मौलिक अधिकार नहीं वक्फ, जांच से घबराना क्यों? CJI के सामने तुषार मेहता की दलील
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Waqf Law Supreme Court Hearing: वक्फ कानून संशोधन के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ट्रस्ट की जमीन सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करना सरकार का उद्देश्य है. सीज…और पढ़ें

आज तुषार मेहता ने अपनी दलीलें रखी. (News18)
हाइलाइट्स
- वक्फ संशोधनकानून पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
- सरकार ट्रस्ट की जमीन सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करना चाहती है.
- तुषार मेहता की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा गया.
नई दिल्ली. वक्फ कानून संसद में संधोशन के बाद जैसे ही अमल में आया, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं की झड़ी लग गई. आज सीजेआई बीआर गवई की बेंच ने इसपर सुनवाई की. केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को इसपर पक्ष रखा. उन्होंने याचिकाओं के विरोध में कई दमदार दलीलें कोर्ट में रखी. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट की जमीन को सरकार सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करना चाहती है. तुषार मेहता ने कहा, वक्फ कानून 2013 के संशोधन से पहले अधिनियम के सभी संस्करणों में कहा गया था कि केवल मुसलमान ही अपनी संपत्ति वक्फ कर सकते हैं. लेकिन 2013 के आम चुनाव से ठीक पहले एक संशोधन किया गया था, जिसके मुताबिक कोई भी अपनी संपत्ति वक्फ कर सकता है.
वक्फ का अर्थ है…
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “वक्फ का अर्थ है कि उपयोग के अनुसार संपत्ति किसी और की है. आपने निरंतर उपयोग करके अधिकार अर्जित किया है. इसलिए जरूरी है कि निजी/सरकारी संपत्ति का उपयोग लंबे समय तक किया जाए. अगर कोई इमारत है जो सरकारी संपत्ति हो सकती है, तो क्या सरकार यह जांच नहीं कर सकती कि संपत्ति सरकार की है या नहीं? इसका प्रावधान 3(सी) में है. ट्रस्ट की जमीन सरकार सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करना चाहती है. ‘वक्फ अलाल औलाद’ को जोड़ा गया है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि शुरुआत में बेटियों और विधवा महिलाओं को इसमें शामिल नहीं किया गया था. उन्हें अब शामिल किया गया है.
राजस्व अधिकारी तय करते हैं…
सीजेआई जस्टिस गवई ने कहा कि उनका तर्क है कि इस मामले में सरकार अपना दावा खुद तय करेगी. इसपर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि राजस्व अधिकारी तय करते हैं कि यह सरकारी जमीन है या नहीं, लेकिन यह सिर्फ राजस्व रिकॉर्ड के लिए है. वे इसका टाइटल तय नहीं कर सकते. यह अंतिम नहीं है.
जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ एक इस्लामिक धारणा जरूर है. लेकिन जब तक यह साबित न हो कि यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है तब तक बाकी दलीलें टिक नहीं सकतीं. उन्होंने कहा कि वक्फ हर धर्म में होता है. ईसाइयों में भी इसका सिस्टम है, हिंदुओं में ‘वक्फ’ की परंपरा है और सिखों में भी यह चलता है. SG मेहता ने कहा कि वक्फ असल में इस्लाम में दान की ही एक व्यवस्था है इससे ज्यादा कुछ नहीं.
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पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें
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