कौन हैं 96 साल की कठपुतली कलाकार भीमव्वा? जिन्हें मिला पद्म पुरस्कार

नई दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुजुकी मोटर के पूर्व प्रमुख दिवंगत ओसामु सुजुकी, प्रसिद्ध गायक दिवंगत पंकज उधास और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिवंगत सुशील कुमार मोदी समेत 71 प्रमुख हस्तियों को सोमवार को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया. इस साल 25 जनवरी को 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कुल 139 प्रतिष्ठित व्यक्तियों को देश के नागरिक पुरस्कारों – पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री – के लिए नामित किया गया था. इनमें से 71 को सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य की उपस्थिति में राष्ट्रपति भवन के भव्य दरबार हॉल में ये पुरस्कार प्रदान किए गए, जबकि शेष को शीघ्र ही एक अलग समारोह में ये अलंकरण प्रदान किए जाएंगे.

96 वर्षीय कठपुतली कलाकार भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्यथारा को कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्यथारा जब राष्ट्रपति से पद्मश्री लेने पहुंचीं, तो पूरा हॉल तालियों की गूंज से भर गया. इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य मंत्री भी ताली बजाते हुए नजर आए.

भीमाव्वा डोड्डबलप्पा शिल्लेक्याथरा, कर्नाटक के कोप्पल जिले के मोरनाल गांव की 96 वर्षीय कलाकार हैं, जिन्हें पारंपरिक छाया कठपुतली कला ‘तोगलु गोम्बेयाटा’ के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए वर्ष 2025 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. भीमाव्वा का जन्म 1929 में एक पारंपरिक कठपुतली कलाकार परिवार में हुआ था. उन्होंने मात्र 14 वर्ष की आयु में तोगलु गोम्बेयाटा कला में कदम रखा और पिछले सात दशकों से इस कला को जीवित रखने में अपना योगदान दे रही हैं. भीमाव्वा ने भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ अमेरिका, फ्रांस, इटली, ईरान, इराक, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड्स जैसे देशों में भी अपने प्रदर्शन से इस पारंपरिक कला को वैश्विक मंच पर पहुंचाया है.

भीमाव्वा को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें 1993 में ईरान का पपेट्री अवार्ड, 2005-06 में कर्नाटक जनपद और बयलाट अकादमी पुरस्कार, 2010 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2014 में राज्योत्सव पुरस्कार और 2020-21 में जनपद श्री पुरस्कार शामिल हैं. भीमाव्वा ने न केवल इस कला को जीवित रखा है, बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रशिक्षित किया है, ताकि यह पारंपरिक कला भविष्य में भी जीवित रह सके.

पुरस्कार पाने वालों में चार को पद्म विभूषण मिला – सुजुकी (मरणोपरांत), सुब्रमण्यम, रेड्डी और मलयालम लेखक एवं फिल्म निर्देशक एम.टी. वासुदेवन नायर (मरणोपरांत). कुल 10 प्रतिष्ठित व्यक्तियों को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. इनमें पंकज उधास (मरणोपरांत), सुशील कुमार मोदी (मरणोपरांत), बालकृष्ण कपूर, पूर्व हॉकी खिलाड़ी पी.आर. श्रीजेश, तमिल अभिनेता एस. अजित कुमार, जाइडस लाइफसाइंसेज के चेयरपर्सन पंकज पटेल और भारतीय-अमेरिकी इंजीनियर विनोद धाम शामिल हैं, जिन्हें ‘पेंटियम के जनक’ के रूप में जाना जाता है.

Credits To Live Hindustan

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