दुर्योधन की पत्नी ने तो कर ली थी अर्जुन से शादी, कर्ण की बीवियों का क्या हुआ

जब महाभारत का युद्ध खत्म हुआ तो दुर्योधन समेत सभी कौरव मारे गए. कर्ण की भी मृत्यु हो गई. उन सभी की पत्नियां जिंदा थीं. बच्चे थे. सबके सामने ये संकट था कि अब जीवन कैसे कटेगा, कौन उनके जीवन का संबल बनेगा. क्योंकि राजपाट भी अब कौरवों से छीन चुका था और पांडवों के पास आ गया था. ऐसे में तो दुर्योधन की पत्नी ने अर्जुन से विवाह कर लिया. कहा जाता है कि वह मन ही मन अर्जुन पसंद भी करती थीं. उनका नाम भानुमति था, जिसे महाभारत की बुद्धिमान और व्यावहारिक महिलाओं में माना जाता है लेकिन कर्ण की पत्नियों का क्या हुआ. क्योंकि ये बात तो सबको मालूम हो चुकी थी कि कर्ण तो वास्तव में पांडवों के बड़े भाई और कुंती के ही पुत्र थे.

दुर्योधन की पत्नी भानुमति अपूर्व सुंदरी थी.  महाभारत में दुर्योधन की पत्नी का तीन बार ज़िक्र मिलता है. शांति पर्व में बताया गया है कि दुर्योधन ने कर्ण की मदद से राजा चित्रांगद की बेटी भानुमति का स्वयंवर से अपहरण करके विवाह कर लिया था. बाद में, स्त्री पर्व में भी दुर्योधन की सास गांधारी ने भानुमति का ज़िक्र किया है. भानुमती के एक बेटा और एक बेटी थी.

वहीं कर्ण की दो पत्नियों का जिक्र महाभारत और ग्रंथों में मिलता है. पहली पत्नी का नाम वृषाली था और दूसरी पत्नी सुप्रिया थीं. कर्ण के युद्ध में मारे जाने के बाद उनकी पत्नियों के बारे में कई कहानियां और मान्यताएं हैं. वृषाली ने कर्ण की मृत्यु के बाद उनकी चिता पर ही समाधि ले ली थी.

कर्ण की दूसरी पत्नी सुप्रिया के बारे में भी ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि उन्होंने दोबारा विवाह किया या नहीं. अधिकांश कथाओं में उनके बारे में यही कहा गया है कि वह दुर्योधन की पत्नी भानुमती की दोस्त थीं और कर्ण से उनके कई पुत्र हुए थे.

दुर्योधन ने अपहरण करके की थी शादी
शांति पर्व में ऋषि नारद दुर्योधन और कर्ण की मित्रता के बारे में एक कहानी सुनाते हुए बताते हैं कि किस तरह कर्ण की मदद से दुर्योधन ने कलिंग राजा चित्रांगद की बेटी का अपहरण कर शादी की थी.

भानुमति जितनी सुंदर थी उतनी ही चतुर भी, उसे मालूम था कि कौरवों और पांडवों के युद्ध के बाद उसके पति और उनके भाई नहीं बचेंगे. उसने पति से युद्ध नहीं करने का अनुरोध भी किया. (image generated by leonardo ai)

कृष्ण की उपासक थीं भानुमति
भानुमति के बारे में उल्लेख हुआ है कि वह ताजिंदगी कृष्ण की पूजा करती रही. बेशक उसके पति दुर्योधन ने कई बार कृष्ण को खरीखोटी सुनाई, अपमान भी किया लेकिन भानुमति के लिए वह हमेशा आराध्य रहे. यहां तक कि पति के निधन के बाद भी वह उनकी भक्त बनी रही.

महाभारत के स्त्री पर्व में दुर्योधन की मां गांधारी , कृष्ण से अपनी पुत्रवधू का वर्णन इस प्रकार करती हैं. भानुमति के बेटे का नाम लक्ष्मण था, जो खुद महाभारत के युद्ध में मारा गया. बेटी का नाम लक्ष्मणा था.

गांधारी कृष्ण से कहती हैं, हे कृष्ण! देखो, ये दृश्य मेरे पुत्र की मृत्यु से भी अधिक दुःखदायी है. दुर्योधन की प्रिय पत्नी महाबुद्धिमान कन्या है, देखो वह कैसे अपने पति और बेटे के लिए विलाप कर रही है.

महाभारत युद्ध के बाद भानुमति नहीं चाहती थी कि आगे भविष्य में कोई युद्ध हो, लिहाजा कृष्ण के कहने पर उसने अर्जुन से विवाह कर लिया था, हालांकि इसका उल्लेख मुख्य कथाओं में नहीं मिलता (image generated by leonardo ai)

क्यों किया अर्जुन से विवाह
अब सवाल ये उठता है कि भानुमति ने पति दुर्योधन के सबसे बड़े दुश्मन पांडु पुत्र अर्जुन से क्यों विवाह कर लिया. भानुमति जितनी रूपवती थी, उतनी ही चतुर भी. कहा जाता है कि जब महाभारत का युद्ध तय हो गया, तब भानुमति को पता था कि कौरवों का सर्वनाश हो जाएगा. अपने कुनबे को बचाने के लिए उसने ही भगवान श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब को अपनी पुत्री लक्ष्मणा को भगाकर ले जाने की युक्ति सुझाई. उसे अंदाज था कि युद्ध के बाद स्थितियां बदल चुकी हैं, लिहाजा उसे अब पांडवों से संबंध बेहतर कर लेने चाहिए. कृष्ण ने भी इस मामले में उसकी मदद की.

