घोड़े जो कभी राजा की सवारी थे, आज सड़कों पर मर रहे! रामेश्वरम में तड़प रहे

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Tamil Nadu: रामेश्वरम में एक समय राजाओं की सवारी रहे घोड़े आज जंगलों में भूखे-प्यासे भटक रहे हैं. अब ये घोड़े शहर में आकर हादसों का कारण बन रहे हैं.

घोड़े जो कभी राजा की सवारी थे, आज सड़कों पर मर रहे! रामेश्वरम में तड़प रहे

रामेश्वरम के घोड़े

रामेश्वरम की धरती कभी उन घोड़ों की टापों से गूंजती थी, जो अरब प्रायद्वीप से लाए जाते थे. तमिलनाडु और श्रीलंका पर राज करने वाले राजा इन घोड़ों का उपयोग युद्ध और व्यापार के लिए करते थे. अरब व्यापारी घोड़ों को लेकर रामेश्वरम आते थे और उन्हें युद्ध की ट्रेनिंग देते थे. समय के साथ ये घोड़े पूरे द्वीप में फैल गए. लेकिन आज वही घोड़े जंगलों में भटक रहे हैं—न खाने को कुछ है, न पीने को पानी.

घोड़ागाड़ी से हुआ था सफर, अब रह गया है बस इतिहास
1988 में पंबन रोड ब्रिज बनने से पहले रामेश्वरम तक पहुँचने का एकमात्र साधन अंग्रेजों की बनाई रेल सेवा और फिर मंडपम से घोड़ा ही था. रामेश्वरम आने वाले यात्रियों को रामनाथस्वामी मंदिर, अग्नि तीर्थम, राम पदम जैसे धार्मिक स्थलों तक पहुँचाने के लिए घोड़ागाड़ी ही एकमात्र साधन थी. उस समय हर गली में घोड़ों की आवाजाही आम बात थी.

ब्रिज बना, गाड़ियां आईं और घोड़ागाड़ियां हुईं गायब
जैसे ही पंबन रोड ब्रिज बना और मोटर गाड़ियों का आना-जाना शुरू हुआ, वैसे ही घोड़ों की उपयोगिता खत्म हो गई. लोग गाड़ियों में चलने लगे और घोड़ागाड़ियां पीछे छूट गईं. जो घोड़े कभी रईसों और राजाओं की सवारी थे, उन्हें अब उनके मालिक जंगल में छोड़ने लगे क्योंकि उनका खर्च उठाना मुश्किल हो गया था.

अब जंगलों में भटक रहे हैं प्यासे और भूखे घोड़े
आज रामेश्वरम के धनुषकोडी, पंबन और वडकाडु जैसे क्षेत्रों के जंगलों में हजारों घोड़े बिना देखभाल के भटक रहे हैं. गर्मियों में पानी के स्रोत सूख चुके हैं, खाने को कुछ नहीं है, इसलिए ये घोड़े अब इंसानी बस्तियों में घुसने लगे हैं. वे सड़कों पर अचानक आ जाते हैं, जिससे वाहन चालकों के लिए खतरा बन जाते हैं और खुद भी घायल होकर मर जाते हैं.

शहर की सड़कों पर डर का माहौल, कुत्तों के हमले से भी घायल हो रहे घोड़े
सड़कों पर भटकते ये घोड़े न सिर्फ वाहनों की चपेट में आते हैं बल्कि आवारा कुत्तों का भी शिकार बनते हैं. कई घोड़ों को कुत्ते काट लेते हैं जिससे वे कमजोर होकर धीरे-धीरे मरने लगते हैं. ये नजारा स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के लिए दुखद और डरावना बन चुका है.

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