दिल्ली में इस साल क्यों हो रही इतनी बारिश? कब तक रहेगा ऐसा सुहाना मौसम?

दिल्ली में इस साल मानसून से पहले ही बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अकेले मई के महीने में 185.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो पिछले 120 सालों में सबसे अधिक वर्षा का रिकॉर्ड है. यहां का मौसम ऐसा है कि दिल्लीवालों को वैशाख में ही सावन जैसा मजा मिल रहा है. इन दौरान दो-तीन दिन गर्मी रही भी तो फिर आंधी और बारिश के झोंके मौसम को कूल-कूल बना दे रहे हैं.
लेकिन सवाल यह है कि आखिर भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों के लिए कुख्यात मई के महीने में इतनी बारिश क्यों हुई? भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) इस असामान्य मौसमी घटना के पीछे क्या कारण बता रहा है? आइए, इस साल दिल्ली की बेमौसम बारिश और इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों को विस्तार से समझते हैं.
दिल्ली में सामान्य रूप से मई में औसतन 55.5 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस साल मई में 185.9 मिमी बारिश ने 1901 के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. इसके बाद जून की शुरुआत में भी तेज हवाओं, गरज-चमक, और भारी बारिश ने दिल्ली-एनसीआर को भिगो दिया.
इस बारिश की क्या है वजह?
IMD ने बताया कि बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम में बने एक गहरे निम्न दबाव क्षेत्र (Deep Depression) का अवशेष, जो मेघालय और असम की ओर बढ़ा, उत्तर-पश्चिम भारत में भारी बारिश का कारण बना. इस निम्न दबाव क्षेत्र ने दिल्ली सहित उत्तर-पश्चिमी राज्यों में मानसूनी हवाओं को तेज कर दिया, जिसके चलते यहां असामान्य रूप से भारी बारिश हुई. IMD के अनुसार, यह मौसमी सिस्टम मई के अंत तक सक्रिय रहा और जून के पहले सप्ताह में भी इसका प्रभाव बना हुआ है. इसी वजह से दिल्ली में हल्की से मध्यम बारिश और 50-70 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं.
IMD के वैज्ञानिकों ने इस बारिश के लिए कई मौसमी कारकों को जिम्मेदार ठहराया है. सबसे पहले, एक पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) का मानसूनी हवाओं के साथ मिलना इस असामान्य बारिश का प्रमुख कारण रहा. पश्चिमी विक्षोभ, जो आमतौर पर सर्दियों में उत्तर भारत में बारिश लाता है, इस बार मई और जून में असामान्य रूप से सक्रिय रहा. यह विक्षोभ बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाओं के साथ मिला, जिसने दिल्ली-एनसीआर में मेसोस्केल कन्वेक्टिव सिस्टम (Mesoscale Convective System) को जन्म दिया. इस सिस्टम ने भारी बारिश, गरज-चमक, और तेज हवाओं को ट्रिगर किया.
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IMD के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि दिल्ली में 28 जून 2024 को एक दिन में 228.1 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जो 1936 के बाद जून में सबसे अधिक थी. इस साल मई और जून में भी इसी तरह के मौसमी पैटर्न देखे गए, जिसने बारिश को और तीव्र कर दिया.
इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन ने भी इस असामान्य मौसमी व्यवहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. IMD और पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम के पैटर्न में बदलाव आ रहा है. बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान बढ़ने से नम हवाओं का प्रवाह बढ़ गया है, जो उत्तर-पश्चिम भारत की ओर तेजी से बढ़ रहा है. इसी की वजह से मानसून से पहले की बारिश में वृद्धि हुई है.
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कब तक बना रहेगा सुहाना मौसम?
दिल्ली, जो सामान्य रूप से 27 जून को मानसून की शुरुआत देखता है, इस साल मई में ही मानसून जैसी बारिश का सामना कर रहा है. IMD ने अनुमान लगाया है कि 2025 का मानसून दिल्ली-हरियाणा-चंडीगढ़ क्षेत्र में सामान्य से 114% अधिक बारिश ला सकता है, जो इस साल के असामान्य मौसमी पैटर्न को और बल देता है.
इस भारी बारिश का एक और कारण है मानसून का जल्दी आगमन… IMD के अनुसार, मानसून इस साल केरल में 24 मई को और मुंबई में 26 मई को पहुंचा, जो सामान्य से एक से दो सप्ताह पहले है. यह तेज प्रगति दिल्ली तक पहुंची, जिसने मई के अंत और जून की शुरुआत में भारी बारिश को बढ़ावा दिया.
IMD ने चेतावनी दी है कि जून 2025 में भी दिल्ली में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है. 31 मई को जारी एक नाउकास्ट में IMD ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 1-2 जून को हल्की से मध्यम बारिश और 50-70 किमी/घंटा की तेज हवाएं चल सकती हैं. इसने दिल्ली में आने वाले दिनों में भारी बारिश, बिजली गिरने, और ओलावृष्टि की आशंका जताई गई.
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