दिल्ली में बैठकर साजिश…कैसे पाकिस्तान हाई कमीशन बन गया ISI का ठिकाना?

नई दिल्ली: दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन आईएसआई के ठिकाने के रूप में काम करता है. ज्योति मल्होत्रा जासूसी कांड से यह बात सच साबित होती है. CNN-News18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, टॉप इंटेलिजेंस सूत्रों का दावा है कि नई दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन यानी पाकिस्तानी उच्चायोग आईएसआई यानी इंटर- सर्विसेज इंटेलिजेंस के लिए एक कॉवर्ट बेस यानी गुप्त अड्डे के रूप में काम कर रहा है.
सूत्रों ने कहा कि बड़े पैमाने पर एंबेसी यानी दूतावास में भर्ती संभवतः भविष्य में फिदायीन हमलों के लिए निशाना बनाने के लिए की जा रही है. उन्होंने कहा कि इसका मकसद एंट्री पॉइंट, एक्जिट, गेट की मजबूती और गार्डिंग पैटर्न की जानकारी हासिल करना है.
पिछले कुछ दिनों में जासूसी कांड में कई गिरफ्तारियां हुई हैं. इसमें हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा भी शामिल है. उसे पाकिस्तान के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. उस पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप है. सूत्रों ने खुलासा किया कि ज्योति जैसे कई लोग संवेदनशील इलाकों से वीडियो बनाकर ओवरऑल गार्डिंग पैटर्न यानी सुरक्षा-निगरानी के पूरे तरीके की जानकारी पहुंचाते थे.
सूत्रों ने CNN-News18 को बताया कि आईएसआई उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों को निशाना बनाता है और ऐसे लोगों की तलाश करता है जो गरीबी या अन्याय की भावना से परेशान हों ताकि उन्हें खुफिया मकसदों के लिए इस्तेमाल किया जा सके. उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान में आईएसआई के अफसरों ने स्थानीय कर्मचारियों से कहा है कि वे ऐसे हर समूह की भर्ती करें जो भारत के खिलाफ आवाज उठा सके. पाकिस्तानी हाई कमीशन के अधिकारी एजेंटों की भर्ती और जासूसी में मदद करने के लिए अपने राजनयिक संरक्षण का इस्तेमाल करते हैं.’
आईएसआई भारत में अपना नेटवर्क कैसे बनाता है?
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में भारतीय इंटेलिजेंस ऑपरेशन्स और दिल्ली पुलिस की जांच के आधार पर इस बात का खुलासा किया गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत में अपने जासूसी नेटवर्क को कैसे तैयार करती है, उसे कैसे बढ़ाती है और अपने जासूसों की सुरक्षा कैसे करती है?
दरअसल, पाकिस्तानी हाई कमीशन के वीजा दफ्तर में आईएसआई एजेंट अधिकारियों के रूप में काम करते हैं. ये ऐसे लोगों को टारगेट करते हैं जो इनके काम आ सके. इसके लिए ये लोगों का आकलन करते हैं और उनका फायदा उठाने के लिए जानबूझकर देरी करते हैं और नए-नए दस्तावेज मांगते. उनके कई चालों में से एक है लोकल सिम कार्ड की मांग करना. वे अक्सर यह सिम आवेदक के नाम पर ही लेते हैं. इस तरह वे आवेदक को अपने जासूसी जाल में फंसा लेते हैं.
आईएसआई एजेंट को कहां तैनात किया जाता है
साल 2016 में एक बड़े जासूसी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने वाले क्राइम ब्रांच के एक पूर्व अधिकारी ने टीओआई को बताया, ‘आईएसआई अपने ट्रेंड एजेंटों को दिल्ली स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में तैनात करता है. इन एजेंट्स को वीजा और शिकायत अनुभाग जैसे पब्लिक डीलिंग वाले विभागों में लगाया जाता है.’
कैसे काम करता है नेटवर्क
अधिकारी ने आगे कहा कि इन पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों (PIO) को भारत के विशिष्ट क्षेत्र दिए जाते हैं और उन्हें संभावित रंगरूटों की पहचान करने का काम सौंपा जाता है जिन्हें संपत्ति में बदला जा सके. अधिकारी ने आगे बताया कि इन पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों (PIO) को भारत के कुछ खास इलाके दिए जाते हैं और उनका काम होता है कि ऐसे लोगों को ढूंढा जाए जो उनके लिए काम कर सकें.
कहां से शुरू होता है आईएसआई का काम
एक अधिकारी के मुताबिक, अगर कोई आवेदक पीआईओ को सिम कार्ड देने के लिए तैयार हो जाता है, तो इसे आमतौर पर हरी झंडी मान लिया जाता है. यह इस बात का सबूत है कि उन्हें दूसरे कामों के लिए भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है. एक बार किसी को संभावित जासूस के तौर पर चुन लिया जाता है तो आईएसआई आगे का काम संभाल लेती है.
नूंह वाले ‘जासूस’ ने उगला सच
हाल ही में नूंह जिले के कंगारका गांव के रहने वाले मोहम्मद तारिफ नाम के एक शख्स को पाकिस्तान के लिए कथित तौर पर जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस अधिकारियों का हवाला देते हुए पीटीआई ने बताया कि आरोपी ने कथित तौर पर पाकिस्तानी हाई कमीशन के एक कर्मचारी को सिम कार्ड देने और पाकिस्तान जाने की बात कबूली है.
कैसे खेल बनता है कांड
सिम के लिए शुरू हुई एक छोटी सी फरमाइश अक्सर बहुत जल्दी बड़ी साजिश का रूप ले लेती है. देखते ही देखते ऐसे लोगों से सैन्य क्षेत्रों की तस्वीरें इकट्ठा करने, ट्रेन की आवाजाही की सूचना देने या अपने जीपीएस कॉर्डिनेट्स साझा करने के लिए कहा जाता है. ये सब एक बड़े और सोची-समझी खुफिया ऑपरेशन के छोटे-छोटे कदम होते हैं. सीएनएन-न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, इन लोगों को अक्सर दुबई या नेपाल जैसे तीसरे देशों में बैठे बिचौलियों के जरिए ISI हैंडलर्स से जोड़ा जाता है ताकि पकड़े जाने से बचा जा सके.
Credits To Live Hindustan