औनाहा वन चेतना केंद्र की वापस लौट रही चेतना
Kanpur News – कानपुर देहात के इंदिरा गांधी वन चेतना केंद्र को फिर से विकसित करने की कोशिशें शुरू हुई हैं। 1991 में स्थापित यह केंद्र पिछले दो दशकों से बदहाली का शिकार था। शासन से बजट मिलने के बाद यहाँ कई सुधार किए…
कानपुर देहात, संवाददाता। मैथा तहसील क्षेत्र के लोगों को मनोरंजन के साथ ही खुशनुमा माहौल देने के लिए वर्ष1991 में विकसित किया गया इंदिरा गांधी वन चेतना केंद्र दो दशक से बदहाली का शिकार था। डीएफओ के प्रयास से बदहाल चेतना केंद्र की चेतना वापस आनी शुरू हुई है। इसके साथ ही इसको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कवायद भी तेज की गई है। वर्ष1991 में औनाहा निवासी पूर्व विधायक राजा रघुनाथ सिंह ने अपनी 40 बीघे भूमि वन विभाग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए दान में दे दी थी। वर्ष 1991 से 1996 तक जिला ग्रामीण विकास अभिकरण व वन विभाग ने कई योजनाओं के तहत इस स्थल को मनोरंजन पार्क के रूप में विकसित किया था।
इसके तहत यहां झूले व कुर्सियों के साथ ही मनोरंजन के साधन भी मुहैया कराए गए थे। साथ ही इस केंद्र में पारिजात, रुद्राक्ष, इलायची, चंदन व कंदब सहित अन्य दुर्लभ प्रजाति के पौधे रोपित किए गए थे। इसके बाद बजट नहीं मिलने और देखरेख के अभाव में वन चेतना केंद्र की हरियाली गुम हो गई थी। मघई व इटैली झीलों के पास स्थित इस वन चेतना केंद्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई थी। इसके तहत यहां से इटैली झील तक पर्यटन विभाग ने 15 लाख रुपये की लागत से सड़क का निर्माण कराया था। लेकिन बाद में यह केंद्र उपेक्षा का शिकार हो गया था। शासन से बजट मिलने पर कराया गया सुंदरीकरण शासन से 28 लाख रुपए का बजट मिलने के बाद पिछले साल वन विभाग की ओर से सोलर पंप लगवाकर सूख रहे 875 वृक्षों नया जीवन दिया गया था। इसके साथ ही वन चेतना केन्द्र के गेस्ट हाउस की रंगाई पुताई व साज सज्जा कराने के साथ बच्चों के टूटे झूले दुरस्त कराए गए थे। इसके अलावा चेतना केंद्र में मॉर्निंग वॉक के लिए सड़क एवं कमल तालाब के सुधार के साथ ही सुरक्षा के लिए के तार बांधने का काम कराया जा चुका है। लेकिन चेतना केंद्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने का अभी तक इंतजार है। बोले जिम्मेदार- शासन से बजट मिलने के बाद वन चेतना केन्द्र की मूलभूत सुविधाओं को दुरस्त कराया गया है। यहां पौधशाला का संचालन कर शीशम, आम, नींबू , अमरूद , बेलपत्र आदि के पौधे तैयार करने की व्यवस्था की गई है। गेस्ट हाउस को चाक चौबंद कराने के साथ ही झूले आदि भी दुरुस्त कराए जा चुके हैं। वन चेतना केन्द्र को पुरानी रंगत फिर से वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है। -एके द्विवेदी, डीएफओ ।