कैसे जालंधर से ताल्लुक रखते हैं मुनीर, जहां से पाकिस्तान को मिले 3 आर्मी चीफ

पाकिस्तान के आर्मी चीफ असिम मुनीर पैदा तो हुए रावलपिंडी में हुए लेकिन उनका जालंधर से खास रिश्ता है. हालांकि भारत – पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चल सैन्य संघर्ष में पाकिस्तान सेना ने यहां तक ड्रोन से विस्फोट किए. ये ऐसी जगह है जहां उनका परिवार आजादी के पहले तक रहता था.

जिस तरह पाकिस्तान के ज्यादातर हुक्मरानों और आर्मी चीफ के रिश्ते भारत से जुड़े रहे हैं और उनकी जड़ें उत्तर भारत में रही हैं, मुनीर उससे अलग नहीं हैं. पाकिस्तान के मार्शल आर्मी चीफ असीम मुनीर का नाम जालंधर से जुड़ा हुआ है. असीम मुनीर का पारिवार आजादी से पहले तक यहां रहा. इसके बाद जब बंटवारे के दौरान दंगे और हिंसा शुरू हुई तो वो पाकिस्तान में रावलपिंडी चले गए.

मुनीर रावलपिंडी में पैदा हुए. यहीं उनकी पढाई लिखाई हुए. फिर उन्होंने अफसर के रूप में कमीशन लिया. तरक्की करते करते आर्मी चीफ बन गए. हालांकि वह पाकिस्तान के सबसे विवादास्पद आर्मी चीफ हैं. भारत को लगातार निशाने पर रखते हैं. कश्मीर में पिछले कुछ सालों में जो आतंकवाद फैला, उसमें उनका खासा हाथ है.

तब मुनीर के पिता भी पाकिस्तान चले गए

1947 के भारत विभाजन और पाकिस्तान के असंवैधानिक गठन के परिणामस्वरूप दोनों देशों से लोगों का पलायन हुआ, जिसके कारण डेढ़ करोड़ से लोगों को अपनी मातृभूमि से बेघर होना पड़ा. इसी के चलते जनरल मुनीर के पिता सैयद सरवर मुनीर अपने परिवार के साथ जालंधर से पाकिस्तान भाग गए.

बंटवारे से पहले पंजाब का जालंधर शहर (News18 AI)

जालंधर में कहां रहते थे

मुनीर एक मुस्लिम सैयद परिवार से ताल्लुक रखते हैं. देश के बंटवारे से पहले उनका परिवार जालंधर के मध्य में सबसे पुराना क्षेत्र काजी मोहल्ला में रहते थे, यहां 1947 से पहले केवल मुस्लिम समुदाय के लोग रहते थे. हालांकि इस इलाके में आज भी मुस्लिम खासी संख्या में रहते हैं.

मुनीर का परिवार पहले कुछ समय के लिए पाकिस्तानी पंजाब के टोबा टेक सिंह जिले में रहा, फिर वे रावलपिंडी के हसनाबाद इलाके में बस गए. वहां उन्होंने एक मुहाजिर के तौर पर एक नई ज़िंदगी शुरू की.

पिता टीचर थे और मस्जिद से जुड़े हुए

मुनीर के पिता यहां भी एक टीचर थे. स्थानीय मस्जिद में उनका खासा योगदान रहता था कहना चाहिए कि उनका परिवार खासा धार्मिक मुस्लिम परिवार था. मुनीर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सेना प्रमुख होने के बाद इस संगठन में धर्म का जहर ज्यादा घोला है.

तब जालंधर से काफी परिवार पाकिस्तान चले गए

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार काजी मोहल्ला के साथ किला मोहल्ला में रहने वाले 79 वर्षीय हरप्रीत बताते हैं कि काजी मोहल्ला में सभी मुस्लिम समुदाय के लोग अपने परिवारों के साथ रहते थे. 1947 के बंटवारे के बाद सभी मुस्लिम परिवार काजी मोहल्ला छोड़कर पाकिस्तान चले गए. उन्होंने कहा कि जब सभी मुस्लिम परिवार यहां से चले गए तो आसिम मुनीर का परिवार भी यहां से चला गया.