भानुमति ने अपने कुनबे को बचाने के लिए हर वो असंगत कार्य किया, हर उस चीज को जोड़ा, जिसका जुड़ना संभव नहीं था. इसीलिए कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा. संबंधित कहावत बनी.

हालांकि ये बात एकदम सच है कि विवाह पूर्व भानुमति अर्जुन को पसंद करती थी और महाभारत के युद्ध के बाद कौरव वंश के बचे लोगों और बच्चों को बचाने के लिए उसने पांडवों से बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए सबकुछ किया. (image generated by leonardo ai)

क्या कृष्ण ने कराया भानुमति और अर्जुन का विवाह
भानुमति को मालूम था कि खुद को सुरक्षित रखने के लिए अर्जुन से विवाह कर लेना चाहिए. भगवान कृष्ण ने इसमें खास भूमिका अदा की. उन्होंने अर्जुन और भानुमति का विवाह कराया.

अर्जुन को पसंद करती थी
इसके पीछे एक कहानी और कही जाती है कि भानुमती शल्य की बेटी थी, जो नकुल और सहदेव के चाचा थे. वह पहले अर्जुन से ही शादी करना चाहती थी. जब स्वयंवर हुआ तो अर्जुन उसमें आए ही नहीं, तब उसने पिता की इच्छा थी कि वह दुर्योधन से शादी करे तो उसने वैसा ही किया लेकिन पति के निधन के बाद अर्जुन की नौवीं पत्नी बनना पसंद किया. इसकी वजह ये भी थी कि अब कोई लड़ाई नहीं हो और कुनबे में शांति बनी रहे.

पांडव करते थे भानुमति का सम्मान
महाभारत में युद्ध के बाद की उत्तर कथा ज्यादा नहीं मिलती, लिहाजा किसी बड़े ग्रंथ में अर्जुन और भानुमति के विवाह की कोई जानकारी नहीं मिलती. लेकिन ये बात एकदम तय है कि महाभारत युद्ध में भीम के हाथों दुर्योधन की मृत्यु के बाद पांडवों ने भानुमति का सम्मान किया. वह अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित थी. उसने कौरव और पांडव परिवारों को एकजुट करने की कोशिश की. कुछ जानकारियां ये भी कहती हैं कि वह पति के निधन के बाद विधवा रहीं.

कथाएं ये भी कहती हैं कि भानुमति ने अपने ससुराल में रहकर धृतराष्ट्र की सेवा की. धृतराष्ट्र के साथ गंगा नदी के किनारे रहकर तपस्या की.बाद में भानुमति ने गंगा में समाधि ले ली.

भानुमति को जब लगा कि दुर्योधन उस पर शक ना करे
एक तमिल लोककथा है, जिसमें बताया गया कि दुर्योधन के कहने पर कर्ण अक्सर भानुमति की देखभाल के लिए उसके पास आ जाता था. कर्ण और भानुमती ने पासा खेलना शुरू किया. धीरे-धीरे कर्ण जीतने लगा. इसी बीच दुर्योधन लौटा. कमरे में प्रवेश किया. पति को अंदर आते देख भानुमती सम्मान से खड़ी हो गई. कर्ण को पता नहीं लगा. उसको लगा कि भानुमति इसलिए उठ गई क्योंकि हारना नहीं चाहती.

कर्ण ने भानुमती की शॉल पकड़कर खींचा तो शॉल के मोती बिखर गए. इससे भानुमति की स्थिति बहुत विचित्र हो गई, वह स्तब्ध हो गई कि अब पति पता नहीं क्या सोचेगा और करेगा. तब दुर्योधन ने समझदारी का परिचय देते हुए दोनों को अप्रिय स्थिति से बचा लिया. उसने पत्नी से कहा, “क्या मुझे सिर्फ मोतियों को इकट्ठा करना चाहिए या क्या आप चाहेंगी कि मैं उन्हें भी पिरोऊँ?” दरअसल दुर्योधन को अपनी पत्नी पर बहुत विश्वास था.

शिवाजी सावंत के उपन्यास मृत्युंजय में , जो कर्ण के जीवन पर आधारित है, उसमें लिखा है कि भानुमती की एक दासी थी जिसका नाम सुप्रिया था, जो उसके बहुत करीब थी. जब दुर्योधन और कर्ण ने भानुमती का अपहरण किया तो सुप्रिया भी साथ चली आई. जब भानुमती ने दुर्योधन को अपना जीवनसाथी स्वीकार कर लिया तो सुप्रिया ने कर्ण को पति चुना.

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कर्ण की दो पत्नियां थीं वृषला और सुप्रिया. दोनों में एक तो कर्ण की मृत्यु के बाद सती हो गई. (News18AI)

कर्ण की पत्नियों ने नहीं की फिर शादी 
कर्ण की पहली पत्नी वृषाली दुर्योधन के रथ के सारथी सत्यसेन की बहन थीं. कर्ण की दूसरी पत्नी सुप्रिया भी समझदार थी. वृषाली से कर्ण को तीन पुत्र थे जबकि सुप्रिया से ती पुत्र. बताते हैं सुप्रिया उच्च सामाजिक स्थिति वाले परिवार से आई थीं. ये तो तय है कि कर्ण की दोनों ही पत्नियों ने दोबारा विवाह नहीं किया लेकिन ये पता चलने के बाद कि कर्ण कुंती के ही पुत्र थे, ये माना जाता है कि पांडवों ने सुप्रिया और उनके पुत्रों की देखभाल की.

Credits To Live Hindustan

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