अगरतला से एवरेस्ट तक…माउंट एवरेस्ट पर त्रिपुरा के अरित्रा रॉय ने लहराया परचम

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Aritra Roy Everest Fatah: त्रिपुरा के अरित्रा रॉय ने 19 मई 2025 को माउंट एवरेस्ट फतह कर इतिहास रच दिया. पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर अरित्रा ने 20 दिन साइकिल यात्रा के बाद बेस कैंप तक पहुंचकर असम राइफल्स के सहयोग…और पढ़ें

अगरतला से एवरेस्ट तक का अदम्य सफर: त्रिपुरा के अरित्रा रॉय ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसे सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा. अरित्रा ने माउंट एवरेस्ट की चोटी को छूकर नया इतिहास रच दिया है. वह पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. यह सिर्फ उनकी जीत नहीं बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत और विशेष रूप से त्रिपुरा के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. उनके इस सफर ने साबित कर दिया है कि लगन और जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं.

जब अरित्रा ने एवरेस्ट पर लहराया परचम: वो ऐतिहासिक दिन था 19 मई 2025 सुबह 7:31 बजे नेपाल समय के अनुसार. इसी पल अरित्रा रॉय ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर कदम रखा. 29,035 फीट की ऊंचाई पर खड़े होकर उन्होंने न केवल अपनी हिम्मत का लोहा मनवाया बल्कि त्रिपुरा से एवरेस्ट फतह करने वाले पहले व्यक्ति बनने का गौरव भी हासिल किया. यह क्षण त्रिपुरा के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है.

बेंगलुरु से हिमालय तक का सफर: अरित्रा रॉय 35 साल के युवा हैं और बेंगलुरु में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल के तौर पर काम करते हैं. लेकिन उनका असली जुनून पर्वतारोहण है. 16 मार्च को अगरतला से उन्होंने अपने इस महाभियान की शुरुआत की. इस सफर को मेजर जनरल सुरेश भंभु वाईएसएम, एसएम, इंस्पेक्टर जनरल असम राइफल्स (ईस्ट) ने हरी झंडी दिखाई थी. यह सिर्फ एक यात्रा नहीं बल्कि एक सपने को पूरा करने की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक था.

साइकिल से बेस कैंप तक का कठिन रास्ता: अरित्रा का ये सफर किसी रोमांचक कहानी से कम नहीं. उन्होंने 20 दिनों तक साइकिल से बेहद मुश्किल रास्तों पर सफर किया. ये यात्रा चुनौतीपूर्ण इलाकों से होकर गुजरी जिसने उनकी शारीरिक और मानसिक शक्ति की असली परीक्षा ली. साइकिल यात्रा के बाद उन्होंने एवरेस्ट बेस कैंप तक की कठिन चढ़ाई की और फिर आखिर में एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने का लक्ष्य साधा. उनका ये दृढ़ संकल्प और तैयारी वाकई लाजवाब है.

असम राइफल्स का अहम योगदान: अरित्रा के इस महत्वाकांक्षी अभियान में असम राइफल्स ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस फोर्स ने उनकी पूरी यात्रा के दौरान रसद और नैतिक समर्थन दिया. महत्वपूर्ण स्थानों पर संपर्क स्थापित करने में मदद की और बहुमूल्य जानकारी भी प्रदान की. असम राइफल्स का सहयोग अरित्रा के लिए एक मजबूत आधार बना जिससे उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में काफी मदद मिली.

त्रिपुरा और पूर्वोत्तर के लिए गौरव का क्षण: अरित्रा रॉय की यह उपलब्धि सिर्फ उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं है. यह त्रिपुरा राज्य और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक बेहद गर्व का क्षण है. उनके इस कारनामे ने देश भर के युवाओं को बड़े सपने देखने और उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित किया है. अरित्रा अब लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गए हैं, जो उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा.

एवरेस्ट मैराथन और सुरक्षित वापसी की कामना: अब जब अरित्रा रॉय एवरेस्ट की चोटी से उतरना शुरू कर चुके हैं और अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव की तैयारी कर रहे हैं. इसमें 29 मई को होने वाली एवरेस्ट मैराथन भी शामिल है तो पूरा देश उनकी सुरक्षित और सफल वापसी की कामना कर रहा है. असम राइफल्स भी देश के साथ इस महान पर्वतारोही को शुभकामनाएं दे रहा है.

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