जिनकी हनक से रहता था खौफ और ठसक से बन जातीं खबरें, वो केके पाठक छोड़ रहे बिहार

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KK Pathak News: आईएएस अधिकारी केके पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं, वे कैबिनेट सचिवालय में अपर सचिव के पद पर योगदान देंगे. बता दें कि केके पाठक ने बिहार में शिक्षा, मद्य निषेध और राजस्व विभागों में मह…और पढ़ें

जिनकी हनक से रहता था खौफ और ठसक से बन जातीं खबरें, वो केके पाठक छोड़ रहे बिहार

बिहार के सीनियर आईएएस अफसर केके पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रहे.

हाइलाइट्स

  • केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रहे बिहार के आईएएस अधिकारी केके पाठक.
  • बिहार के नामी अफसर केंद्रीय कैबिनेट सचिवालय में अपर सचिव बनेंगे,
  • बिहार में शिक्षा, मद्य निषेध और राजस्व विभागों में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका.

पटना. अपनी हनक दिखाने और ठसक के साथ अफसरी के लिए चर्चित ररहने वाले आईएएस अधिकारी केके पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं. वे कैबिनेट सचिवालय में अपर सचिव यानी एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर योगदान देंगे. केके पाठक वर्तमान में बिहार सरकार के राजस्व पर्षद में अपर मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत रहे हैं. बता दें कि केके पाठक ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन दिया था और राज्य सरकार की ओर से हरी झंडी मिल गई है.केके पाठक इससे पहले भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं. बता दें कि बिहार में रहते हुए केके पाठक शिक्षा विभाग, उत्पाद विभाग, राजस्व विभाग समेत महत्वपूर्ण विभागों में योगदान दे चुके हैं.शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने में केके पाठक ने अहम भूमिका निभाई थी.

बता दें कि हाल में राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कई ऐसे काम किये जो चर्चा में रहे हैं. खास तौर पर बेतिया राज की जमीन को लेकर किए गए उनके फैसले काफी खबरों में रहे हैं. वहीं, इससे पहले मद्य निषेध विभाग और शिक्षा विभाग में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी. शिक्षा विभाग का कार्यकाल में अपर मुख्य सचिव रहते हुए वह अक्सर सुर्खियों में रहते थे. कई बार शिक्षकों पर सख्ती को लेकर तो कई बार विभाग के मंत्री से उनके टकराव की खबरें भी मीडिया में छाई रहती थीं.

शिक्षा विभाग में केके पाठक का कार्यकाल चर्चा में रहा
शिक्षा विभाग में उनके काम को काफी सराहना मिली. हालांकि, बाद में उनके तेवर के कारण उनकी काफी आलोचना भी हुई थी. बता दें कि वर्ष 2023 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में महागठबंधन की सरकार थी तब वह उन्हें शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया था. तब तत्कालीन शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर थे जिनसे उनकी नहीं बनती थी. मंत्री से केके पाठक की तनातनी की खबरें भी काफी सुर्खियों में रहीं.

आईएएस केके पाठक दोबारा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रहे
वहीं, जब पिछले वर्ष 2024 में फिर से एनडीए की सरकार बनी तो केके पाठक शिक्षा विभाग में कुछ दिन तो रहे, लेकिन फिर उनका तबादला कर दिया गया. उनकी जगह वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एस सिद्धार् कोथ शिक्षा विभाग के एसीएस यानी अपर मुख्य सचिव बनाया गया. इस बीच केके पाठक को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग भेज दिया गया. बताया जाता है कि अपने ट्रांसफर से नाराज होकर ही केके पाठक ने केंद्रीय प्रतिनयुक्ति के लिए आवेदन कर दिया था. अब एक साल तक विचार करने के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने उनके आवेदन पर उन्हें दिल्ली बुला लिया है.

नीतीश सरकार में केके पाठक को मिलती रही अहम जिम्मेदारी
बता दें कि केके पाठक जब मद्य निषेध विभाग में कमान संभाल रहे थे तो उन्होंने कई कड़े फैसले किए थे. बिहार में उसी दौरान शराबबंदी लागू हुई थी और तब सीएम नीतीश कुमार के विश्वसनीय माने जाने वाले केके पाठक को विभाग की कमान सौंप दी गई थी. शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने में उन्होंने अपनी बड़ी भूमिका निभाई. बता दें कि केके पाठक वर्ष 1990 बैच के आईएएस ऑफिसर रहे हैं और पहले भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं. वर्ष 2010 में भी केके पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे.

अपनी ठसक में काम करने वाले आइएएस की पूरी कहानी
केशव कुमार पाठक उर्फ केके पाठक 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. 1968 में जन्म हुआ है और शुरुआती पढ़ाई यूपी से हुई है. वर्ष 1990 में पाठक की पहली नियुक्ति कटिहार में हुई. इसके बाद गिरिडीह में भी एसडीओ रहे. पाठक का पहला विवाद गिरिडीह में ही सामने आया था. वे बेगूसराय, शेखपुरा और बाढ़ में भी एसडीओ पद पर तैनात रहे. वर्ष1996 में पाठक पहली बार डीएम बने और उन्हें संयुक्त बिहार के गिरिडीह जिले की कमान मिली.

लालू परिवार से टकराव, साधु यादव भी दिखाई थी हनक
राबड़ी देवी के शासन के दौरान पाठक को लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज की जिम्मेदारी भी मिली. यहीं पर पाठक ने पहली बार सुर्खियां बटोरीं क्योंकि केके पाठक ने गोपालगंज में एमपीलैड फंड से बने एक अस्पताल का उद्घाटन सफाईकर्मी से करवा दिया.विशेष बात यह है कि यह फंड गोपालगंज के सांसद और राबड़ी देवी के भाई साधु यादव ने मुहैया कराया था. तब केके पाठक के इस कदम से खूब बवाल मचा था. गोपालगंज में पाठक की हनक और ठसक से आखिरकार मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तंग आ गईं और उन्हें वापस सचिवालय बुला लिया गया. हालांकि, इसके बाद भी वे लगातार सुर्खियों में रहते आए हैं.

पटना हाईकोर्ट ने केके पाठक पर लगाया था जुर्माना
वर्ष 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनी तो केके पाठक को बड़ा पद मिला. पाठक को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) का प्रबंध निदेशक बनाया गया. वर्ष 2008 में हाईकोर्ट ने एक आदेश में पाठक पर 5000 का जुर्माना भी लगाया. केके पाठक पाठक बिहार आवास बोर्ड के सीएमडी भी रहे. नीतीश कुमार के करीबी अधिकारी अरुण कुमार के निधन के बाद शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी पाठक को सौंपी गई. केके पाठक से जुड़े कई वाकये हैं जिनपर चर्चा की जा सकती है.

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