है. शीर्ष सरकारी सूत्रों ने News18 को बताया कि इस हमले के पीछे हमास के पिछले साल इजरायल पर किए गए हमले जैसा ही पैटर्न था. खुफिया जानकारी से पता चलता है कि यह पैटर्न न केवल भारत बल्कि कई अन्य देशों को भी अस्थिर करने की साजिश का हिस्सा हो सकता है.
खुफिया सूत्रों के अनुसार पहलगाम हमले में शामिल चार आतंकवादियों में से दो पाकिस्तानी थे और दो स्थानीय कश्मीरी. इन सभी को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के शिविरों में प्रशिक्षित किया गया था. चौंकाने वाली बात यह है कि इन शिविरों में हमास ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के ठिकानों के भीतर एक विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल स्थापित किया था जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का समर्थन प्राप्त था.
हमास से हो सकता है पहलगाम हमले का कनेक्शन
खुफिया जानकारी यह भी बताती है कि इसी साल 5 फरवरी को इजरायल द्वारा रिहा किए गए हमास के कुछ नेता पाकिस्तानी सरकार के निमंत्रण पर पाकिस्तान गए थे. उन्हें PoK ले जाया गया जहां उन्होंने LeT और JeM के आतंकवादियों से मुलाकात की. रावलकोट में एक रैली भी आयोजित की गई जहां हमास के नेताओं को घोड़ों पर घुमाया गया और क्रांतिकारी के रूप में सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में हमास के प्रवक्ता डॉ. खालिद कद्दूमी और डॉ. नाजी ज़हीर साथ ही वरिष्ठ नेता मुफ्ती आज़म और बिलाल अलसल्लात भी मौजूद थे.
रैली में शामिल हुए थे कई बड़े आतंकी
इस रैली में पाकिस्तान स्थित कई बड़े आतंकवादी नेता भी शामिल हुए, जिनमें JeM प्रमुख मसूद अज़हर का भाई तल्हा सैफ, लॉन्चिंग कमांडर असगर खान कश्मीरी और LeT के कई वरिष्ठ कमांडर शामिल थे. रैली का उद्देश्य यह संदेश देना था कि कश्मीर और फिलिस्तीन एक ही पैन-इस्लामिक जिहाद का हिस्सा हैं और उम्मा को भारत और इजरायल के खिलाफ एकजुट होना चाहिए.
भारत में जहर फैलाने के लिए ढाका की भी की थी यात्रा
एक अन्य खुफिया जानकारी से पता चला है कि पिछले साल 7 अक्टूबर को ISI ने हमास के नेताओं को ढाका भी भेजा था ताकि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भी इसी तरह की कट्टरपंथी विचारधारा फैलाई जा सके. यह कार्यक्रम ‘अल मरकज़ुल इस्लामी’ द्वारा आयोजित किया गया था. इसके संस्थापक मुफ्ती शाहिदुल इस्लाम का अल-कायदा से सीधा संबंध था.
पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश
भारत सरकार ने पहले ही पाकिस्तान को कूटनीतिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के लिए कदम उठाए हैं और अब सैन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है. इन खुफिया जानकारियों का उपयोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन जुटाने और कड़ी प्रतिक्रिया के लिए देश के भीतर सहमति बनाने के लिए किया जा रहा है.
मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद खुफिया एजेंसियां और भी सतर्क
हाल ही में मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद खुफिया एजेंसियां और भी सतर्क हो गई हैं और इसे एक बड़े पैटर्न का हिस्सा मान रही हैं. भारत के साथ एकजुटता दिखाने वाले पहले देशों में इजरायल भी शामिल था, जिसने खुद हमास के अत्याचारों को झेला है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी एक रैली में इजरायल के समर्थन का उल्लेख किया जिसे दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ एकता का संदेश माना गया.
भारत सरकार अब तेजी से फैसले ले रही है और संभावित सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर रही है. इन खुलासों का इस्तेमाल वैश्विक समुदाय को यह बताने के लिए किया जा रहा है कि लोकतांत्रिक देशों को अस्थिर करने के लिए समान विचारधारा, प्रशिक्षण शिविर और समन्वित जिहादी हिंसा का इस्तेमाल किया जा रहा है.
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