कुछ तो बड़ा होगा… पोखरण में पिनाका लॉन्ग रेंज मिसाइलों का फायरिंग टेस्ट

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Pinaka Missiles: भारत ने राजस्थान के पोखरण में पिनाका मिसाइलों का फायरिंग टेस्ट किया है. इससे दहशत में जी रहे पाकिस्तान की हालत और भी खराब हो गई है.

कुछ तो बड़ा होगा... पोखरण में पिनाका लॉन्ग रेंज मिसाइलों का फायरिंग टेस्ट

भारतीय सेना ने पोखरण में लंबी दूरी की पिनाका मिसाइल दागने का अभ्यास किया.(Image:News18)

हाइलाइट्स

  • भारतीय सेना ने पोखरण में पिनाका मिसाइलों का टेस्ट किया.
  • पिनाका मिसाइलें 90 किमी तक मारक क्षमता रखती हैं.
  • पिनाका मिसाइलों की मारक क्षमता 200 किमी तक बढ़ सकती है.

नई दिल्ली. भारतीय सेना ने कुछ दिन पहले राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में अपने स्वदेशी पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम की फायरिंग का अभ्यास किया. इस घटनाक्रम से अवगत एक सूत्र ने फर्स्टपोस्ट को इसके बारे में जानकारी दी है. इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, हाल ही में की गई फायरिंग प्रैक्टिस की तारीख का खुलासा नहीं किया गया.

सूत्र ने इस मामले की संवेदनशीलता के कारण नाम न बताने की शर्त पर कहा कि पिनाका फायरिंग का अगला दौर कुछ हफ्तों में होने वाला है. पिनाका की फायरिंग प्रैक्टिस के बारे में जानकारी पहले रिपोर्ट नहीं की गई थी. ये खबर ऐसे समय में आई है, जब 22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे.

पिनाका मिसाइलें कितनी ताकतवर हैं?
भगवान शिव के पौराणिक धनुष के नाम पर स्वदेशी रूप से विकसित पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) सिस्टम देश की विकसित हो रही तोपखाने की क्षमताओं का एक मजबूत स्तंभ बनकर उभरी है. जिसमें सटीक निशाने लगाने की क्षमता है. इसका घरेलू उत्पादन होता है. इसके साथ ही इसमें भारी मात्रा में विस्फोटक ले जाने की मारक क्षमता है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा ने इसका विकास किया है.

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मारक क्षमता 200 किमी. तक करने की कोशिश
जबकि इसको टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और लार्सन एंड टूब्रो जैसी फर्मों के जरिये बनाया जाता है. पिनाका रॉकेट सिस्टम केवल 44 सेकंड में 72 रॉकेट लॉन्च कर सकता है, जो 60 किलोमीटर तक की दूरी पर सात टन तक विस्फोटक पहुंचा सकते हैं. इसका ज्यादा रेंज का वैरिएंट, पिनाका Mk-II ER, इसकी पहुंच को 90 किलोमीटर तक बढ़ा देता है. विकास के तहत उन्नत मॉडल की सीमा को 120, 150 और यहां तक कि 200 किलोमीटर तक बढ़ाने का लक्ष्य है. यह सटीक निशाना लगाने के लिए GPS और नेविगेशन सिस्टम से लैस है. भारत में सालाना 5,000 से अधिक रॉकेट बनाने की क्षमता है.

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