AIIMS में नहीं रगड़ने होंगे जूते, घर बैठे पता चलेगा किस विभाग में कितनी वेटिंग

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AIIMS Online dashboard: एम्‍स ने भीड़ कम करने के लिए नया ऑनलाइन डैशबोर्ड लॉन्च किया है, जो रीयल टाइम में बेड, ओपीडी, इमरजेंसी और सर्जरी की वेटिंग की जानकारी देगा. इससे मरीजों को समय पर सही निर्णय लेने में मदद म…और पढ़ें

AIIMS में नहीं रगड़ने होंगे जूते, घर बैठे पता चलेगा किस विभाग में कितनी वेटिंग

एम्‍स को लेकर बड़ा फैसला लिया गया. (File Photo)

हाइलाइट्स

  • एम्स नया ऑनलाइन डैशबोर्ड लॉन्च करने जा रहा है.
  • डैशबोर्ड रीयल टाइम में बेड और वेटिंग जानकारी देगा.
  • मरीजों को समय पर सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी.

AIIMS Online dashboard: भारत के सबसे अच्‍छे सरकारी अस्‍पताल की जब भी बात होती है तो AIIMS यानी ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस का नाम ही जुबां पर आता है. ऐसा होना लाजमी भी है क्‍योंकि बड़ी से बड़ी बीमारी का बेहतरीन इलाज AIIMS में संभव है. लोगों की भारी भीड़ के चलते हांफते दिल्‍ली के एम्‍स अस्‍पताल के बोझ को कुछ कम करने के‍ लिए देश में कई शहरों में AIIMS खोले गए. हालांकि इसके बावजूद अच्‍छे इलाज की आस में एम्‍स आने वालों की संख्‍या कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. केंद्र सरकार ने अब एक ऐसा नुस्‍खा निकाल लिया है, जिसकी मदद से लोगों को एम्‍स के चक्‍कर काटने की व जूते रगड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. घर बैठे-बैठे उन्‍हें पता चल जाएगा कि AIIMS के किस विभाग में कितनी वेटिंग हैं.

AIIMS प्रशासन एक नया ऑनलाइन डैशबोर्ड शुरू करने जा रहा है. यह डैशबोर्ड मरीजों को रीयल टाइम में उपलब्‍ध बेट की जानकारी देगा. एम्स इस पहल से मरीजों की परेशानी कम करने की कोशिश कर रहा है. केवल उपलब्‍ध बेड ही नहीं बल्कि ओपीडी, इमरजेंसी, सर्जरी और जांच के लिए वेटिंग से जुड़ी सारी जानकारी इस डैशबोर्ड पर उपलब्‍ध कराई जाएगी. डैशबोर्ड पर इमरजेंसी, ट्रॉमा सेंटर, विश्राम सदन और ई-हॉस्पिटल की जानकारी उपलब्ध कराने की योजना है. यह प्रोजेक्‍ट अभी ट्रायल फेज में है. अगले कुछ दिनों में इसे पूरी तरह लॉन्‍च करने की योजना है.

सर्जरी की जानकारी भी ऑनलाइन देने का प्‍लान
बताया गया कि एम्स एडमिनिस्‍ट्रेशन आने वाले दिनों में सर्जरी और जांच की प्रतीक्षा सूची को भी डैशबोर्ड पर जोड़ेगा. इससे केवल दिल्लीवालों को ही फायदा नहीं होगा, बल्कि अन्य राज्यों के एम्स से रेफर होने वाले मरीजों को इस सुविधा से सीधा फायदा मिलेगा. इसे लेकर छत्‍तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित एम्स में ट्रायल शुरू हो चुका है. एम्‍स में किसी को रेफर करने से पहले यहां बेड्स और इलाज की सही स्थिति जानी जा सकेगी. यह कदम मरीजों को समय पर सही निर्णय लेने में मदद कर सकता है. बेड की स्थिति जानकार वो पहले ही दूसरे अस्‍पतालों का रुख कर सकते हैं. इससे मरीजों की जान बचाने में भी मदद मिल सकती है.

एम्‍स की लाइनें लोगों को दे देती हैं टेंशन
अगर AIIMS के इतिहास को उठाकर देखें तो पाएंगे कि यहां मरीजों के लिए वेटिंग लंबी बात नहीं है. अक्‍सर एम्‍स में इलाज के लिए आने वाले लोग अंदर प्रवेश नहीं मिल पाने के कारण नाराज नजर आते हैं. डॉक्‍टर्स चाहकर भी लोगों की मदद नहीं कर पाते क्‍योंकि पहले से ही यह अस्‍पताल तय सीमा से कई गुना ज्‍यादा मरीजों का बोझ उठा रहा है. ओपीडी में मरीजों का इलाज लॉबी व अन्‍य क्षेत्रों में भी किया जाता है. यहां चाहे ओपीडी हो या फिर इमरजेंसी, सर्जरी करानी हो या कोई अन्‍य काम, हर जगह वेटिंग से मरीज परेशान रहते हैं. अक्सर मरीजों को पता नहीं चल पाता है कि वेटिंग कितनी है, उनकी बारी कब आएगी, एडमिशन की उम्मीद कितनी है, इसको लेकर असमंजस में रहते थे. शुरुआत में एम्स की इमरजेंसी, ट्रॉमा सेंटर की इमरजेंसी, विश्राम सदन की जानकारी ई-हॉस्पिटल डैशबोर्ड के जरिए दी जाएगी.

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