कर्नाटक में यहां नहीं धुल पा रही है लोगों की गंदी जींस, आखिर ऐसा क्या हुआ?
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Ballari Jeans Industry: बल्लारी में जींस वॉशिंग यूनिट्स पानी और बिजली की किल्लत से बंद हो रही हैं.732 यूनिट्स में से कई बंद हो चुकी हैं.खर्च बढ़ने से कारोबार चौपट हो गया है.सरकार ने कोई पक्का हल नहीं निकाला है.

बल्लारी में जींस वॉशिंग की कई यूनिट्स बंद
हाइलाइट्स
- बल्लारी में जींस वॉशिंग यूनिट्स पानी और बिजली की किल्लत से बंद हो रही हैं.
- 732 यूनिट्स में से कई बंद, खर्च बढ़ने से कारोबार चौपट.
- सरकार ने अब तक कोई पक्का हल नहीं निकाला.
बल्लारी: जींस बनाने के लिए मशहूर बल्लारी इन दिनों गहरे संकट में है. यहां के कई वॉशिंग यूनिट्स बंद हो चुके हैं. पानी की भारी कमी और बढ़ते खर्च ने कारोबार चौपट कर दिया है. गर्मी का मौसम पहले से ही मुश्किल भरा होता है. इस बार समय से पहले गर्मी शुरू हो गई. पानी की कमी ने वॉशिंग यूनिट्स की कमर तोड़ दी है.
बता दें कि बल्लारी और आसपास के इलाकों में 732 जींस यूनिट्स हैं. इनमें से कई यूनिट्स ने काम पूरी तरह बंद कर दिया है. पानी की मांग बहुत ज्यादा होती है इन यूनिट्स में. पिछले 10 सालों से गर्मी में पानी की किल्लत रहती है. सरकार ने आज तक कोई पक्का हल नहीं निकाला.
वॉशिंग चार्ज 30-40% तक बढ़ गया है
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बिजली और कच्चे माल के दाम भी तेजी से बढ़े हैं. वॉशिंग चार्ज 30-40% तक बढ़ गया है. जिससे कई मालिकों ने 4-5 महीने के लिए यूनिट बंद कर दी है. इन यूनिट्स का प्रतिनिधित्व करने वाले वेनुगोपाल ने बताते किकोविड के वक्त 30 से ज्यादा वॉशिंग यूनिट्स बंद हो गई थीं. अब भी हालात नहीं सुधरे हैं. पहले एक जींस वॉश करने का खर्च ₹18 होता था. 2010 के बाद बढ़ती स्पर्धा से यह ₹14 पर आ गया. तब बिजली बिल ₹25,000 और मजदूरी ₹10,000 थी.
मजदूरी ₹30,000 तक पहुंच चुकी
बता दें कि अब मजदूरी ₹30,000 तक पहुंच चुकी है. बिजली बिल ₹1.2 लाख और पानी का खर्च ₹40,000 हो गया है. वॉशिंग केमिकल का खर्च अब ₹2 लाख हो गया है. एक यूनिट का कुल मासिक खर्च ₹6-7 लाख तक पहुंच चुका है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ‘जींस पार्क’ का वादा किया था. सीएम सिद्धारमैया ने बजट में इसका जिक्र भी किया, लेकिन दो साल बाद भी कोई काम शुरू नहीं हुआ.
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कम से कम 1 लाख लीटर पानी चाहिए
वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि हमें जींस पार्क नहीं चाहिए. बस बिजली सस्ती कर दो, और पानी की सप्लाई ठीक कर दो. हर यूनिट को महीने में कम से कम 1 लाख लीटर पानी चाहिए. अब तो टैंकर से काम चलाना पड़ रहा है. इस वजह से कई मजदूरों की नौकरी भी चली गई है. एक यूनिट मालिक ने कहा कि सरकार से कई बार गुहार लगाई. हम चाहते हैं कि तुंगभद्रा डैम से पाइपलाइन के जरिए पानी मिले. उद्योग विभाग के अफसरों (officials of the Industries Department) ने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है.
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