भारतीय सेना में क्या होता है DGMO, किसे मिलता है यह पद, कितनी मिलती है सैलरी

India Pakistan ceasefire, India Pakistan Latest News, Indian Army: भारत पाकिस्तान युद्ध को लेकर खबर यह आ रही है कि दोनों देशों के DGMO ने सीजफायर यानि युद्ध रोकने को लेकर सहमति बनी है. जिसके बाद दोनों देशों के बीच अब सीजफायर लागू हो गया है. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के DGMO की ओर से यह पहल की गई थी, जिसके बाद दोनों देश सैन्य कार्रवाई रोकने को लेकर सहमत हो गए हैं. जिसके बाद DGMO शब्द व यह पद दोनों चर्चा में है तो आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान की सेनाओं में डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) का पद बहुत खास है. ये दोनों सेनाओं के वे अधिकारी होते हैं जो युद्ध, सीमा पर तनाव, और सैन्य रणनीति को संभालते हैं. हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के DGMOs ने हॉटलाइन पर बात कर सीजफायर की बात पक्की की थी.आइए जानते हैं कि ये DGMO कौन होते हैं? इनका काम क्या है? इन्हें ये पद कैसे मिलता है, और कितनी सैलरी मिलती है? आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं.
भारतीय सेना में DGMO कौन होता है?
DGMO भारतीय सेना का एक सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल 3-स्टार रैंक का अधिकारी होता है,जो सेना के बड़े ऑपरेशंस की प्लानिंग करता है. वह सीधे सेना प्रमुख (Army Chief)को रिपोर्ट करता है और सेना,नौसेना,वायुसेना के बीच तालमेल बैठाता है.
DGMO का काम क्या है?
भारतीय सेना में DGMO का काम युद्ध,आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन और शांति मिशनों की रणनीति बनाना होता है.लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC)पर तनाव को कम करना, गोलीबारी रुकवाना होता है.सैन्य खुफिया जानकारी को समझना और सेना को तैयार रखना यह भी DGMO का काम है.ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब भारत ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर हमले किए,तो DGMO ने पाकिस्तानी DGMO से बात कर तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई.
कैसे बनते हैं DGMO?
DGMO बनना कोई आसान नहीं होता.इस पद पर पहुंचने के लिए सालों का अनुभव और टॉप-लेवल की काबिलियत चाहिए. भारतीय सेना में DGMO का पद सिर्फ लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अफसर को दिया जाता है.जिसने बड़े ऑपरेशन संभाले हों.ऐसे लोग जो पहले किसी कोर या नॉर्दर्न कमांड जैसे बड़े इलाके की कमान संभाल चुके हों.इसके लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी(NDA) या नेशनल डिफेंस कॉलेज (NDC)से ट्रेनिंग जरूरी है.
कैसे होता है DGMO का सेलेक्शन?
भारतीय सेना में DGMO का चुनाव सेना प्रमुख और रक्षा मंत्रालय मिलकर करते हैं.इसके लिए कोई ओपन भर्ती या एग्जाम नहीं होता है.सेना मुख्यालय में सीनियर अफसरों की सलाह और उम्मीदवार के रिकॉर्ड को देखकर यह फैसला लिया जाता है.अधिकारियों का अनुभव,नेतृत्व और रणनीति बनाने की काबिलियत को परखा जाता है.
अभी भारतीय सेना का DGMO कौन है?
अभी भारतीय सेना के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा हैं.उन्हें 1 जुलाई 2023 को DGMO बनाया गया था.इससे पहले उन्होंने खरगा कॉर्प्स की कमान संभाली थी और LoC पर कई ऑपरेशंस में हिस्सा लिया था.ऑपरेशन सिंदूर के बाद उन्होंने पाकिस्तानी DGMO से हॉटलाइन पर बात की और शाम 5 बजे से सीजफायर लागू करवाया.
कितनी सैलरी मिलती है?
भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के लिए 7वें वेतन आयोग के हिसाब से बेसिक सैलरी ₹1,82,200 से ₹2,24,100 प्रति माह तक मिलती है. इसके अलावा अन्य कई तरह के भत्ते मिलते हैं.इस तरह कुल सैलरी लगभग ₹2.5 लाख से ₹3 लाख प्रति माह होती है और इसके अलावा घर,मेडिकल सुविधाएं आदि मिलती हैं.
पाकिस्तानी सेना में DGMO कौन होता है?
पाकिस्तान में DGMO भी एक सीनियर अफसर होता है,जो ज्यादातर मेजर जनरल रैंक का होता है.कभी-कभी लेफ्टिनेंट जनरल को भी DGMO बनाया जाता है.पाकिस्तान का DGMO सैन्य ऑपरेशंस की प्लानिंग करता है और सेना प्रमुख को रिपोर्ट करता है.इसका काम भी LoC और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सैन्य गतिविधियों को संभालना होता है.पाकिस्तान में DGMO बनने की प्रक्रिया भारत जैसी ही है.यह पद मेजर जनरल रैंक के उन्हीं अफसरों को मिलता है,जिन्होंने LoC या आतंकवाद-रोधी ऑपरेशंस में काम किया हो.साथ ही पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी (PMA)से ट्रेनिंग जरूरी है.पाकिस्तान के DGMO का चुनाव भी सेना प्रमुख और जनरल हेडक्वार्टर्स (GHQ)मिलकर चुनते हैं.
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