दुरबुक, गलवान, देमचोक, बटालिक, द्रास…आर्मी का कमाल, अब दुश्‍मन करेगा बाप-बाप

Edited by:

Last Updated:

Indian Army News: भारतीय सेना के जवान सिर्फ बॉर्डर की रक्षा ही नहीं करते हैं, बल्कि आमलोगों की जिंदगी बदलने में भी अहम भूमिका निभाते हैं. आर्मी का प्रयास रंग भी ला रहा है.

दुरबुक, गलवान, देमचोक, बटालिक, द्रास...आर्मी का कमाल, अब दुश्‍मन करेगा बाप-बाप

इंडियन आर्मी ने लद्दाख और सियाचिन ग्‍लेश्यिर में 4G-5G मोबाइल कनेक्टिविटी प्रोवाइड कराया है.

जम्‍मू. इंडियन आर्मी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया मुहिम को नई ऊंचाई देने में जुटी है. सेना का यह प्रयास रंग भी लाया है. आर्मी ने ऐसे इलाकों में मोबाइल कनेक्टिविटी बहाल करने में सफलता पाई है, जहां खून को जमा देने वाली ठंड पड़ती है. अब हजारों फीट की ऊंचाई से भी लोग एक ही पल में दूर-दराज में बैठे अपने नाते-रिश्‍तेदारों से कॉन्‍टैक्‍ट कर सकेंगे. साथ ही दुश्‍मन देश की गतिविधियों के बारे में तत्‍काल जानकारी दे सकेंगे. दरअसल, दूर-दराज और दुर्गम इलाकों में डिजिटल सुविधा पहुंचाने की दिशा में भारतीय सेना ने बड़ा कदम उठाया है. आर्मी ने लद्दाख के कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पहली बार मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध कराई है. अब ईस्‍टर्न लद्दाख, वेस्‍टर्न लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर जैसे दुर्गम इलाके भी 4G और 5G मोबाइल नेटवर्क से जुड़ गए हैं.

आर्मी के इस कदम से दुर्गम और बर्फीले इलाकों में तैनात सैनिकों को अब अपने परिवार से जुड़े रहने की सुविधा मिली है. इससे जवानों का मनोबल और आत्मबल काफी बढ़ा है. दुरबुक (डीबीओ), गलवान, देमचोक, चुमार, बटालिक, द्रास और सियाचिन ग्लेशियर जैसे स्थानों पर अब सैनिक अपने परिवार से बात कर सकते हैं, जो पहले लगभग असंभव था. दुर्गम सीमाई इलाकों के मोबाइल नेटवर्र्क से जुड़ने से एक तरफ वहां तैनात जवान अपने परिजनों से बात कर सकेंगे तो दूसरी तरफ दुश्‍मनों के हर कदम की सूचना तुरंत दी जा सकेगी, जिससे समय पर एक्‍शन लेना आसान होगा.

डिजिटल गैप कम करने में मदद
यह उपलब्धि सरकार की दूरदर्शी सोच की वजह से संभव हो सकी है, जिसमें भारतीय सेना ने अपनी ऑप्टिकल फाइबर केबल संरचना का उपयोग करते हुए टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर (टीएसपीएस) और लद्दाख प्रशासन के साथ मिलकर काम किया. ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ ने इसमें अहम भूमिका निभाई है. लद्दाख और कारगिल जिलों में चार प्रमुख मोबाइल टावर लगाए गए हैं. इस पहल के फायदे सिर्फ सैनिकों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि यह लद्दाख के सीमावर्ती गांवों के लिए भी एक बड़ा बदलाव है. इस कदम से डिजिटल गैप कम हुआ है. लोकल इकोनोमी को बढ़ावा मिला है. बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा मिला है. स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन मदद की पहुंच बेहतर हुई है. बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मिल रही है. स्थानीय व्यापार को बल मिला है. संस्कृति और विरासत को सहेजने में मदद मिली है और सीमावर्ती गांवों से पलायन कम हुआ है.

सियाचिन ग्‍लेशियर में 5G नेटवर्क
इस पूरी पहल का सबसे ऐतिहासिक कदम सियाचिन ग्लेशियर पर 5जी मोबाइल टावर की सफल इंस्‍टॉलेशन रहा. यह दुनिया का सबसे ऊंचा और कठिन इलाका है, जहां अब भी नेटवर्क सुविधा उपलब्ध है. स्थानीय लोगों ने इस कदम का दिल से स्वागत किया है. उनके लिए मोबाइल नेटवर्क सिर्फ बात करने का साधन नहीं, बल्कि अब यह जीवन की एक आवश्‍यक जरूरत बन चुका है, जो उन्हें देश से जोड़ता है.

homenation

दुरबुक, गलवान, देमचोक, बटालिक, द्रास…आर्मी का कमाल, अब दुश्‍मन करेगा बाप-बाप

और पढ़ें

Credits To Live Hindustan

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *