अमेरिकी दादागिरी का अंत नजदीक या इस्लामिक रिपब्लिक का हो जाएगा खात्मा?

इजरायल-ईरान युद्ध: इजरायल-ईरान में भयंकर यु्द्ध छिड़ा हुआ है. ईरान को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद पोस्ट कर रहे हैं. इधर, ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई भी अमेरिका को चेता रहे हैं. खामेनेई अमेरिकी दादागिरी की खुलेआम चुनौती दे भी रहे हैं और स्वीकार भी कर रहे हैं. ईरान के पक्ष में रूस और चीन खुलकर तो नहीं बोल रहे हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी और हथियार मुहैया करा रहे हैं. युद्ध का क्या नतीजा होगा यह तो नहीं पता है लेकिन इस युद्ध के समाप्त होते-होते या तो अमेरिकी दादागिरी का अंत हो जाएगा या फिर इस्लामिर रिपब्लिक का खात्म होने के पूरे आसार हैं.

ईरान और इजरायल के बीच 1,800-2,000 किमी की दूरी है. दोनों देशों के बीच दो-तीन देश हैं. इसके बावजूद ईरान-इजरायल आपस में भिड़े हुए हैं. क्या इसके पीछे परमाणु कार्यक्रम, प्रॉक्सी युद्ध और क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई तो नहीं है? या दोनों देशों को अमेरिका ने युद्ध की ओर धकेला? अमेरिका इजरायल का समर्थक है और ईरान, रूस और चीन का करीबी है. ऐसे में अगर युद्ध तेज हुए तो ये 5 संकेत बताएंगे कि अमेरिका के वर्चस्व का खात्म होगा या फिर चीन और रूस की मदद से इस्लामिक रिपब्लिक का अंत हो जाएगा.

डोनाल्ड ट्रंप की चलेगी या निकल जाएगी हेकड़ी?

1- युद्ध का तेज होना और अमेरिकी हस्तक्षेप- 13 जून 2025 को इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिसमें नतांज और इस्फहान जैसे केंद्रों को नुकसान पहुंचा. ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 के जरिए तेल अवीव पर 100 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन दागे. अमेरिका ने इजरायल के मिसाइल डिफेंस सिस्टम को समर्थन दिया, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने खामेनेई की हत्या की योजना पर वीटो लगाया, यह दर्शाता है कि अमेरिका युद्ध को सीमित रखना चाहता है. यह संकेत देता है कि अमेरिकी प्रभाव अभी भी मजबूत है, लेकिन पूर्ण हस्तक्षेप से बच रहा है.

2-ईरान की रक्षात्मक ताकत का उभार- ईरान के उन्नत राडार सिस्टम ने इजरायल के F-35 जेट्स को ट्रैक किया और तीन को मार गिराने का दावा किया. खैबर शेकन मिसाइलों और शाहेद-136 ड्रोन्स ने इजरायल के बंदरगाहों को नुकसान पहुंचाया. यह दिखाता है कि इस्लामिक रिपब्लिक अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है, जिससे उसका खात्मा आसान नहीं होगा.

3-खामेनेई पर बढ़ता दबाव- इजरायल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट और नेतन्याहू ने खामेनेई को निशाना बनाने की धमकी दी, लेकिन अमेरिका ने इसे रोका. खामेनेई ने कहा, ‘हम झुकेंगे नहीं’, लेकिन तेहरान में नागरिकों का पलायन और 500 से अधिक मौतें दर्शाती हैं कि इस्लामिक रिपब्लिक की सत्ता कमजोर हो सकती है.

4- वैश्विक ध्रुवीकरण- रूस, चीन और कई इस्लामिक देश ईरान के पक्ष में हैं, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन, और फ्रांस इजरायल के साथ. भारत और जापान जैसे देश तटस्थ रहकर कूटनीति की वकालत कर रहे हैं. यह वैश्विक विभाजन अमेरिकी दबदबे को चुनौती देता है.

5- क्षेत्रीय अस्थिरता और तेल संकट- ईरान के तेल कुओं पर हमले और होर्मुज जलडमरूमध्य में संभावित नाकाबंदी से तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिसका असर भारत जैसे देशों पर पड़ेगा. यह अमेरिकी प्रभाव को कमजोर कर सकता है, लेकिन ईरान की अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुंचाएगा.

इजरायल-ईरान युद्ध के ये 5 संकेत बता रहे हैं कि फिलहाल न तो पूरी तरह से अमेरिकी दादागिरी का अंत होगा और न ही इस्लामिक रिपब्लिक को तत्काल खात्म कर दिया जाए. अमेरिका अगर ईरान-इराक को आगे खींचता है तो यह तीसरे युद्ध की तरफ भी दुनिया को धकेल सकता है. क्योंकि, तब चीन और रूस जैसे जेश ईरान के साथ खुलकर समर्थन में आ जाएंगे.

Credits To Live Hindustan

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