पीएम मोदी जहां से लौटे अब वहां पहुंचा इंडियन नेवी का ‘ब्रह्मास्त्र’
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INS Sahyadri: भारत लगातार पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में जुटा है. हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते कदम को देखते हुए इंडियन नेवी भी सतर्क हो गई है.

आईएनएस सह्याद्री कोलंबो पहुंचा है.
नई दिल्ली. भारत और श्रीलंका के बीच मजबूत समुद्री संबंध हैं. इन संबंधों को और मजबूत करने के लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं. इस कड़ी में अब इंडियन नेवी की ईस्टर्न फ्लीट का आधुनिक युद्धपोत आईएनएस सह्याद्रि श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पहुंचा है. सोमवार को आईएनएस सह्याद्रि के कोलंबो पहुंचने पर भारतीय नौसेना ने इसकी जानकारी दी. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका से अभी अभी लौटे हैं.
गौरतलब है कि नौसेनिक युद्धपोत आईएनएस सह्याद्रि हिंद महासागर क्षेत्र में तैनात है. भारत का मानना है कि आईएनएस सह्याद्रि का यह कोलंबो दौरा क्षेत्रीय सहयोग में एक अहम कदम है, जो समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है. आईएनएस सह्याद्रि के कोलंबो पहुंचने के साथ ही अब यहां दोनों देशों के नौसैनिकों के बीच पेशेवर बातचीत आयोजित की जाएगी.
इस दौरान दोनों देशों की नेवी के जवान अपने-अपने अनुभव और संयुक्त गतिविधियों में भाग लेंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे दोनों समुद्री बलों के बीच ऑपरेशनल कोऑर्डिनेशन को और बढ़ावा मिलेगा. इंडियन नेवी के आईएनएस सह्याद्रि का श्रीलंका का यह दौरा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करता है. नौसेना के मुताबिक यह भारत की पड़ोसी प्रथम की नीति और महासागर पहल के तहत पड़ोसी देश के साथ सहयोग को आगे बढ़ाता है. भारतीय नौसेना का कहना है कि वह क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने और मित्र देशों के साथ नौसैनिक कूटनीति को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है.
इसके अलावा भारतीय नौसेना के स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस तरकश और रॉयल न्यूजीलैंड नौसेना के एंजैक-श्रेणी फ्रिगेट के जहाज के बीच एक महत्वपूर्ण समुद्री अभ्यास का आयोजन किया गया. दोनों देशों ने यह अभ्यास अदन की खाड़ी में किया. इसमें कई तरह के अभ्यास शामिल थे जैसे कि क्रॉस-डेक लैंडिंग, क्रॉस बोर्डिंग, सी राइडर एक्सचेंज और सामरिक (टैक्टिकल) युद्धाभ्यास. रक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह अभ्यास दोनों नौसेनाओं को सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करने में सहायक रहा है। इससे द्विपक्षीय समुद्री सहयोग को मजबूत करने और पारस्परिक संचालन क्षमता को बढ़ाने का एक अवसर भी मिला है.
यह अभ्यास भारत और न्यूजीलैंड के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों को दर्शाता है. नौसेना के मुताबिक यह क्षेत्रीय समुद्री स्थिरता के प्रति भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता और एक प्रमुख सुरक्षा साझेदार के रूप में नौसेना की भूमिका को फिर से एक बार पुष्ट करता है.
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