एक पैर पर कितनी देर खड़े रह पाएंगे,बता देगा बॉडी का असली हाल,30 सेकेंड चैलेंज

क्या आपने कभी सोचा कि एक पैर पर कितनी देर तक खड़े रह सकते हैं? दुनियाभर में इसे लेकर कई रिसर्च हुई हैं. एक पैर पर खड़े होने से खास तौर पर पता लग जाता है कि बॉडी असल में किस हाल में है. आप कितने स्वस्थ हैं. इससे ये भी पता लग जाएगा आपकी बॉडी किस उम्र को जाहिर कर रही है. इसे समग्र स्वास्थ्य का एक आसान संकेतक भी माना गया है.

मायो क्लिनिक जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के शोध बताते हैं कि यह साधारण-सा टेस्ट आपकी हड्डियों, मांसपेशियों, तंत्रिकाओं और यहां तक कि जैविक उम्र (biological age) के बारे में बहुत कुछ बता सकता है.

एक पैर पर खड़े होने का टेस्ट क्या है?
एक पैर पर खड़े होने का टेस्ट एक बिल्कुल आसान सा टेस्ट है, जिसमें व्यक्ति को एक पैर पर खड़े होकर संतुलन बनाए रखना होता है, जबकि दूसरा पैर थोड़ा ऊपर उठा होता है. इस दौरान सामने देखना होता है. कोई सहारा नहीं लेना होता. टेस्ट की अवधि को सेकंड में मापा जाता है कि आप कितने देर इस तरह से संतुलन बनाते हुए खड़े रह सकते हैं. उम्र, शारीरिक स्थिति और स्वास्थ्य के आधार पर खड़े रहने का ये समय बदलता है.

आसान टेस्ट जो घर पर हो जाएगा
यह टेस्ट इतना आसान है कि इसे घर पर भी किया जा सकता है. बस एक सपाट सतह पर खड़े हों, एक पैर को घुटने से मोड़कर थोड़ा ऊपर उठाएं. फिर देखें कि आप कितनी देर बिना लड़खड़ाए खड़े रह सकते हैं. दरअसल इसमें एक गहरा वैज्ञानिक आधार छिपा है, जो मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र, मांसपेशियों और संतुलन के बीच तालमेल को परखता है.

रिसर्च क्या कहता है?
मायो क्लिनिक के शोधकर्ताओं ने हाल ही में इस टेस्ट को जैविक उम्र और स्वास्थ्य का एक अहम सिगनल बताया है. उनके अनुसार, एक पैर पर संतुलन बनाए रखने की क्षमता आपके शरीर की कई प्रणालियों, जैसे मस्तिष्क, आंखें, कान, जोड़ और मांसपेशियों के बीच तालमेल को दिखाती हैं.

(image generated by leonardo ai)

अगर आप इस टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो इसका मतलब है कि आपकी बॉडी एकदम ठीक है, आप स्वस्थ हैं. आपका रक्त प्रवाह, मांसपेशियों की ताकत और तंत्रिका तंत्र स्वस्थ है. वहीं, अगर आप जल्दी लड़खड़ा जाते हैं, तो यह कुछ स्वास्थ्य समस्याओं की ओर इशारा कर सकता है.

