ईरानी विदेश मंत्री पहले जाएंगे पाकिस्तान, फिर आएंगे भारत,आखिर चल क्या रहा
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India Pakistan Tension: भारत-PAK तनाव के बीच ईरान ने कूटनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है. ईरानी विदेश मंत्री पहले जाएंगे पाकिस्तान, फिर भारत आएंगे. इससे पहले ईरान मध्यस्थता की पेशकश कर चुका है, लेकिन भारत ने दो टूक इन…और पढ़ें

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच ईरान फिर से एक्टिव हो गया है.
हाइलाइट्स
- भारत-PAK तनाव के बीच ईरान ने कूटनीतिक सक्रियता बढ़ाई.
- ईरानी विदेश मंत्री पहले जाएंगे पाकिस्तान, फिर आएंगे भारत.
- मध्यस्थता की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने ठुकरा दिया था.
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच ईरान एक बार फिर एक्टिव हो गया है. ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अरागची ने 5 मई को पाकिस्तान जा रहे हैं. इसके बाद वे वापस तेहरान लौट जाएंगे. लेकिन कुछ ही दिन बाद वे फिर भारत आएंगे. ईरान पहले ही दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुका है. ऐसे में सैयद अब्बास अरागची के दौरे के खास मायने हैं.
भारत पहले ही साफ कर चुका है कि आतंकियों पर हमला होकर रहेगा. इससे ईरान भी टेंशन में है, क्योंकि ईरान नहीं चाहता कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़े और जंग के हालात बनें. ईरान पाकिस्तान से ज्यादा भारत का करीबी है. इसलिए वह हर कदम भार के लिए सोच समझकर उठा रहा है. ईरान की कोशिश है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती तल्खी को कम किया जाए और अगर संभव हो तो डिप्लोमैटिक बातचीत का रास्ता खोला जाए. हालांकि, भारत हमेशा की तरह इस बात पर अडिग है कि कोई तीसरा पक्ष भारत-पाकिस्तान विवाद में शामिल नहीं हो सकता.
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
ईरान इस पूरे क्षेत्र में संतुलन बनाना चाहता है. पाकिस्तान और भारत दोनों उसके लिए रणनीतिक रूप से जरूरी हैं. ये दौरे उसी संतुलन की कूटनीति हैं, लेकिन भारत की नीति इस पर स्पष्ट है, वह कोई मध्यस्थता नहीं चाहता.
-डॉ. हर्ष वी. पंत (फॉरेन पॉलिसी एक्सपर्ट, ORF)
ईरान के इस कदम का सैन्य दृष्टिकोण से कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. लेकिन यह जरूर संकेत है कि क्षेत्रीय ताकतें तनाव को लेकर सतर्क हो चुकी हैं.
-लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) डी.एस. हुड्डा
भारत का रुख साफ
भारत ने हमेशा से कहा है कि भारत-पाकिस्तान का मसला द्विपक्षीय है. इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं. यहां तक कि जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में मध्यस्थता की पेशकश की थी, तब भी पीएम मोदी ने साफ साफ कह दिया था, इसे मुझे पर छोड़ दीजिए. हम किसी तीसरे देश को कष्ट नहीं देना चाहते. भारत ने अमेरिका ही नहीं, UN और तुर्की जैसी ताकतों की मध्यस्थता पेशकश भी नामंजूर कर दी है. भारत का साफ कहना है कि जब तक सीमा पार आतंकवाद बंद नहीं होगा, तब तक कोई बातचीत संभव नहीं.
पाकिस्तान के लिए क्या मायने?
ईरानी विदेशमंत्री के दौरे को पाकिस्तान अपने लिए जीत मानेगा. क्योंकि किसी और मुस्लिम देश से उसे समर्थन नहीं मिल रहा है. पाकिस्तान जिस तरह गहरे संकट में फंसा है और भारत जिस तरह उसे आतंकिस्तान कह चुका, उससे शहबाज शरीफ की सांसें फूल रही हैं. रही सही कसर पीएम मोदी के उस बयान ने पूरी कर दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आतंकियों और उनके आकाओं को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलकर रहेगी.
ईरान की क्या मजबूरी?
ईरान के लिए भारत का साथ बेहद जरूरी है. भारत चाबहार पोर्ट डेवलप कर रहा है तो तेल का कारोबार भी है. एनर्जी पर भारत के साथ ईरान का सहयोग काफी अहम है. जबकि पाकिस्तान के साथ सांप्रदायिक और सामरिक संबंधों को भी वह खोना नहीं चाहता. इसलिए ईरानी विदेश मंत्री यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने पाकिस्तान-भारत तनाव कम करने की कोशिश की है.
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