भूलकर भी मत खाना ये 7 बेहद कॉमन दवाएं, किडनी को कर देती हैं डैमेज

सिरदर्द, मसल्स पेन, आर्थराइटिस और बुखार के लिए एनएसएआईडी काफी कारगर पेनकिलर होती हैं. इनकी मदद से दर्द और सूजन दूर हो जाती है, लेकिन इन दवाओं के लगातार सेवन या हाई डोज से किडनी में ब्लड फ्लो कम हो सकता है. इसकी वजह से किडनी डैमेज या किडनी फेल्यर जैसी दिक्कत हो सकती है.

सिरदर्द, मसल्स पेन, आर्थराइटिस और बुखार के लिए एनएसएआईडी काफी कारगर पेनकिलर होती हैं. इनकी मदद से दर्द और सूजन दूर हो जाती है, लेकिन इन दवाओं के लगातार सेवन या हाई डोज से किडनी में ब्लड फ्लो कम हो सकता है. इसकी वजह से किडनी डैमेज या किडनी फेल्यर जैसी दिक्कत हो सकती है.

ज़ोलेड्रोनिक एसिड (रेक्लास्ट) जैसी दवाओं का इस्तेमाल ऑस्टियोपोरोसिस और कई तरह के कैंसर के इलाज में होता है. ये दवाएं भी किडनी को काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं. इस दवा से उन लोगों को ज्यादा दिक्कत होती है, जो पहले से किडनी की बीमारियों से जूझ रहे हैं. यही वजह है कि असामान्य किडनी फंक्शन वाले मरीजों को ये दवाएं देने से डॉक्टर परहेज करते हैं.

ज़ोलेड्रोनिक एसिड (रेक्लास्ट) जैसी दवाओं का इस्तेमाल ऑस्टियोपोरोसिस और कई तरह के कैंसर के इलाज में होता है. ये दवाएं भी किडनी को काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं. इस दवा से उन लोगों को ज्यादा दिक्कत होती है, जो पहले से किडनी की बीमारियों से जूझ रहे हैं. यही वजह है कि असामान्य किडनी फंक्शन वाले मरीजों को ये दवाएं देने से डॉक्टर परहेज करते हैं.

कोलनोस्कॉपी से पहले इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ लैक्सेटिव जैसे ओरल सोडियम फॉस्फेट की वजह से भी किडनी पर असर पड़ सकता है. दरअसल, इसके इस्तेमाल से शरीर में फॉस्फेट क्रिस्टल जमा हो जाते हैं, जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोगों को इन लैक्सेटिव का इस्तेमाल काफी सावधानी से करना चाहिए.

कोलनोस्कॉपी से पहले इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ लैक्सेटिव जैसे ओरल सोडियम फॉस्फेट की वजह से भी किडनी पर असर पड़ सकता है. दरअसल, इसके इस्तेमाल से शरीर में फॉस्फेट क्रिस्टल जमा हो जाते हैं, जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोगों को इन लैक्सेटिव का इस्तेमाल काफी सावधानी से करना चाहिए.

लिसिनोप्रिल, एनालाप्रिल और रामिप्रिल जैसी दवाओं का ताललुक एसीई इनहिबिटर नामक ग्रुप से होता है. ये दवाएं हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती हैं और दिल को बचाती हैं. हालांकि, ये दवाएं किडनी के रास्ते ही प्रोसेस्ड होती हैं, जिससे किडनी को नुकसान पहुंच सकता है.

लिसिनोप्रिल, एनालाप्रिल और रामिप्रिल जैसी दवाओं का ताललुक एसीई इनहिबिटर नामक ग्रुप से होता है. ये दवाएं हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती हैं और दिल को बचाती हैं. हालांकि, ये दवाएं किडनी के रास्ते ही प्रोसेस्ड होती हैं, जिससे किडनी को नुकसान पहुंच सकता है.

कुछ एंटीबायोटिक्स और एंटीवायरल दवाएं भी अलग-अलग तरह से किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इस तरह की दवाएं शरीर में क्रिस्टल बनाती हैं, जिससे यूरीन फ्लो ब्लॉक हो जाता है. वहीं, कई दवाएं किडनी सेल्स को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाती हैं.

कुछ एंटीबायोटिक्स और एंटीवायरल दवाएं भी अलग-अलग तरह से किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इस तरह की दवाएं शरीर में क्रिस्टल बनाती हैं, जिससे यूरीन फ्लो ब्लॉक हो जाता है. वहीं, कई दवाएं किडनी सेल्स को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाती हैं.

प्रोटोल पंप इन्हीबिटर्स जैसे ओमेप्राजोल (प्रिलोसेक) और एसोमेप्राजोल (नेक्सियम) का इस्तेमाल हार्टबर्न और एसिड रिफल्स के दौरान होता है. अगर आप इन दवाओं को लगातार यूज करते हैं तो किडनी को काफी नुकसान हो सकता है.

प्रोटोल पंप इन्हीबिटर्स जैसे ओमेप्राजोल (प्रिलोसेक) और एसोमेप्राजोल (नेक्सियम) का इस्तेमाल हार्टबर्न और एसिड रिफल्स के दौरान होता है. अगर आप इन दवाओं को लगातार यूज करते हैं तो किडनी को काफी नुकसान हो सकता है.

शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा फ्लूड को निकालने के लिए ड्यूरेटिक्स इस्तेमाल की जाती हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर और सूजन के मरीजों को दी जाती है. अगर इन दवाओं का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं किया जाता है तो किडनी पर एक्स्ट्रा प्रेशर पड़ सकता है, जिससे किडनी डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है.

शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा फ्लूड को निकालने के लिए ड्यूरेटिक्स इस्तेमाल की जाती हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर और सूजन के मरीजों को दी जाती है. अगर इन दवाओं का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं किया जाता है तो किडनी पर एक्स्ट्रा प्रेशर पड़ सकता है, जिससे किडनी डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है.

Published at : 16 May 2025 05:26 PM (IST)

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