पंजाब ने बदला जमीन का कानून, किसानों को मिल गई गुड न्यूज, होगा करोड़ों का लाभ

पंजाब सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए नई लैंड पूलिंग पॉलिसी लागू कर दी है. पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के मुताबिक, यह नई पॉलिसी किसानों को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी, बल्कि उनकी जमीन को लैंड माफिया और प्राइवेट डेवलपर्स के शोषण से भी बचाएगी.

इस नीति को ‘किसानों की समृद्धि की गारंटी’ करार देते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दावा किया है कि अब किसानों को उनकी जमीन की असल कीमत मिलेगी और वह भी बिना किसी जोर-जबरदस्ती के. यह नीति पंजाब के किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है, क्योंकि यह उन्हें न केवल करोड़ों रुपये का मुनाफा देगी, बल्कि पूरी तरह से विकसित जमीन और आधुनिक सुविधाओं के साथ उनकी संपत्ति की कीमत को कई गुना बढ़ाएगी. आइए, इस नीति के फायदों और इसके प्रभाव को विस्तार से समझते हैं.

कोई जबरन नहीं ले सकेगा किसान की जमीन

नई लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत अब कोई भी निजी डिवेलपर किसानों को बहला-फुसलाकर या जबरदस्ती उनकी जमीन नहीं ले सकेगा. किसान अपनी जमीन सरकार को देंगे या नहीं, इसका फ़ैसला पूरी तरह उन्हीं का होगा. अगर कोई किसान खेती जारी रखना चाहता है, तो वह अपनी जमीन अपने पास भी रख सकता है. कोई भी निर्माण कार्य तब तक शुरू नहीं किया जा सकेगा, जब तक किसान अपनी लिखित मंजूरी (NOC) नहीं देगा.

इस नीति का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान अब अपनी जमीन सीधे सरकार को देगा, न कि किसी प्राइवेट डेवलपर को. सरकार इस जमीन को पूरी तरह से विकसित करके किसान को वापस लौटाएगी. इन विकसित जमीनों में सड़कें, बिजली और पानी के कनेक्शन, सीवरेज सिस्टम, स्ट्रीट लाइट्स, और पार्क जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी. ये प्लॉट्स न केवल रहने के लिए उपयुक्त होंगे, बल्कि इनकी कीमत बाजार दर से चार गुना तक अधिक होगी. सरकार की ओर से किसान को एक लिखित पत्र भी दिया जाएगा, जिसमें उसका हिस्सा स्पष्ट रूप से दर्ज होगा. यह पारदर्शिता सुनिश्चित करती है कि किसान को उसकी जमीन का पूरा मूल्य मिले और कोई धोखाधड़ी न हो.

अब मिलेगा चार गुना मुनाफा?

इस नीति के मुनाफे को एक उदाहरण से समझा जा सकता है. मान लीजिए, आज पंजाब में एक एकड़ जमीन का कलेक्टर रेट 30 लाख रुपये है, और बाजार में इसे बेचने पर 1 से 1.25 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. लेकिन नई लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत, अगर किसान अपनी एक एकड़ जमीन सरकार को देता है, तो उसे 1000 गज का रिहायशी प्लॉट और 200 गज का कमर्शियल प्लॉट मिलेगा. रिहायशी प्लॉट की कीमत 30,000 रुपये प्रति गज होने पर 3 करोड़ रुपये और कमर्शियल प्लॉट की कीमत 60,000 रुपये प्रति गज होने पर 1.2 करोड़ रुपये होगी. इस तरह, किसान को कुल 4.2 करोड़ रुपये का मुनाफा होगा. यह राशि उस रकम से कहीं अधिक है, जो पहले डेवलपर्स की जेब में चली जाती थी. अब यह पैसा सीधे किसान की जेब में जाएगा, जो उसकी आर्थिक स्थिति को पूरी तरह से बदल सकता है.

किसानों के दोनों हाथों में लड्डू?

किसानों को इस नीति में पूरी आजादी दी गई है. वह चाहे तो 500-500 गज के दो प्लॉट ले सकता है, और इन्हें रखने या बेचने का फैसला भी उसका होगा. यह नीति केवल एक एकड़ जमीन तक सीमित नहीं है; जितनी अधिक जमीन किसान देगा, उतना ही अधिक मुनाफा उसे मिलेगा. मतलब अगर कोई किसान 9 एकड़ जमीन सरकार को देता है, तो उसे 3 एकड़ ग्रुप हाउसिंग की विकसित जमीन मिलेगी. अगर कई किसान मिलकर 50 एकड़ जमीन सरकार को सौंपते हैं, तो उन्हें 30 एकड़ पूरी तरह से विकसित जमीन मिलेगी, जिसमें बिजली, पानी, सड़क, और सीवरेज जैसी सभी सुविधाएं सरकार की तरफ से प्रदान की जाएंगी. यह साझेदारी मॉडल न केवल किसानों को आर्थिक लाभ देगा, बल्कि पंजाब में योजनाबद्ध शहरीकरण को भी बढ़ावा देगा.

इस नीति का एक और महत्वपूर्ण पहलू है अवैध कॉलोनियों पर रोक… पंजाब में लंबे समय से लैंड माफिया और प्राइवेट डेवलपर्स मिलकर गैर-कानूनी कॉलोनियां बनाए जा रहे थे. इनमें न तो मूलभूत सुविधाएं थीं और न ही कानूनी वैधता… इन कॉलोनियों ने न केवल किसानों को लूटा, बल्कि खरीददारों को भी धोखे में रखा. नई लैंड पूलिंग पॉलिसी ने इस खेल को खत्म करने का वादा किया है. अब सरकार की देखरेख में ही जमीन का विकास होगा, और सभी प्रक्रियाएं पारदर्शी होंगी। इससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि शहरी विकास भी नियोजित और टिकाऊ होगा.

Credits To Live Hindustan

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