क्या है एक्ट ऑफ वॉर? भारत ने क्यों की इसकी घोषणा, जानिए इसके बारे में
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Act Of War: भारत ने पाकिस्तान के साथ सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच आतंकी कृत्यों को युद्ध की कार्रवाई मानने का फैसला लिया है. जम्मू-कश्मीर में 26 पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक…और पढ़ें

भारत सरकार ने फैसला लिया है कि भविष्य में होने वाली आतंकी वारदातों को युद्ध छेड़ने का प्रयास मानते हुए उसी के अनुसार जवाब दिया जाएगा.
हाइलाइट्स
- भारत ने आतंकवादी घटनाओं को युद्ध की कार्रवाई माना
- पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की
- पाकिस्तान ने भारत में नागरिक क्षेत्रों पर ड्रोन से हमला किया
Act Of War: पाकिस्तान के साथ सीमा पर लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच भारत ने बड़ा फैसला लिया है. सरकारी सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि भविष्य में देश में किसी भी आतंकवादी कृत्य को भारत के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई या एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा. भारत सरकार ने फैसला लिया है कि भविष्य में होने वाली आतंकी वारदातों को युद्ध छेड़ने का प्रयास मानते हुए उसी के अनुसार जवाब दिया जाएगा. भारत इससे पहले भी साफ तौर पर कह चुका है कि वह किसी भी आक्रमण या युद्ध जैसे हालात का सामना करने को तैयार है.
यह चेतावनी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान पिछली तीन रातों से उत्तर भारत में सैन्य प्रतिष्ठानों और नागरिक क्षेत्रों पर ड्रोन और मिसाइल हमले कर रहा है. इनमें से लगभग सभी को मजबूत भारतीय वायु रक्षा नेटवर्क द्वारा रोक दिया गया है. आतंकवाद के खिलाफ ये घोषणा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों की हत्या के दो सप्ताह बाद हुई है. जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सटीक मिसाइल हमले किए. पड़ोसी देश ने भारत में नागरिक क्षेत्रों पर ड्रोन से हमला करके स्थिति को और खराब कर दिया.
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क्या है एक्ट ऑफ वॉर
अगर कोई देश किसी दूसरे देश के खिलाफ हमलावर कदम उठाता है, जैसे कि सैनिक हमला, ड्रोन या मिसाइल से हमला, हवाई घुसपैठ, साइबर अटैक या नौसेना से घेराबंदी तो यह एक्ट ऑफ वॉर कहलाता है. या जब किसी देश की संप्रभुता, सुरक्षा या नागरिकों को नुकसान पहुंचे. जब उसका उद्देश्य युद्ध की शुरुआत या जवाबी युद्ध के लिए उकसाना हो. यानी ऐसा कदम जो किसी देश की सुरक्षा को सीधे चुनौती देता हो जिसके बाद युद्ध की स्थिति बन जाए.
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क्या भारत और पाकिस्तान युद्ध से पहले सूचित करेंगे?
सिद्धांत रूप में कोई भी देश अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत युद्ध की औपचारिक घोषणा करने के लिए बाध्य नहीं होता. लेकिन राजनयिक परंपराएं, रणनीतिक हित और वैश्विक दबाव अक्सर देशों को पहले से संकेत देने के लिए प्रेरित करते हैं. राजनयिक और सैन्य तनाव के संकेत पहले से मिलने लगते हैं. भारत-पाकिस्तान के बीच जब भी तनाव बढ़ता है तो पहले इसके संकेत दिखाई देते हैं. मीडिया और सरकारों के बयान तीखे हो जाते हैं. सीमाओं पर सैन्य हलचल बढ़ती है. देशों के बीच बातचीत बंद हो जाती है. नागरिकों को एडवाइजरी जारी की जाती है. सीमावर्ती क्षेत्रों में सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है.
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अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु हथियार संपन्न देश हैं. इसलिए जब भी तनाव बढ़ता है संयुक्त राष्ट्र (UN), संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देश मध्यस्थता या शांतिपूर्ण समाधान की अपील करते हैं. अंतरराष्ट्रीय दबाव अक्सर किसी भी संघर्ष को खुले युद्ध में बदलने से पहले रोकने की कोशिश करता है. भारत और पाकिस्तान शायद औपचारिक रूप से युद्ध की घोषणा नहीं करेंगे. लेकिन युद्ध जैसी स्थिति बनने पर उसके संकेत पहले से मिलने लगते हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस पर ध्यान और प्रतिक्रिया होती है. ऐसे में आम तौर पर दुनिया को अंदेशा हो जाता है कि कुछ बड़ा होने वाला है.
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