इजरायली PM नेतन्याहू का मोदी को कॉल… पाकिस्तान पर गाजा की तरह गरजेगा भारत?

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान आमने सामने आ गए हैं. 26 भारतीय नागरिकों की मौत के बाद पूरा देश गम और गुस्से में है. इस गुस्से को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्रे मोदी ने भी गुरुवार को बिहार से बड़ा ऐलान कर दिया है. पीएम ने साफ कहा है कि इस हमले में शामिल शख्स धरती के किसी भी कोने में चला जाए, बचेगा नहीं. इस ऐलान के कुछ ही घंटे बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम मोदी को फोन कर आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता व्यक्त किया. इस फोन कोल के बाद सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या भारत पाकिस्तान के खिलाफ गाजा जैसी आक्रामक सैन्य कार्रवाई कर सकता है? 10 प्वाइंट में जानेंगे भारत के पास क्या विकल्प है और क्या नहीं है.
1- भारत की सैन्य कार्रवाई की संभावना
भारत ने पहले भी पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के जवाब में सीमित सैन्य कार्रवाई की है, जैसे 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 का बालाकोट हवाई हमला. युद्ध से बचने के लिए भारत के पास ये सबसे बड़ा विकल्प है. भारत गाजा जैसी रणनीति शायद हगी पीओके में करे क्योंकि बड़े पैमाने पर बमबारी और जमीनी अभियान शामिल होने से जानमाल की हानि काफी हो सकता है.
2- परमाणु खतरा
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु हथियारों से लैस हैं. कोई भी आक्रामक सैन्य कार्रवाई तनाव को बढ़ा सकती है, जिससे परमाणु टकराव का खतरा पैदा हो सकता है. इस लिहाज से भी पूर्ण युद्ध होने की संभावना बहुत कम नजर आ रही है.
3-भौगोलिक अंतर
गाजा एक छोटा और घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जबकि पाकिस्तान एक बड़ा और विविध भौगोलिक और सैन्य शक्ति वाला देश है. गाजा जैसी नाकाबंदी या निरंतर बमबारी लागू करना पाकिस्तान में असंभव है. लेकिन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में यह कुछ हद तक संभव हो सकता है.
4-अंतरराष्ट्रीय दबाव
भारत एक जिम्मेदार अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के रूप में अपनी छवि बनाए रखना चाहता है. गाजा जैसी कार्रवाई से मानवीय संकट और वैश्विक आलोचना का सामना करना पड़ सकता है, जैसा कि इजरायल को ICC अरेस्ट वारंट के रूप में देखा गया है. इसके बजाय, भारत सीमित, सटीक सैन्य कार्रवाइयों पर ध्यान दे सकता है, जैसे आतंकी ठिकानों पर ड्रोन हमले या विशेष बलों के ऑपरेशन.
5-कूटनीतिक दबाव
भारत गाजा मॉडल के कुछ गैर-सैन्य पहलुओं को अपना सकता है, जैसे कूटनीतिक अलगाव से भारत पहले से ही संयुक्त राष्ट्र और FATF जैसे मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है. पहलगाम हमले के बाद यह प्रयास तेज हो सकता है.
6-आर्थिक प्रतिबंध
भारत ने सिंधु यानी इंडस वाटर्स संधि को रद्द करने और अटारी सीमा को बंद करने जैसे कदम उठाए हैं. ये कदम पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव डाल सकते हैं, हालांकि गाजा जैसी पूर्ण नाकाबंदी संभव नहीं है.
7-आंतरिक सुरक्षा और जन समर्थन
पहलगाम हमला भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा झटका है. सरकार की प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ाने और आतंकी घुसपैठ को रोकने की होगी. गाजा जैसी आक्रामक बाहरी कार्रवाई की तुलना में भारत का ध्यान आंतरिक स्थिरता और खुफिया नेटवर्क को मजबूत करने पर अधिक हो सकता है.
8-रणनीतिक चुनौतियां
पाकिस्तान किसी भी सैन्य कार्रवाई का जवाब दे सकता है, जिससे सीमा पर तनाव बढ़ सकता है.
9-चीन करेगा खेल
पाकिस्तान का करीबी सहयोगी चीन भारत की किसी भी आक्रामक कार्रवाई का विरोध कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय जटिलताएं बढ़ेंगी. अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन वे पूर्ण युद्ध का वह भी समर्थन नहीं करेंगे.
10- मानवीय और नैतिक विचार
गाजा जैसी रणनीति से नागरिक हताहतों की संख्या बढ़ सकती है, जो भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा सकती है. नेतन्याहू का फोन कॉल भारत-इजरायल साझेदारी को मजबूत करता है, लेकिन यह संकेत नहीं देता कि भारत गाजा मॉडल को अपनाएगा. भारत की रणनीति आतंकवाद के खिलाफ कठोर लेकिन जिम्मेदार कार्रवाई पर केंद्रित रहेगी, जो क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक छवि को ध्यान में रखेगी.
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