IIT, बिजली विभाग की नौकरी छोड़ी, सपनों को दी उड़ान, RTO से बनीं ISRO साइंटिस्ट

ISRO Story: भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने युवाओं से हमेशा बड़े सपने देखने की प्रेरणा दी थी. शाहपुर (ठाणे) के शिरगांव गांव की सुजाता रामचंद्र मडके (Sujata Ramchandra Madke) ने इसी विचार को अपनाकर कड़ी मेहनत से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में साइंटिस्ट का पद हासिल करने में कामयाब रही हैं और अपने गांव का नाम रोशन किया है.
गांव के छोटे स्कूल से बड़ी उड़ान की शुरुआत
सरकारी स्कूल से पढ़ाई, IIT और बिजली विभाग में किया काम
प्राथमिक शिक्षा के बाद सुजाता ने शाहपुर के जी. वी. खाड़े स्कूल से पढ़ाई की और SSC परीक्षा में 94.91% तथा HSC में 77.50% अंक प्राप्त किए. इसके बाद उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लोनेरे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया. उन्होंने IIT खड़गपुर में वर्चुअल लैब प्रोजेक्ट के तहत रिसर्च इंजीनियर के रूप में कार्य किया और बाद में MAHAGENCO में असिस्टेंट इंजीनियर के पद के लिए चयनित हुईं
साधारण परिवार से असाधारण मुकाम तक
सरकारी नौकरी छोड़ी, सपना नहीं
ठाणे RTO में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के रूप में दो वर्षों तक कार्य करने के बाद सुजाता ने ISRO में साइंटिस्ट बनने के अपने लक्ष्य को प्राथमिकता दी. पढ़ाई के लिए वह प्रतिदिन 8 से 12 घंटे तक समय देती थीं. उनकी बहन चेतना बताती हैं कि बचपन से ही सुजाता पढ़ाई में तेज थीं और मेहनत के बल पर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया.
नए अध्याय की शुरुआत
एक प्रेरणा, जो भविष्य की राह दिखाती है
सुजाता मडके की कहानी यह दर्शाती है कि सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद अगर आत्मविश्वास और समर्पण हो, तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है. उनका सफर न केवल एक व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि हजारों ग्रामीण बेटियों के लिए उम्मीद की नई किरण है.
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