क्या है इसका मानक
“द सन” की एक रिपोर्ट के अनुसार, उम्र के साथ संतुलन बनाए रखने की क्षमता कम होती जाती है. कई रिसर्च के आधार पर भी एक पैर पर खड़े रहने की औसत अवधि को तय किया गया है.
– 20-30 साल उम्र में लोग आमतौर पर 20-30 सेकंड या उससे अधिक समय तक आसानी से संतुलन बना सकते हैं. यह उम्र शारीरिक ताकत और तंत्रिका तंत्र की चरम अवस्था होती है.
– 40-50 साल की उम्र में लोग औसतन 10 -15 सेकंड तक एक पैर पर संतुलन बना सकते हैं. माना जाता है कि इस उम्र में मांसपेशियों और जोड़ों में हल्की कमजोरी शुरू हो सकती है.
– 50-60 साल की उम्र में 8-10 सेकंड तक संतुलन बनाना सामान्य है. नियमित व्यायाम करने वाले लोग इससे बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.
– 60-70 साल की उम्र में 5-8 सेकंड तक संतुलन बनाना सामान्य है. तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियों में उम्र के साथ कमी आती है.
– 70 साल से अधिक: इस उम्र में 3-5 सेकंड तक संतुलन बनाना सामान्य माना जाता है. हालांकि, सक्रिय जीवनशैली वाले लोग इससे बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.
– 80 साल की उम्र में यह समय घटकर केवल 3 सेकंड रह जाता है.

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शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर आप अपनी उम्र के हिसाब से अपेक्षित समय से कम समय तक एक पैर पर खड़े रह पाते हैं तो ये संकेत है कि आपकी हड्डियां, मांसपेशियां या तंत्रिकाएं उतनी मजबूत नहीं हैं, जितनी होनी चाहिए. इससे आपको भविष्य में गिरने, फ्रैक्चर होने या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है.

संतुलन और बीमारियों का कनेक्शन
एक पैर पर खड़े होने की क्षमता न केवल शारीरिक संतुलन को दर्शाती है, बल्कि कई बीमारियों का भी संकेत दे सकती है. शोध बताते हैं कि इस टेस्ट में खराब प्रदर्शन कई स्वास्थ्य समस्याओं की ओर इशारा कर सकता है.
– तंत्रिका तंत्र की समस्याएं – पार्किंसन रोग, मल्टीपल स्क्लेरोसिस या स्ट्रोक जैसी बीमारियां तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती हैं, जिससे संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है.
– मांसपेशियों और हड्डियों की कमजोरी –ऑस्टियोपोरोसिस, गठिया या मांसपेशियों की कमजोरी (सार्कोपेनिया) के कारण संतुलन प्रभावित हो सकता है. ताड़ासन जैसे योगासनों को इस समस्या में लाभकारी पाया गया है.
– रक्त संचार की समस्याएं –धमनी रोग (PAD) या वैरिकाज़ नसों जैसी समस्याएं पैरों में रक्त प्रवाह को कम कर सकती हैं, जिससे संतुलन बनाना कठिन हो जाता है.
– मधुमेह और अन्य पुरानी बीमारियां – मधुमेह से तंत्रिका क्षति (न्यूरोपैथी) हो सकती है, जो संतुलन को प्रभावित करती है.

क्या खतरा हो सकता है
शोधकर्ताओं का कहना है कि खराब संतुलन वाले लोगों में गिरने और चोट लगने का खतरा अधिक होता है, जो संक्रमण या अन्य जटिलताओं को बढ़ा सकता है.

कैसे टेस्ट करें
– एक सपाट, गैर-फिसलन वाली सतह चुनें.
– आरामदायक जूते पहनें या नंगे पैर रहें.
– एक पैर को घुटने से मोड़कर थोड़ा ऊपर उठाएं.
– सामने की ओर देखें और संतुलन बनाए रखने की कोशिश करें.

क्या है वर्ल्ड रेकॉर्ड
एक पैर पर खड़े रहने का आधिकारिक विश्व रिकॉर्ड गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार सुरेश जोआचिम (Suresh Joachim) के नाम है, जिन्होंने 76 घंटे और 40 मिनट तक एक पैर पर खड़े रहकर यह रिकॉर्ड बनाया. यह रिकॉर्ड उन्होंने 24 दिसंबर 1997 को श्रीलंका के कोलंबो में स्थापित किया था.
इस दौरान, जोआचिम को बिना किसी सहारे के, एक पैर पर संतुलन बनाए रखना था. नियमों के अनुसार, उन्हें दूसरे पैर को जमीन पर नहीं रखना था.

Credits To Live Hindustan

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