बदल सकती है भारत-पाक सीमा, RSS नेता इंद्रेश कुमार का बड़ा बयान; पर चीन से किया सावधान

इंद्रेश कुमार का कहना है कि हो सकता है कि भारत-पाकिस्तान की सीमा बदल जाए। इसके साथ ही आरएसएस नेता ने चीन से सावधान रहने की भी जरूरत बताई।

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने चीन की भारत विरोधी नीतियों को गंभीर खतरा बताते हुए कहा है कि चीन सीमाओं तक सीमित नहीं है वरन अब वह भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। शिमला में रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि चीन तिब्बत में तिब्बती समाज और बौद्ध संस्कृति को खत्म करने की साजिश कर रहा है और अब यही रणनीति भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी देखी जा रही है।

हो सकता है भारत-पाक सीमा बदल जाए

इंद्रेश कुमार ने आगे कहा- एक बात का इंतजार करना चाहिए। यह भी हो सकता है कि भारत-पाकिस्तान की सीमा बदल जाए। हो सकता है कि यह सीमा कच्छ के रण और लद्दाख से हटकर पाकिस्तान में 100-150 किलोमीटर अंदर चली जाए। एक तरफ पाकिस्तान हो सकता है तो दूसरी तरफ सिंध, बलूचिस्तान, पख्तूनिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान मिला कर पीओके होगा। ये सभी पाकिस्तान से आजादी और भारत में विलय के लिए लड़ेंगे।

पाक, चीन और अमेरिका को डर

इंद्रेश कुमार ने कहा कि भगवान हमें इतनी लंबी जिंदगी दे कि हम यह सब देख सकें। आज आप यहां (शिमला) प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। एक दिन आप लाहौर में कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं। पाक, चीन और अमेरिका को डर है कि भारत एक दिन ऐसे हालात पैदा कर सकता है। मैंने आपको एक साथ कई संकेत दिए हैं। यह सरकार, जनता, भारतीय सेना और इस इलाके की भी इच्छा है।

आजादी चाहता है बलूचिस्तान

इंद्रेश कुमार ने कहा कि भविष्य में जो पंजाबी पाकिस्तान बचेगा, वह भी आज की सत्ता व्यवस्था को खारिज करता है। पीओके भारत में विलय चाहता है, बलूचिस्तान पूरी आजादी चाहता है, पख्तूनिस्तान की स्थिति साफ नहीं है। सिंध आजादी के साथ भारत के साथ एकता चाहता है।

सांस्कृतिक पहचान सुरक्षित रखने की अपील

इंद्रेश कुमार ने हाल ही में हिमाचल के जनजातीय और बौद्ध बहुल जिलों लाहौल-स्पीति और किन्नौर का दौरा किया। उन्होंने बताया कि इन इलाकों में चीन की सीमाएं लगती हैं और यहां चीन के प्रभाव को लेकर लोगों में जागरूकता की आवश्यकता है। उन्होंने स्थानीय समुदायों से संवाद कर उन्हें धर्मांतरण से सतर्क रहने और अपनी सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने की अपील की।

तिब्बत में नस्लीय पहचान मिटाने की साजिश

इंद्रेश कुमार ने आरोप लगाया कि चीन तिब्बत में हजारों तिब्बती महिलाओं की शादी चीनी पुरुषों से जबरन करवा रहा है ताकि तिब्बती नस्ल की पहचान को मिटाया जा सके। उन्होंने कहा कि यही रणनीति अब अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे भारतीय राज्यों में भी लागू करने की कोशिश हो रही है जो भारत की संप्रभुता के लिए गंभीर चुनौती है।

चीन सामरिक खतरा

आरएसएस नेता ने कहा कि चीन की हरकतें केवल सांस्कृतिक नहीं बल्कि सामरिक दृष्टि से भी भारत के लिए खतरनाक हैं। उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि 1959 में तिब्बत और 1962 में कैलाश मानसरोवर पर कब्जा भारत की तत्कालीन कमजोर नीति का परिणाम था।

सतलुज में आई बाढ़ के पीछे चीन

उन्होंने यह भी दावा किया कि हाल ही में सतलुज नदी में आई अचानक बाढ़ चीन की ओर से की गई परीक्षण गतिविधियों का नतीजा थी। उन्होंने कहा कि यह चीन के उस रवैये को दर्शाता है जिसमें वह प्राकृतिक संसाधनों का भी सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

इंद्रेश कुमार ने हाल ही में भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए कहा कि इस सैन्य कार्रवाई में पाकिस्तान के नौ सैन्य ठिकानों और चार आतंकी अड्डों को नष्ट किया गया जिसमें लगभग 100 आतंकवादी मारे गए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के ये एयरबेस चीन के नियंत्रण में थे, जिससे चीन स्तब्ध और बौखला गया है।

जारी है अप्रत्यक्ष युद्ध

उन्होंने कहा कि चीन पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों के माध्यम से भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़े हुए है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों में भी चीन की अप्रत्यक्ष भूमिका होने की आशंका है।

भारत की कार्रवाई से घबराया चीन

इंद्रेश कुमार ने कहा कि आज पाकिस्तान के भीतर सिंधी, बलूच, पख्तून और पीओके के लोग आजादी की मांग कर रहे हैं औऱ भारत की सैन्य कार्रवाइयों ने चीन-पाक गठजोड़ को बड़ा झटका दिया है।

रिपोर्ट- यूके शर्मा

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