कश्मीर से काबुल तक अटैक…पाक को क्यों कहते हैं आतंकवाद का माई-बाप, देखें सबूत
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India-Pakistan War News: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम अटैक में पाकिस्तान का हाथ है. पाकिस्तान आतंकवाद को पालता है और नवाज शरीफ ने 2008 मुंबई हमलों में भूमिका स्वीकार की थी. पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड पुराना है.

पाकिस्तान और आतंकवाद एक-दूसरे के पर्याय हैं. (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
- पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता है.
- मुंबई हमलों में पाक की भूमिका नवाज शरीफ ने मानी.
- पाकिस्तान का आतंकवाद का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड है.
Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम अटैक में पाकिस्तान का हाथ है. भारत को जैसे ही पुख्ता सबूत मिलेगा, उसकी शामत आनी तय है. पहलगाम हमले के गुनहगारों और पनाहगारों को भारत छोड़ेगा नहीं. आतंकवाद को पालने-पोसने और उसे पनाह देने का पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड पुराना है. भले पाक इनकार करे, मगर सबूत उसके खिलाफ चीख-चीख कर गवाही देते हैं कि वही आतंकवाद का माई-बाप है. पाकिस्तान कई दशकों से आतंकवाद का गढ़ रहा है. यहीं पनपने वाले आतंकी पूरी दुनिया में आतंक मचाते हैं. दिलचस्प तथ्य यह भी है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और फौजी जनरल भी इस सच्चाई को खुलेआम स्वीकार करते हैं.
साल 2018 में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने खुलेआम कहा था कि पाकिस्तान सरकार ने 2008 के मुंबई हमलों में भूमिका निभाई थी. 26/11 अटैक पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने कराया था. पाकिस्तान के ही फौजी जनरल और तानाशाह रहे परवेज मुशर्रफ ने भी यह माना था कि जम्मू-कश्मीर मसले पर भारत से लड़ने के लिए उन्होंने आतंकवादी संगठनों को ट्रेंड किया. उन्होंने यह कबूल भी किया था कि उनकी सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि पाकिस्तान भारत को इस मुद्दे पर बातचीत के लिए मजबूर करना चाहता था. साथ ही इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहता था.
काबूल तक पाक के नापाक हाथ
अब पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने भी उसी तरह का कबूलनामा पेश किया. उन्होंने यह कबूल किया कि उनका देश 3 दशकों से अधिक समय से आतंकवादी संगठनों को समर्थन दे रहा है. उन्होंने इसमें अमेरिका को भी लपेटने की कोशिश की थी. पाकिस्तान की ओर चलाए जा रहे प्रायोजित आतंकवाद से पूरी दुनिया परेशान है. अफगानिस्तान में तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई है, जो उसे आतंकवाद के लिए प्रशिक्षण और सुरक्षित स्थान मुहैया करा रही है.
आईएसआई का काबूल में हाथ
यह वही ग्रुप है जिसने साल 2008 में काबुल में मौजूद भारतीय दूतावास पर आत्मघाती हमला किया था. इस ग्रुप ने ही साल 2011 में काबुल में मौजूद अमेरिकी एंबेसी पर हमला किया था. सीनियर पत्रकार कार्लोटा जेल ने भी अपनी किताब में लिखा था कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान खुफिया एजेंसी का हाथ था. पूरा ऑपरेशन पाकिस्तान इंटेलिजेंस की निगरानी में चलाया गया था.
रूस-ईरान में पाक ने करवाए हमले
रूस के मास्को कंसर्ट हॉल में हुए आतंकवादी हमले की जांच के दौरान यह सामने आया था कि इस हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं. हमले में शामिल मुख्य हमलावर और षड्यंत्रकारी ताजिकिस्तान नागरिक को पाकिस्तान में ट्रेनिंग दी गई थी. ईरान के आतंकवादी संगठन जैश-उल-अदल के पीछे भी पाकिस्तान खुफिया एजेंसी का हाथ बताया जाता है. यह आए दिन वहां पर ईरान की सुरक्षा बलों पर आतंकवादी हमले करते रहते हैं.
लंदन वाले अटैक में भी पाक कनेक्शन
7 जुलाई 2005 को लंदन में हुए आतंकवादी हमले के पीछे भी जांच के दौरान पता चला था कि उन लोगों को पाकिस्तान में ट्रेनिंग दी गई थी. हमले में शामिल तीन बॉम्बर मोहम्मद सिद्दीक खान, शहजाद तनवर और एक अन्य ने अपना काफी समय 2003 से 2005 तक हमला होने के पहले तक पाकिस्तान में बिताया था.
पाक का आतंकवाद को खुला सपोर्ट
पाकिस्तान आतंकवाद और आतंकियों को खुला सपोर्ट देता है. इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन का वहां ठिकाना. ओसामा को अमेरिका पूरी दुनिया में खोज रहा था, मगर उसे पाकिस्तान के हुक्मरानों और खुफिया एजेंसी ने पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी के एक सुरक्षित खुफिया अड्डे पर सालों से ठहराया हुआ था.
बांग्लादेश में भी पाक की ट्रेनिंग
2020 की एक खुफिया रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ था कि बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित आंतकवादी प्रशिक्षण केंद्रों में ट्रेनिंग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की ओर से ही दी जा रही है. इसमें 40 रोहिंग्या शरणार्थी भी शामिल थे, जिन्हें आतंकवादी बनाने के बाद भारत भेजा जाना था. बांग्लादेश में चल रहे आतंकवादी संगठन जेएमबी पर भी पाकिस्तान खुफिया एजेंसी का पूरी तरह से वरदहस्त है. इसके जरिए उसने पश्चिम बंगाल और केरल में अपने आतंकवादी घुसाए हुए हैं.
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