क्या है COPD की समस्या? जानें किन लोगों को होती है ये खतरनाक बीमारी और क्या होते हैं लक्षण


लोग कई तरह की बीमारियों से पाड़ित होते हैं, जिनमें से कुछ बीमारियां काफी ज्यादा गंभीर होती हैं. सीओपीडी (COPD) यानी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज भी एक ऐसी बीमारी है, जो फेफड़ों को धीरे-धीरे कमजोर कर देती है. इस बीमारी में सांस लेना मुश्किल हो जाता है. यह बीमारी ज्यादातर धूम्रपान करने वालों को होती है, लेकिन अन्य कारणों से भी हो सकती है.
क्या होता है सीओपीडी
सीओपीडी एक लंबी चलने वाली सांस की बीमारी है. इसमें फेफड़ों की नलियां सिकुड़ जाती हैं और अंदर की हवा आसानी से बाहर नहीं निकल पाती है. इससे सांस लेने में परेशानी होती है. ये बीमारी दो तरह की समस्याओं से बनती है-
क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस- इसमें फेफड़ों तक जाने वाली नलियों में सूजन आ जाती है और ज्यादा बलगम बनने लगता है.
इम्फायसेमा- इसमें फेफड़ों की हवा वाली थैलियां खराब हो जाती हैं.
सीओपीडी के कारण-
- धूम्रपान- यह सीओपीडी का सबसे बड़ा कारण है. तंबाकू और सिगरेट पीने से फेफड़े खराब होते हैं.
- प्रदूषण- घर का धुआं, गाड़ियों का धुआं और कारखानों की गैस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं. जिससे जा खतरा बढ़ जाता है.
- आनुवंशिक कारण- कुछ लोगों को यह बीमारी परिवार से मिली होती है, जैसे एक खास तरह की प्रोटीन की कमी होने से होती है.
- धूल और धुआं- जो लोग खदान, सीमेंट फैक्ट्री या रसायनों वाले काम करते हैं, उन्हें यह बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है.
सीओपीडी के लक्षण-
- लगातार खांसी- सीओपीडी का सबसे पहला लक्षण खांसी है अगर आपको लगातार खांसी आती है तो तुरंत जांच करवानी चाहिए.
- खांसी के साथ बलगम निकलना- इस समस्या में खांसी के साथ बलगम निकलने लगता है.
- सांस लेने में परेशानी- सीओपीडी होने पर सांस लेने में परेशानी होने लगती है और धीरे-धीरे इसमें फेफड़ों की नलियां सिकुड़ जाती हैं.
- सीने में भारीपन- इसमें धीरे-धीरे सांस लेने में परेशानी होने लगती है उसके बाद सीने में भारीपन महसूस होने लगता है
- बार-बार फेफड़ों में इंफेक्शन- अगर आपके फेफड़ों में बार बार इन्फेक्शन हो रहा है तो यह सीओपीडी का लक्षण हो सकता है
उपाय-
अगर आप सीओपीडी को नियंत्रित करना चाहते हैं तो अपनी जीवनशैली में सुधार करना होगा और साथ ही धूम्रपान, शराब पीने जैसी कुछ बुरी आदतों को छोड़ना होगा. वैसे तो इसका कोई इलाज नहीं है, आप केवल अपनी जीवनशैली में सुधार करके इस बीमारी को नियंत्रित कर सकते हैं. आमतौर पर इसके लिए ब्रोंकोडायलेटर्स, स्टेरॉयड और ऑक्सीजन थेरेपी जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है.
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