ज्यादा गर्मी पड़ते ही क्यों आती है आंधी, होने लगती है बारिश, जानें इसकी वजह

Why do storms come when it gets too hot: कई दिनों तक 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान वाली चिलचिलाती गर्मी के बाद बुधवार शाम को दिल्ली-एनसीआर में अचानक मौसम बदल गया. राष्ट्रीय राजधानी और आस-पास के इलाकों में भारी बारिश, हेलस्टार्म (ओलावृष्टि) और तेज हवाओं ने राहत तो दी. लेकिन पेड़ गिरने, जलभराव और ट्रैफिक जाम की समस्या भी पैदा कर दी. दिल्ली हवाई अड्डे पर उड़ानों का ऑपरेशन बाधित हो गया. दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) की यलो लाइन के यात्री घंटों तक फंसे रहे.

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि बादलों का एक समूह उत्तरी दिल्ली से दक्षिण-दक्षिणपूर्व की ओर बढ़ गया. जिससे धूल भरी आंधी और तेज हवाएं चलने लगीं. मौसम में अचानक बदलाव तब आया जब राष्ट्रीय राजधानी में अत्यधिक गर्मी और उमस की स्थिति रही. जहां ज्यादा ह्यूमिडिटी और तेज धूप के कारण हीट इंडेक्स 50.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार बुधवार को अधिकतम तापमान 40.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. जो सामान्य औसत से 0.5 डिग्री अधिक था, जबकि ह्यूमिडिटी 34 फीसदी से 64 फीसदी के बीच उतार-चढ़ाव करती रही.

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ज्यादा गर्मी के बाद क्यों आती है आंधी
अब सवाल यह है कि ज्यादा गर्मी पड़ते ही कैसे आंधी और बारिश आने लगती है? ये पैटर्न इस बार उत्तर भारत में लगातार देखने को मिल रहा है. असल में इसके पीछे मौसम का दिलचस्प विज्ञान काम करता है. जैसे जब गर्मी ज्यादा पड़ती है तो जमीन और हवा दोनों का तापमान बहुत तेजी से बढ़ता है. जमीन का तापमान बढ़ता है तो वहां की हवा भी गरम होकर ऊपर उठने लगती है. ऊपर उठती गर्म हवा के स्थान पर आसपास की ठंडी और नमी वाली हवा उसकी जगह लेने आती है. 

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बुधवार शाम को तेज आंधी के बाद बारिश ने दिल्ली-एनसीआर को सराबोर कर दिया.

कैसे बन जाते हैं गरजने-बरसने वाले बादल
जैसे-जैसे गरम हवा ऊपर जाती है वो धीरे-धीरे ठंडी होने लगती है. उसमें मौजूद नमी घनी होकर बादलों का रूप लेने लगती है. अगर नमी ज्यादा हो और हवा में तेजी हो तो ये बादल गरज-बरस के बन जाते हैं. जिन्हें हम कालबैसाखी (pre-monsoon thunderstorm) या डस्ट स्टॉर्म (आंधी) कहते हैं. इस सिस्टम में अचानक तेज हवाए, धूलभरी आंधी और गरज के साथ हल्की या तेज बारिश भी हो जाती है.

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ऐसा उत्तर भारत में ज्यादा क्यों हो रहा है?
इस साल पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) ज्यादा बार आ रहे हैं. पश्चिमी विक्षोभ असल में ईरान-अफगानिस्तान की तरफ से आने वाला एक ठंडा मौसम सिस्टम होता है, जो जब उत्तर भारत की गरम और नमी वाली हवा से टकराता है तो आंधी-बारिश करा देता है. इस बार अप्रैल-मई में तापमान 40-45 डिग्री सेल्यियस तक गया. जिससे गरम हवा के उठने की प्रक्रिया तेज हो गई. साथ ही बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से भी नमी लगातार खिंच कर आ रही है. इसलिए हर दो-तीन दिन में एक बार आंधी आ रही है या तेज बारिश हो रही है. बुधवार को कुछ जगह तो ओले भी पड़े हैं.

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क्या ये इस मौसम में सामान्य है?
अभी के मौसम के हिसाब से हर दो-तीन दिन में आंधी या तेज बारिश का आना पूरी तरह से सामान्य नहीं है. लेकिन इस साल मई के महीने में ऐसा देखने को मिल रहा है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार इस साल मई में मौसम में काफी बदलाव देखा गया है. जलवायु परिवर्तन (climate change) और पश्चिमी विक्षोभ की फ्रीक्वेंसी इसकी वजह मानी जा रही है. मई का महीना भारत में खासकर उत्तर, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में आमतौर पर काफी गर्म होता है और लू (हीटवेव) चलती है. तापमान अक्सर 40-45 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. गर्मी के कारण हवा में नमी बढ़ती है, जिससे स्थानीय स्तर पर आंधी-तूफान और कभी-कभी बारिश की संभावना बनती है. लेकिन यह हर दो-तीन दिन में होने वाली घटना नहीं होती.

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इस साल क्या रही मई में स्थिति
इस साल मई में कई हिस्सों में सामान्य से कम गर्मी पड़ी है और असामान्य रूप से बारिश हुई है. उत्तर-पश्चिम भारत में पिछले तीन हफ्तों से आंधी-तूफान आए हैं, जिससे सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. अधिकतम तापमान सामान्य या सामान्य से कम रहा है. दक्षिण और मध्य भारतीय क्षेत्रों में भी इस साल मई में असाधारण रूप से बारिश हुई है. कई क्षेत्रों में 21 से 26 मई तक भारी बारिश और तेज हवाओं का पूर्वानुमान जारी किया गया है.

Credits To Live Hindustan

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