मोबाइल पर लंबे समय तक वीडियो देखने से बढ़ रहा है ऑटिज्म, इन टिप्स से बच्चों का स्क्रीन टाइम करें कम


Autism In Children : ऑटिज्म, एक न्यूरोडिवेलपमेंटल स्थिति है, जिससे जूझ रहे व्यक्तियों में सामाजिक कम्युनिकेशन, बिहेवियर और संवेदी प्रतिक्रियाओं को करने में परेशानी होती है. यह एक स्पेक्ट्रम विकार है, जिसका अर्थ है कि इसके लक्षणों की गंभीरता अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न होती है. अनुवांशिक कारणों के अलावा पर्यावणीय कारणों से भी ऑटिज्म होता है. लेकिन हाल ही में एक रिसर्च किया गया है, जिसमें बताया गया है कि ऑटिज्म बढ़ने का कारण आसपास मौजूद भारी धातु भी हो सकता है. इसके अलावा लंबे समय पर मोबाइल पर वीडियो देखने से भी हो ऑटिज्म बढ़ता है. आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-
भारी धातु से बच्चों में बढ़ रहा है ऑटिज्म
दरअसल, एम्स द्वारा हाल ही में एक रिसर्च किया गया है, जिसमें कई चौंका देने वाले खुलासे किए गए हैं. इस रिसर्च में बताया गया है कि ऑटिज्म पीड़ित बच्चों में लेड, क्रोमियम, मर्करी, मैंगनीज, कॉपर, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे भारी धातु पाए गए हैं. इसलिए भारी धातु भी ऑटिज्म बीमारी बढ़ने का कारण बन रहा है ये धातु दूषित खानपान, सिगरेट के धुएं, प्रदूषित हवा, औद्योगिक कचरे, खिलौने के माध्यम से बच्चों में पहुंच रहे हैं.
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स्क्रीन टाइम भी बच्चों में बढ़ा रहा है ऑटिज्म
एम्स के पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी के एक्सपर्ट प्रोफेसर डॉ. शेफाली गुलाटी का कहना है कि आज के समय में बच्चे काफी देर तक मोबाइल और टीवी देखते हैं. उनका स्क्रीन टाइम काफी ज्यादा होने की वजह से भी उनको ये बीमारी हो रही है.
ऑटिज्म बच्चों में पाए गए धातु
रिसर्च में ऑटिज्म से पीड़ित 3 से 12 वर्ष के 180 बच्चों और 180 स्वस्थ बच्चों को शामिल किया गया, जिसमें 32 प्रतिशत ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में 7 तरह के भारी धातु अधिक पाए गए हैं. वहीं, स्वस्थ बच्चों में यह समस्या नहीं पाई गई. ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा मानसिक रूप से स्वस्थ रहे, तो वातावरण के इन कारकों से बच्चों को सुरक्षित रखने की कोशिश करें.
बच्चों का स्क्रीन टाइम कैसे करें कम?
- दिन में स्क्रीन टाइम के लिए एक निश्चित समय सीमा तय करें.
- बच्चों को बाहर खेलने, साइकिल चलाने, खेलने के लिए प्रोत्साहित करें.
- पेंटिंग, संगीत, डांस जैसी अन्य एक्टिविटीज में उनका मन लगाएं.
- परिवार के साथ मिलकर गतिविधियां करना सिखाएं.
- पिकनिक, वॉक, या खेल-कूद जैसी गतिविधियां बच्चों को बैक स्क्रीन टाइम से दूर रखती हैं.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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