PAK की वो जगह जहां इंडियन आर्मी कर सकती है अटैक, आतंकियों की जान बसती है यहां
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Pahalgam Attack Surgical Strike : उरी और पुलवामा हमलों के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकियों के शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक थी. अब पहलगाम हमले के बाद नॉन-मिरान शाह, मानसेहरा, मंगला, रावलकोट और मुरीदके रड…और पढ़ें

पाकिस्तान में आतंकियों के कई टेरर केंप चल रहे हैं.
हाइलाइट्स
- भारतीय सेना पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक कर सकती है.
- नॉन-मिरान शाह, मानसेहरा, मंगला, रावलकोट और मुरीदके रडार पर हैं.
- खुफिया एजेंसियों ने आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों की जानकारी दी है.
उरी और पुलवामा जैसे हमलों के बाद भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंक के ठिकानों को सीमा पार जाकर भी निशाना बना सकती है. न्यूज18इंडिया को खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान में कई ऐसे प्रशिक्षण शिविर हैं जहां आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है. पहलगाम हमले के बाद इंडियन आर्मी इन कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई कर सकती है.
वो ठिकाने जो रडार पर
1. नॉन-मिरान शाह
खैबर पख्तूनख्वा में 1998 से सक्रिय यह इलाका लश्कर-ए-तैयबा के पुराने प्रशिक्षण अड्डों में से एक है। यहां आतंकियों को बेसिक से लेकर एडवांस ट्रेनिंग दी जाती है. यह क्षेत्र काफी दूरदराज है, जिससे यहां पर सर्जिकल स्ट्राइक की संभावना बढ़ जाती है.
2. मानसेहरा के जंगल और खोस्त
यह क्षेत्र घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा है, जहां गुप्त रूप से आतंकी प्रशिक्षण चलता है. खुफिया एजेंसियों के अनुसार, यहां सटीक जानकारी मिलने पर भारतीय सेना ऑपरेशन कर सकती है.
3. मंगला और हेड मराल
मीरपुर और सियालकोट में मौजूद ये ट्रेनिंग कैंप हाल ही में फिर से एक्टिव किए गए हैं. लश्कर सरगना हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद की देखरेख में यहां वाटर-इनफिल्ट्रेशन की ट्रेनिंग दी जाती है. यानी कैसे पानी के रास्ते आतंकियों को घुसाया जाए सुरक्षा एजेंसियों की नजर में ये हाई वैल्यू टारगेट हैं.
4. रावलकोट और नूर-उल-इस्लाम
एलओसी के पास वे लॉन्चिंग पैड हैं जहां से आतंकी भारत में घुसपैठ की कोशिश करते हैं. खुफिया सूत्रों का कहना है कि इन्हें निशाना बनाकर घुसपैठ को रोका जा सकता है.
5. मुरीदके और इस्लामाबाद एयरबेस
मुरीदके लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय है, जहां लॉजिस्टिक प्लानिंग होती है. इस्लामाबाद एयरबेस में एक ट्रेनिंग कैंप भी है. हालांकि ये इलाके शहरी केंद्रों के करीब होने की वजह से राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाते हैं और यहां कार्रवाई से कूटनीतिक विवाद उत्पन्न हो सकता है.
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