हिमंता Vs गौरव गोगोई , BJP के चैंपियन को मात दे पाएंगे कांग्रेस के धुरंधर?

असम की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो चुका है. कांग्रेस ने लोकसभा में अपने उपनेता और जोरहाट से सांसद गौरव गोगोई को असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त कर 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति की पहली चाल चल दी है. यह कदम सीधे तौर पर मौजूदा मुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता हिमंता बिस्वा सरमा को चुनौती देने जैसा है. दोनों नेताओं के बीच पहले से ही तीखी बयानबाजी और व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, जिसने असम की सियासत को गरमा दिया है. सवाल यह है कि क्या गौरव गोगोई हिमंता के सामने असम के राजनीतिक मैदान में टक्कर दे पाएंगे?
कांग्रेस ने गौरव गोगोई को असम का नया अध्यक्ष बनाकर एक रणनीतिक कदम उठाया है. गौरव, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे हैं, जिन्होंने 2001 से 2016 तक लगातार तीन बार असम में कांग्रेस की सरकार चलाई. गौरव की राजनीतिक विरासत और उनकी हालिया उपलब्धियां, खासकर 2024 के लोकसभा चुनाव में जोरहाट सीट पर बीजेपी के सिटिंग सांसद को 1.44 लाख वोटों से जिस तरह उन्होंने हराया, उससे वे पार्टी में एक मजबूत चेहरा बन चुके हैं. उनकी इस जीत ने कांग्रेस नेतृत्व का भरोसा बढ़ाया. अब पार्टी उन्हें हिमंता के खिलाफ मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरे के रूप में पेश कर रही है. गौरव की छवि एक साफ-सुथरे और युवा नेता की है, जो ऊपरी असम में खासा प्रभाव रखते हैं.
हिमंता बिस्वा सरमा- बीजेपी का चैंपियन
हिमंता बिस्वा सरमा असम की सियासत में एक बड़ा नाम हैं. 2015 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने 2016 और 2021 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई. 2021 के चुनावों में एनडीए ने 75 सीटें जीतीं, जिसमें बीजेपी की बड़ी हिस्सेदारी थी. हिमंता का प्रशासनिक अनुभव, संगठनात्मक कौशल और जमीनी स्तर पर बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच उनकी पकड़ उन्हें एक मजबूत नेता बनाती है. हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में बीजेपी की बंपर जीत ने उनकी स्थिति को और मजबूत किया है. हिमंता की आक्रामक रणनीति और विकास के एजेंडे ने उन्हें बीजेपी का अहम चेहरा बनाया है, लेकिन उनकी बयानबाजी, खासकर गौरव गोगोई और उनकी पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न पर लगाए गए विवादास्पद आरोप ने सियासत को नया मोड़ दिया है.
कांग्रेस की चुनौतियां और संभावनाएं
कांग्रेस 2016 और 2021 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी से हार चुकी है. 2021 में पार्टी ने 29 सीटें जीतीं, जो एनडीए की 75 सीटों के मुकाबले काफी कम थीं. हाल के पंचायत चुनावों में भी कांग्रेस को निराशा हाथ लगी, जिसने उसके जमीनी कार्यकर्ताओं में हताशा पैदा की है. हालांकि, गौरव गोगोई की नियुक्ति और तीन नए कार्यकारी अध्यक्षों जाकिर हुसैन सिकदर, रोजलिना तिर्की और प्रदीप सरकार के साथ कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है. पार्टी भ्रष्टाचार, महंगाई, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाकर हिमंता सरकार के खिलाफ जनता में असंतोष को भुनाने की रणनीति बना रही है. नए परिसीमन के बाद मुस्लिम बहुल सीटों की संख्या में कमी ने कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ाई है, लेकिन गौरव की लोकप्रियता और युवा नेतृत्व इस कमी को कुछ हद तक पूरा कर सकता है.
व्यक्तिगत और राजनीतिक टकराव
हिमंता और गौरव के बीच टकराव केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत भी हो गया है. हिमंता ने गौरव की पत्नी एलिजाबेथ पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से कथित संबंधों का आरोप लगाया और दावा किया कि गौरव ने पाकिस्तान का दौरा किया था. गौरव ने इन आरोपों को “हास्यास्पद और निराधार” बताकर खारिज किया और हिमंता की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए. दूसरी ओर, गौरव ने हिमंता की पत्नी रिंकी भुइयां सरमा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. यह जुबानी जंग 2026 के चुनावों को और रोचक बना रही है. गौरव की ताकत उनकी साफ छवि और जोरहाट में जीत से मिला आत्मविश्वास है, जबकि हिमंता का दबदबा उनकी अनुभवी छवि और बीजेपी की संगठनात्मक ताकत से आता है.
चुनावी गणित में कौन कितना भारी?
असम की 126 विधानसभा सीटों में से बीजेपी और उसके सहयोगी दलों का 2021 में दबदबा रहा. नए परिसीमन ने समीकरण बदले हैं, जिससे मुस्लिम और कुछ अन्य समुदायों की सीटें प्रभावित हुई हैं. कांग्रेस को गौरव के नेतृत्व में एकजुटता और जमीनी स्तर पर प्रचार को तेज करना होगा. गौरव की अपील युवाओं और ऊपरी असम के मतदाताओं में मजबूत है, लेकिन हिमंता की विकास नीतियां और बीजेपी का मजबूत संगठन कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है.
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