हिन्दू था तो हिन्दू बोला, मौत को देख डरा नहीं मेरा बेटा, अंतिम संस्कार से पहले बोले फफक पड़े शुभम के पिता
हिन्दू था, हिन्दू बोला, मौत को सामने देख कर भी मेरा बेटा डरा नहीं। वह मरा नहीं, बल्कि शहीद हुआ है। ड्योढ़ी घाट पर शुभम के अंतिम संस्कार से पहले यह कहते हुए पिता संजय द्विवेदी फफक पड़े।

हिन्दू था, हिन्दू बोला, मौत को सामने देख कर भी मेरा बेटा डरा नहीं। वह मरा नहीं, बल्कि शहीद हुआ है। ड्योढ़ी घाट पर शुभम के अंतिम संस्कार से पहले यह कहते हुए पिता संजय द्विवेदी फफक पड़े। बेटे पर गर्व कर रहे थे कि आतंकियों के सामने भी वह अपने धर्म को लेकर डटा रहा। साथ में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, पूर्व मंत्री अनंत मिश्र अंटू समेत कई लोग उन्हें सांत्वना दे रहे थे। परिवार के साथ सभी लोग शुभम की हत्या को शहादत बताते रहे।
शुभम अपने परिवार के 11 सदस्यों के साथ कश्मीर घूमने गए थे। 23 अप्रैल को उन्हें घर लौटना था लेकिन इससे पहले ही पहलगाम में आतंकियों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया। घटना के बाद संजय और शुभम के बहनोई शुभम दुबे विशेष विमान से शव लेकर लखनऊ आए। सुबह मुख्यमंत्री के श्रद्धांजलि देने के बाद अंतिम यात्रा ड्योढ़ी घाट के लिए रवाना हुई। घाट पर शुभम का अंतिम संस्कार रीति-रिवाज से चल रहा था। बेटे की मौत से आहत पिता एक किनारे कुर्सी पर बैठे थे। उन्हें सांत्वना देने के लिए लोग आ-जा रहे थे। भावुक संजय द्विवेदी अचानक आतंकियों के खिलाफ आक्रोशित हुए और बेटे की बहादुरी पर गर्व करने लगे। कहा, आतंकियों के सामने भी बेटा अपने धर्म के प्रति अडिग रहा। तभी वहां मौजूद सेना से रिटायर 86 वर्षीय वीएस शर्मा बोले कि शुभम मरा नहीं, बल्कि शहीद हुआ है। आसपास के लोग भी यही कहने लगे। कहा, आतंकियों ने कायरता का काम किया है।
कानपुर के बाजारों में अभूतपूर्व बंदी
पहलगाम में कानपुर के लाल शुभम द्विवेदी की मौत के विरोध में पहली बार बाजारों में अभूतपूर्व बंदी रही। वहीं, शुभम के पैतृक गांव हाथीपुर से ड्योढ़ी घाट तक गम और गुस्सा दिखा। शुभम की अंतिम यात्रा में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगे। जगह-जगह आतंकवाद और पाकिस्तान का पुतला दहन कर सरकार से आतंकियों के सफाए की मांग उठाई। वहीं स्कूल-कॉलेजों में मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। देर शाम विहिप, बजरंग दल, व्यापारियों और समाज के विभिन्न संगठनों ने कैंडल मार्च निकाला।