एफएटीएफ की नौटंकी बंद हो! पहलगाम में 26 लाशें गिरीं और ये PAK की पीठ थपथपा रहे

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को जो हुआ, वो सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं था, पूरी दुनिया को मैसेज था कि आतंक अब भी पाकिस्तान से पनप रहा है. फल-फूल रहा है. और दुनिया आंखें मूंदे बैठी है. उसमें भी फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ढिठाई देखिए. दुनिया भर की सरकारों को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग रोकने का ज्ञान देने वाली ये संस्था, पाकिस्तान की पीठ थपथपा रही है. उस पाकिस्तान की, जहां से आए आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों को धर्म पूछकर मौत के घाट उतार दिया.
तो फिर आतंक की फंडिंग कौन कर रहा है?
एफएटीएफ पाकिस्तान से क्यों नहीं पूछता, कहां से आया पैसा? किसने भेजा? किसने इस्तेमाल किया? लेकिन नहीं, जब बात पाकिस्तान की आती है, तो एफएटीएफ की जुबान लड़खड़ाने लगती है. कहने लगता है कि ‘हमारी मीटिंग्स गोपनीय होती हैं. हम नाम नहीं ले सकते. हम राजनीतिक संगठन नहीं हैं.’ तो फिर आप हैं क्या? केवल दिखावा? अमेरिका और यूरोप के पिट्ठू, वे जहां कहते हैं, जिस ओर कहते हैं, उधर ही फैसला करना पड़ता है.
एफएटीएफ ने 2022 में ये कहते हुए पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से निकाला कि उसने सुधार किए हैं, लेकिन बताता नहीं कि सुधार क्या थे? लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर मुकदमे नहीं हुए. हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे टेररिस्ट आराम से घूम रहे हैं. भारत की सैकड़ों शिकायतें सुनवाई तक नहीं पहुंचीं. फिर एफएटीएफ ने क्या देखा? क्या फिर किसी देश के कहने पर पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी गई? उसका रिकॉर्ड, उसका रिपोर्ट कार्ड, उसके कारनामे नहीं देखे गए?
खून के छींटे FATF पर भी
पहलगाम में जिन 26 निर्दोष लोगों को मारा गया, उनके खून के छींटे एफएटीएफ पर भी नजर आने लगे हैं. एफएटीएफ को बताना चाहिए कि अगर पाकिस्तान इस हमले में शामिल नहीं था, तो कौन था? FATF को इसका जवाब देना होगा कि अगर वहां के आतंकियों ने हमला नहीं किया तो कहां से आए? अगर पाकिस्तान आतंकियों से लड़ रहा है तो वहां जैश-लश्कर के आतंकी खुलेआम कैसे घूम रहे हैं? अगर एफएटीएफ इन सवालों के जवाब नहीं दे सकती तो इस संस्था का अस्तित्व ही सवालों के घेरे में है.
भारत को क्या करना चाहिए?
भारत को असलियत पता चल चुकी है. इसलिए उसे एफएटीएफ की ढकोसलेबाजी से बाहर निकलकर एक अंतरराष्ट्रीय मुहिम छेड़नी चाहिए. पाकिस्तान को फिर से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालने के लिए दबाव बनाना जारी रखना चाहिए. आतंकी फंडिंग के हर सबूत को सार्वजनिक करना चाहिए, ताकि एफएटीएफ का चेहरा बेनकाब हो. एफएटीएफ की वर्किंग पर यूएन सिक्योरिटी काउंसिल और G20 जैसे मंचों पर सवाल उठाना चाहिए. ऐसे मुल्कों को बेनकाब करना चाहिए, जिनके दम पर एफएटीएफ पाकिस्तान को इस तरह का संरक्षण दे रहा है.
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