इस सेक्टर में काम करने वाले 80 पर्सेंट लोगों को होती है फैटी लिवर की दिक्कत, कहीं खतरे में तो नहीं आपकी जान?


इस कंडीशन को पहले नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के नाम से जाना जाता था. यह दिक्कत लिवर में एक्स्ट्रा फैट जमा होने के कारण होती है.

फैटी लिवर की वजह से सिरोसिस, लिवर कैंसर और लिवर फेल्योर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं.

फैटी लिवर दो तरह का होता है. पहला अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD), जो ज्यादा शराब पीने से होता है. वहीं, दूसरा मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-असोसिएटेड फैटी लिवर डिजीज (MAFLD), जिसका कनेक्शन मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और डिस्लिपिडिमिया जैसे मेटाबॉलिक खतरों से होता है.

यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद की स्टडी में सामने आया कि 84% आईटी कर्मचारियों को MAFLD है, जो गंभीर हेल्थ क्राइसेस की ओर इशारा करता है.

भारत का आईटी सेक्टर देश की इकोनॉमी का प्रमुख आधार है, जो 2023-24 में जीडीपी का लगभग 7% योगदान दे रहा था और 54 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करता है.

इस सेक्टर का वर्किंग प्रोसेस जैसे काफी समय तक बैठे रहना, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, अनियमित नींद और अनहेल्दी खान-पान आदि है. इसका असर कर्मचारियों की हेल्थ पर पड़ रहा है.

स्टडी में सामने आया कि 84% कर्मचारियों में MAFLD की पुष्टि हुई, जो लिवर में ज्यादा फैट की जानकारी देता है. 71% कर्मचारी क्लिनिकली मोटापे से ग्रस्त थे, जो MAFLD का मुख्य खतरनाक कारण है.

स्टडी में पता लगा कि 34% कर्मचारियों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम था, जिसमें मोटापा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं शामिल हैं. वहीं, 20% कर्मचारियों में लीन MAFLD था. इसका मतलब यह है कि सामान्य बॉडी मास इंडेक्स (BMI 23 kg/m²) होने के बावजूद उन्हें फैटी लिवर की समस्या थी.
Published at : 30 May 2025 09:51 AM (IST)