बंटवारे के बाद पाकिस्तान को जालंधर से कई आर्मी अफसर मिले. (News18 AI)

बाद में रावलपिंडी जाने के बाद भी मुनीर के पिता एक स्कूल में प्रिंसिपल हो गए. स्थानीय मस्जिद के इमाम की भूमिका भी निभाते थे. उन्हें एक शिक्षित, धार्मिक और अनुशासित व्यक्ति माना जाता था. जनरल मुनीर की शुरुआती शिक्षा रावलपिंडी के एक इस्लामिक मदरसे दार-उल-तजवीद में हुई. बताया जाता है कि पाकिस्तान जाने के बाद भी उनके पिता कुछ समय तक यहां से जुड़े रहे लेकिन फिर संपर्क खत्म हो गया.

पाकिस्तान के कई सेना प्रमुख भारत से ही

पाकिस्तान के कई सेना प्रमुखों की जड़ें भारत में रही हैं. जनरल अयूब खान यूपी के रामपुर में पैदा हुए. बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए. बाद में पाकिस्तान के पहले फील्ड मार्शल और राष्ट्रपति भी बने. मजे कि बात ये भी है कि इस पंजाब के शहर ने पाकिस्तान की सेना को तीन प्रमुख दिए हैं.

पाकिस्तानी सेना के जनरल टिक्का खान (Wiki Commons)

जनरल टिक्का खान जालंधर में पैदा हुए

जनरल याह्या खान का परिवार बंटवारे से पहले अमृतसर और लुधियाना में रहता था. बंटवारे के बाद पाकिस्तान चला गया. जनरल गुल हसन खान के पूर्वजों का करनाल और दिल्ली से पुराना रिश्ता था. जनरल टिक्का खान का जन्म जालंधर में हुआ था. विभाजन में उनका परिवार पाकिस्तान चला गया. ये वही टिक्का खान हैं जिन्हें 1971 की जंग में ‘बुचर ऑफ बंगाल’ कहा गया.

मुशर्रफ दिल्ली में पैदा हुए

पाकिस्तान के सैन्य शासक बने जनरल परवेज़ मुशर्रफ दिल्ली में पैदा हुए थे. उनके पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन दिल्ली में भारतीय विदेश सेवा में थे. 1947 के बँटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान के कराची में बस गया. मुशर्रफ ने बाद में खुद कई बार इंटरव्यू में ये कहा कि वो “दिल्ली का लड़का” हैं और उन्हें दिल्ली की गलियां, खानपान और पुरानी दिल्ली की यादें अब भी याद हैं.

पाकिस्तानी सेना के चीफ रहे जनरल जिया उल हक, जो बाद में पाकिस्तान के सैन्य शासक बने. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को गद्दी से उखाड़ फेंका था. (wiki commons)

जिया उल हक भी जालंधर में पैदा हुए

पाकिस्तान के एक और सैन्य शासक जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक भी जालंधर में पैदा हुए. जिया का परिवार जालंधर में रहता था. उनका बचपन भी वहीं बीता. उनके पिता मुहम्मद अकबर दिल्ली में सिविल सर्विस में कार्यरत थे. 1947 के बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान चला गया. फिर ज़िया-उल-हक ने पाकिस्तान आर्मी जॉइन की. जालंधर ने पाकिस्तान को तीन सेना प्रमुख दिए. ये हैं जनरल टिका खान, जिया उल हक और मौजूदा आर्मी चीफ असिम मुनीर.

ज़िया-उल-हक की शुरुआती स्कूलिंग सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली में हुई थी. कई भारतीय पत्रकारों ने 1977-78 में उनकी बायोग्राफी में ये बात दर्ज की है कि वे बंटवारे के बाद भी जालंधर के अपने पुराने घर को याद करते थे.

Credits To Live Hindustan

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