महाराष्ट्र: ‘हिंदी को नहीं थोप सकते’, राज ठाकरे की MNS ने सरकार को दी चेतावनी

मुंबई: महाराष्ट्र में भाषा का मसला तूल पकड़ता जा रहा है. राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 लागू करने का फैसला किया. 2025-26 शैक्षणिक वर्ष से राज्य के सभी मराठी और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा. राज ठाकरे ने गुरुवार को एक्स पर एक पोस्ट कर सरकार को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बर्दाश्त नहीं करेगी. उनके इस बयान पर पार्टी के मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि हमने हमेशा सभी भाषाओं का सम्मान किया है, लेकिन एक भाषा को ज्यादा तवज्जो देना हमें मंजूर नहीं है.
मनसे ने सरकार को दी चेतावनी
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने IANS से कहा, ‘1947 के बाद जिस भारत का निर्माण हुआ, उसमें भाषावार प्रांत की रचना की गई. जिस भी राज्य में जो क्षेत्रीय भाषा बोली जाती है, उसको मान्यता दी गई. जैसे- महाराष्ट्र के लिए मराठी, तमिलनाडु के लिए तमिल, कर्नाटक के लिए कन्नड़, गुजरात में गुजराती और उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में हिंदी भाषा को मान्यता दी गई. मैं इतना ही कहूंगा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है और उसे राष्ट्रीय भाषा का दर्जा भी नहीं दिया गया है, इसलिए किसी राज्य पर इसे थोप नहीं सकते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमने हमेशा सभी भाषाओं का सम्मान किया है, लेकिन एक भाषा को ज्यादा तवज्जो देना हमें मंजूर नहीं है. हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं बल्कि उसके थोपने के खिलाफ हैं.’
हिंदी भाषा के विरोध पर संदीप देशपांडे ने कहा, ‘मनसे इसका विरोध करेगी और हम ऐसा करने वाले अकेले नहीं हैं. तमिलनाडु में भी इसका विरोध हो रहा है और कर्नाटक में भी ऐसा ही हो रहा है. मैं इतना ही कहूंगा कि आप (सरकार) किसी राज्य पर हिंदी को क्यों थोपना चाहते हैं? हमारा विरोध भाषा को थोपने को लेकर है. हम हिंदी भाषा की किताबों को यहां बेचने नहीं देंगे.’
वहीं, शिक्षा विभाग के उप सचिव तुषार महाजन के अनुसार, यह बदलाव चरणबद्ध तरीके से लागू होगा. यानी सबसे पहले इसे कक्षा 1 से शुरू किया जाएगा. 2028-29 तक इसे सभी कक्षाओं में लागू कर दिया जाएगा.
महाजन के अनुसार, यह नीति पांच स्तंभों – पहुंच, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य और जवाबदेही पर आधारित है. अब तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में केवल दो भाषाएं पढ़ाई जाती थीं, लेकिन अब हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाया जा रहा है.
हिंदी का 5+3+3+4 एजुकेशन मॉडल
- प्रारंभिक चरण (3 साल प्री-प्राइमरी + कक्षा 1-2)
- तैयारी चरण (कक्षा 3-5)
- मध्य चरण (कक्षा 6-8)
- माध्यमिक शिक्षा (कक्षा 9-12)
किताबों में लोकल लेवल पर होंगे बदलाव!
पाठ्यपुस्तकें अब एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार की जाएंगी. हालांकि, महाराष्ट्र के स्थानीय संदर्भों के अनुसार इनमें बदलाव किए जाएंगे, खासकर सामाजिक विज्ञान और भाषाओं में. बालभारती पहले ही कक्षा 1 की नई किताबें छापना शुरू कर चुका है. इसके साथ ही, 2025 तक 80% शिक्षकों को नई शिक्षण विधियों और डिजिटल टूल्स का प्रशिक्षण दिया जाएगा. राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने पुराने से नए पाठ्यक्रम में आसानी से जाने के लिए ब्रिज कोर्स भी तैयार किया है.
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