Pahalgam attack: …तो समझूं असली श्रद्धांजलि! पिता को खोने वाले जगदाले परिवार

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Pahalgam terror attack: पहल्गाम हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक इस कार्रवाई को शहीदों के परिजनों ने सच्ची श्रद्धांजलि बताया.

Pahalgam attack: ...तो समझूं असली श्रद्धांजलि! पिता को खोने वाले जगदाले परिवार

पहलगाम हमले में शहीद हुए संतोष के परिवार से खास बातचीत

पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष भारतीयों की जान चली गई थी. इस दर्दनाक घटना के बाद पूरे देश में गुस्सा था. लोग सरकार से जवाबी कार्रवाई की मांग कर रहे थे. देश की जनता और खासतौर पर शहीदों के परिवारों के लिए यह एक ऐसा घाव था, जो जल्द नहीं भर सकता था.

15 दिन में जवाब: पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला
भारत सरकार ने इस हमले के ठीक 15 दिन के भीतर आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की. पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को भारतीय वायुसेना ने निशाना बनाकर तबाह कर दिया. इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया है. सेना की इस कार्रवाई ने देश को यह दिखा दिया कि आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

शहीद संतोष जगदाले की बेटी ने कहा- ये बस शुरुआत है
इस ऑपरेशन के बाद शहीद संतोष जगदाले की बेटी असावरी जगदाले ने लोकल18 से बातचीत में कहा, “हमें लगता है कि सरकार ने मेरे पिता और बाकी 25 शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दी है. यह तो बस शुरुआत है. हमें उम्मीद है कि बाकी बचे आतंकवादियों का भी सफाया होगा.” असावरी ने कहा कि 15 दिन में लिए गए इस फैसले से परिवार को उम्मीद की एक किरण दिखी है.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम के पीछे है हमारी पीड़ा
असावरी ने ऑपरेशन के नाम को लेकर भी अपनी भावनाएं साझा कीं. उन्होंने कहा, “हमारी बहनों और बेटियों को इस हमले में बेरहमी से मारा गया. शायद इसीलिए इस ऑपरेशन का नाम सिंदूर रखा गया, जो दर्द और संघर्ष की याद दिलाता है. हर अंतिम आतंकवादी का खात्मा होना चाहिए. तभी हमें सुकून मिलेगा.”

शहीद की पत्नी बोलीं- मेरी आंखों के सामने मारा गया पति
संतोष जगदाले की पत्नी प्रगति जगदाले ने अपने दर्द को साझा करते हुए कहा, “ऑपरेशन सिंदूर रात 1:30 बजे शुरू हुआ. इससे हमें सरकार की गंभीरता का अंदाज़ा हुआ. मेरे पति को मेरी आंखों के सामने गोली मारी गई. वो मंजर मैं कभी नहीं भूल सकती. जब तक आखिरी आतंकी मारा नहीं जाता, तब तक हमारे ज़ख्म नहीं भरेंगे.”

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