क्या है पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट, भारत का AMCA कैसे राफेल और सुखोई से बेहतर

Fifth Generation Fighter Jet: भारतीय वायुसेना को पिछले दिनों एक बड़ी सफलता मिली है. केंद्र सरकार ने देश की हवाई युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोग्राम एक्जीक्यूशन मॉडल को मंजूरी दे दी है. मंगलवार (27 मई) को रक्षा मंत्रालय ने कहा, “भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और एक मजबूत घरेलू एयरोस्पेस इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एएमसीए मॉडल को मंजूरी दे दी है.”

यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लिया गया है, जब भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों पर सैन्य हमले किए थे. साथ ही पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई में सीमा पार से दागे गए ड्रोन और मिसाइलों को भी निष्क्रिय किया था. यह ऐसे समय में लिया गया है जब परमाणु शक्ति संपन्न इस्लामाबाद चीन से कम से कम 40 जे-35ए स्टील्थ पांचवीं पीढ़ी के जेट विमान खरीदने की सोच रहा है.

लेकिन पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान क्या हैं? 

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पांचवीं पीढ़ी के जेट में होती हैं तमाम खूबियां
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान आकाश में सर्वोच्च शक्ति संपन्न हैं. जाइंट एयर पावर काम्पिटेंस सेंटर (JAPCC) के अनुसार पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान वो हैं जो अत्यधिक प्रतिस्पर्धी युद्ध के माहौल में काम कर सकते हैं. ऐसे माहौल में सबसे खतरनाक हवाई और जमीनी दुश्मन मौजूद होते हैं. बिजनेस इनसाइडर के अनुसार केवल ऐसे विमानों को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के रूप में क्लासीफाई किया जा सकता है जिनमें स्टेल्थ क्षमताएं हों. साथ ही जो आफ्टरबर्नर को सक्रिय किए बिना सुपरसोनिक गति से उड़ान भर सकें. स्टेल्थ का मतलब होता है वह तकनीक जो विमानों, जहाजों, मिसाइलों और अन्य सैन्य उपकरणों को रडार, इंफ्रारेड, सोनार और अन्य तरीकों से पता लगाने से बचाने के लिए बनाई गई है.

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ये विमान ज्यादा घातक और प्रभावी
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों से मुख्य रूप से इन वजहों से अलग हैं. आसान शब्दों में कहें तो पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान आधुनिक तकनीक से लैस, ज्यादा चालाक और रडार से कम दिखने वाले होते हैं. उनकी यही खूबी उन्हें चौथी पीढ़ी के विमानों से कहीं ज्यादा घातक और प्रभावी बनाती है.

कम दिखना: पांचवीं पीढ़ी के विमानों को इस तरह से बनाया गया है कि वे रडार पर बहुत मुश्किल से दिखें. यह एक तरह से ‘अदृश्य’ होना है, जिससे दुश्मन को इनका पता नहीं चलता. चौथी पीढ़ी के विमान इतने छुपे हुए नहीं होते. 

अपनी सुरक्षा: इनमें खुद को बचाने की बेहतर क्षमताएं होती हैं, जैसे मिसाइलों से बचने के लिए खास तकनीक.

रडार को चकमा देना: पांचवीं पीढ़ी के विमान दुश्मन के रडार को भ्रमित या जाम कर सकते हैं, जिससे दुश्मन के लिए उन पर हमला करना मुश्किल हो जाता है. 

सब कुछ एक साथ: इन विमानों में सभी सिस्टम (जैसे रडार, हथियार, संचार) एक साथ मिलकर काम करते हैं. इससे पायलट को बेहतर जानकारी मिलती है और वह तेजी से फैसले ले पाता है. चौथी पीढ़ी के विमानों में ये सिस्टम उतने इंटीग्रेटेड नहीं होते.

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कैसा है भारत का पांचवीं पीढ़ी का AMCA?
फिलहाल केवल कुछ ही देश ऐसे हैं जो इन लड़ाकू विमानों को बनाने में सक्षम हैं. वे हैं अमेरिका, चीन और रूस. पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए भारत का जवाब एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट कार्यक्रम है, जो 2010 से ही पाइपलाइन में है. जानकारों के अनुसार भारत के एमकेए (आधुनिक लड़ाकू विमान) में ट्विन-इंजन है. जिसमें दुश्मन के रडार से बचने के लिए उन्नत स्टेल्थ विशेषताएं हैं. भारत का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाले अन्य विमानों के बराबर या उनसे भी बेहतर होगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह 1,500 किलोग्राम के पेलोड के साथ चार लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और कई सटीक-निर्देशित युद्ध सामग्री ले जाने में सक्षम होने की उम्मीद है. इसके अलावा द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, AMCA में एक डायवर्टलेस सुपरसोनिक इंटेक भी शामिल होगा, जिसे पहली बार भारत में बनाया गया है. पिछले साल मार्च में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने 15,000 करोड़ रुपये की प्रारंभिक लागत से ट्विन इंजन एएमसीए के पांच प्रोटोटाइप के विकास को मंजूरी दी थी. ADA 2031 तक जेट के प्रोटोटाइप को डिलीवर करने के लिए प्रतिबद्ध है. उम्मीद है कि 2035 तक इन विमानों का उत्पादन शुरू हो जाए. 

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क्या एमकेए राफेल और सुखोई से बेहतर
एमकेए (आधुनिक लड़ाकू विमान) को भारतीय वायु सेना के लिए भविष्य के लड़ाकू जेट के रूप में देखा जा रहा है. जिसमें कुछ क्षेत्रों में राफेल और सुखोई को पीछे छोड़ने की क्षमता है. एमकेए का लक्ष्य अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक बहुमुखी, चुस्त और चुपके से उड़ान भरने वाला विमान बनना है. 

राफेल: राफेल उन्नत क्षमताओं वाला एक शक्तिशाली और बहुमुखी विमान है. लेकिन एमकेए को स्टेल्थ, रडार और चपलता के मामले में इसकी क्षमताओं से भी अधिक बेहतर तरीके से डिजाइन किया गया है.

सुखोई: सुखोई एक विश्वसनीय और शक्तिशाली लड़ाकू विमान है, लेकिन एमकेए के स्टेल्थ, रडार और समग्र प्रदर्शन के मामले में अधिक उन्नत और सक्षम होने की उम्मीद है.  

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कौन है इस प्रोजेक्ट का टीम लीडर
डॉ. कृष्ण राजेंद्र नीली एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोग्राम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर है. वह एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) में वैज्ञानिक हैं. डॉ. नीली AMCA कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं, जिसका उद्देश्य भारत का पहला स्वदेशी 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान विकसित करना है. हाल ही में दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कार्यक्रम की समयसीमा के बारे में बात की थी. जिसमें 2028 में प्रोटोटाइप की अपेक्षित पहली उड़ान भी शामिल है. डॉ. नीली के बयानों से पता चलता है कि एएमसीए कार्यक्रम सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का विकास योजना के अनुसार आगे बढ़ रहा है.

Credits To Live Hindustan

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